रुमेटाइड आर्थ्राइटिस (Rheumatoid Arthritis) को रुमेटाइड गठिया या आमवात नाम से भी जाना जाता हैं। भारत मे लगभग 2% जनता इस रोग से पीड़ित हैं। Rheumatoid Arthritis को RA भी कहा जाता हैं। इसके लक्षण और तीव्रता हर रोगी भी अलग हो सकती हैं। कुछ रोगी को यह रोग कुछ वर्षों तक रहता है तो कुछ रोगी को इसकी दवा जीवनभर लेनी पड़ती हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस क्या हैं ? (Rheumatoid Arthritis in Hindi)
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस, यह एक ऐसी स्तिथि है जिसमे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) अपने ही शरीर के जोड़ों (joints) और ऊतकों (tissues and ligaments) के खिलाफ काम करती है जिससे शरीर के जोड़ों और ऊतकों मे दर्द (Pain), सूजन (Swelling), अकड़न (stiffness) और विकलांगता (deformity) जैसे लक्षण निर्माण होते हैं। इस रोग को Auto Immune Disease के श्रेणी मे रखा जाता हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के प्रमुख लक्षण है जोड़ों मे अकड़न या stiffness जो की सुबह के सबसे सबसे अधिक होती है और दिन बढ़ने के साथ कम होते जाती हैं। इस रोग मे शरीर के जोड़ों के साथ त्वचा,फेफड़े और नसों पर भी विपरीत परिणाम होता हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के कारण क्या हैं ? (Rheumatoid Arthritis Causes in Hindi)
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस यह एक Auto Immune Disease है जिसमे हमारी रोग प्रतिकार शक्ति मे गड़बड़ी के कारण हमारी रोग प्रतिकार शक्ति के कुछ कोशिकाए हमारे शरीर के स्वस्थ जोड़ों पर हमला कर उन्हे क्षति पहुचाती हैं। इस हमले की वजह से जोड़ों और ऊतकों मे दर्द, सूजन, अकड़न और विकलांगता जैस लक्षण निर्माण हो जाते हैं।
कुछ विशषज्ञों के अनुसार रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मे गड़बड़ी के 3 प्रमुख कारण हैं तंबाकू का सेवन, मानिसक तनाव और चिंता। महिलाओं मे रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय रुमेटाइड आर्थ्राइटिस होने का खतरा अधिक होता हैं। रुमेटाइड आर्थ्राइटिस यह एक अनिवांशिक रोग नहीं है पर अधिक परिवार मे किसी यह रोग है तो यह रोग होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
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रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के लक्षण क्या हैं ? (Rheumatoid Arthritis symptoms in Hindi)
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के लक्षण इस प्रकार हैं:
- जोड़ों मे सुबह अकड़न (Morning Stiffness): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के रोगी मे सुबह उठने के बाद 1 से 2 घंटों तक जोड़ों मे अकड़न अधिक रहती है और जैसे जैसे दिन बढ़ता है यह लक्षण कम होने लगते हैं।
- जोड़ों मे दर्द और सूजन (Pain & Swelling): हात और पैर के छोटे जोड़, कलाई का जोड़, घुटने, कंधा और टखना के जोड़ों दर्द और सूजन की समस्या अधिक होती हैं। इसके अलावा पसली के जोड़, कमर के जोड़ और मेरुदंड के जोड़ मे यह समस्या कम होती हैं।
- कमजोरी (Weakness): कमजोरी, भूक कम लगना, थकान और आलस
- बुखार (Fever): कुछ रोगी मे अधिक समय तक हल्का बुखार आने की समस्या हो सकती हैं।
- गांठ (Nodules): कुछ रोगी मे कोहनी (Elbow) या त्वचा के नीचे छोटी छोटी गांठ निर्माण हो जाती है जिसमे दर्द नहीं होता हैं। इन्हे Rheumatic Nodules कहा जाता हैं।
- विकलांगता (Deformity): अगर समय पर रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का इलाज नहीं किया जाता हैं तो यह रोग हात, पैर और घुटनों के जोड़ों मे विकलांगता निर्माण कर सकता हैं।
- अन्य (Others): सीने मे दर्द, शुष्क आंखे, फेफड़ों और नसों मे खराबी जैसे अन्य लक्षण भी कुछ रोगी मे हो सकते हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का निदान कैसे किया जाता हैं ? (Rheumatoid Arthritis diagnosis in Hindi)
Rheumatoid Arthritis का निदान किसी एक जांच द्वारा नहीं किया जाता हैं। रोगी की शारीरक जांच, रोग के लक्षण, खून जांच और जोड़ों के एक्सरे रिपोर्ट इन सभी चीजों को आकलन कर डॉक्टर रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का निदान करते हैं।
- शारीरिक जांच (Physical Examination): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का निदान करने के लिए डॉक्टर रोगी की शिकायत (complaints) को सुनने के बाद रोगी की पूरी शारीरिक जांच करते हैं। इसमे जोड़ों मे सूजन, विकलांगता और दर्द की तीव्रता को देखा जाता है।
- ESR: बढ़ा हुआ ESR से पता चलता है को जोड़ों में और ऊतकों मे कितनी ज्यादा सूजन (inflammation) हैं।
- CRP: CRP यह एक तरह का प्रोटीन है जो खून मे पाया जाता हैं। जोड़ों और ऊतकों मे सूजन होने पर यह बढ़ जाता हैं।
- CBC: CBC या Complete Blood Count मे पता चलता है की रोगी मे खून की कमी (हीमोग्लोबिन की कमी) है या नहीं। Rheumatoid Arthritis मे ज्यादातर मरीजों मे खून की कमी (Anemia) पायी जाती हैं।
- RA Factor: रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के अलावा RA Factor की रिपोर्ट कुछ अन्य रोग मे भी Positive आ सकता हैं। 70% से 80% रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के रोगियों मे RA Factor की रिपोर्ट Positive पायी जाती हैं। रुमेटाइड आर्थ्राइटिस की शंका होने पर डॉक्टर Anti-CCP जांच कराते हैं।
- Anti-CCP: रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के 90% से 95% रोगियों मे Anti-CCP test Positive आती हैं। यह रिपोर्ट पाज़िटिव आने पर रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का निदान करना आसान हो जाता हैं।
- एक्सरे (X-Ray): पीड़ित जोड़ों का एक्सरे से पता चलता है की जोड़ों को कितनी क्षति हुई हैं। रोग के शुरुआत मे एक्सरे नॉर्मल भी आ सकता हैं।
- MRI: रुमेटाइड आर्थ्राइटिस की गंभीरता और जोड़ों को या ऊतकों को कितनी क्षति हुई है यह देखने के लिए MRI किया जाता हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस कितने प्रकार का होता हैं ? (Rheumatoid Arthritis types in Hindi)
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के मुख्यतः 3 प्रकार हैं।
A) Seropositive Rheumatoid Arthritis
अगर आपके खून जांच की रिपोर्ट मे RA Factor की रिपोर्ट Positive है या Anti-CCP जांच मे रिपोर्ट Positive है और साथ मे Rheumatoid Arthritis के लक्षण भी है तो डॉक्टर आपको Seropositive Rheumatoid Arthritis का निदान करते हैं। इन रोगियों मे रुमेटाइड आर्थ्राइटिस गंभीर होता हैं।
B) Seronegative Rheumatoid Arthritis
अगर आपके खून जांच की रिपोर्ट मे RA Factor जांच और Anti-CCP जांच मे रिपोर्ट Negative है और साथ मे Rheumatoid Arthritis के लक्षण है तो डॉक्टर आपको Seronegative Rheumatoid Arthritis का निदान करते हैं। इन रोगियों मे रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का रूप गंभीर नहीं होता हैं।
C) Juvenile Idiopathic Rheumatoid Arthritis
17 वर्ष से कम आयु के बच्चों जोड़ों मे दर्द, सूजन और अकड़न के लक्षण पाए जाने पर Juvenile Idiopathic Rheumatoid Arthritis का निदान किया जाता हैं। ज्यादातर बच्चों मे कुछ वर्षों मे यह ठीक हो जाता है तो कुछ बच्चों को लंबे समय तक इसकी दवा लेना पड़ता हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का इलाज कैसे किया जाता हैं ? (Rheumatoid Arthritis treatment in Hindi)
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का इलाज करने के लिए कई तरह की दवा का इस्तेमाल किया जाता हैं। रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के ज्यादातर रोगियों को लंबे समय तक इलाज लेना पड़ता हैं। रुमेटाइड आर्थ्राइटिस का शुरुआती दौर मे निदान और इलाज शुरू कर इसे जल्द ठीक किया जा सकता हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के इलाज की जानकारी नीचे दी गयी हैं:
- दर्दनाशक दवा (Analgesics): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के इलाज मे Ibuprofen, Diclofenac, Naprosyn, Nimesulide, Etorocoxib, Indomethacin, Aceclofenac और Etodolac जैसे दर्दनाशक (NSAID) दवा का उपयोग किया जाता हैं। इन दवाओं से जोड़ों मे दर्द और सूजन मे कमी आती है पर यह केवल तात्कालिक लाभ के लिए हैं। इन दवाओं से रोग ठीक नहीं होता हैं। यह दवा केवल अपने डॉक्टर की सलाह से और मर्यादित मात्रा मे ही लेना चाहिए। लंबे समय तक यह दवा लेने से एसिडिटी बढ़ सकती है और किडनी को क्षति भी पहुच सकती हैं। Paracetamol और Tramadol यह ज्यादा सुरक्षित दर्दनाशक दवा है पर इनसे सूजन कम नहीं होती हैं। दर्दनाशक दवा के साथ डॉक्टर Omeprazole, Pantoprazole या Ranitidine जैसे Antacid दवा भी देते है जिससे रोगी को एसिडिटी की शिकायत होने का खतरा कम हो जाता हैं।
- स्टेरॉइड दवा (Corticosteroids): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के उपचार मे डॉक्टर कुछ समय के लिए Prednisolone, Methylprednisolone और Deflazacort जैसे स्टेरॉइड्स दवा भी रोगी को देते हैं। इन दवाओं से जोड़ों मे दर्द और सूजन मे जल्द कमी आती है और रोगी को बेहतर मेहसूस होता हैं। स्टेरॉइड दवा लंबे समय तक लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती हैं और किडनी, लिवर, फेफड़े आदि महत्वपूर्ण अंगों पर दुष्परिणाम होते है इसलिए इनका उपयोग डॉक्टर की सलाह लेकर ही करना चाहिए। रुमेटाइड आर्थ्राइटिस एक Auto Immune Disease है और इसमे कुछ समय के लिए शरीर की Immunity कमजोर करना जरूरी होता है इसलिए कुछ समय के लिए Steroids दवा रोगी को देना जरूरी होता हैं।
- रुमेटाइड आर्थ्राइटिस विरोधी दवा (DMARD): DMARD का full form है Disease Modifying Anti-Rheumatic Drugs, यानि ऐसी दवा जो रुमेटाइड आर्थ्राइटिस को बढ़ने से रोकती हैं। DMARD दवा मे शामिल हैं Hydroxychloroquin, Methotrexate, Sulfasalazine, Leflunomide आदि। इन दवाओं का असर होने मे 1 से 2 महीने लगते है पर एक बार इनका असर होने पर रोगी को दर्दनाशक दवा और स्टेरॉइड दवा देने की जरूरत कम हो जाती हैं। DMARD दवा के कुछ दुष्परिणाम भी है जैसे की जी मचलाना, उलटी, एसिडिटी, खून की कमी, त्वचा पर प्रभाव, बाल झड़ना, भूक कम लगना आदि। यह दवा हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। डॉक्टर अक्सर इन दवाओं के साथ खून बढ़ाने के लिए Folic Acid की दवा भी देते हैं।
- Biologic DMARD: यह एक तरह की एंटीबॉडी दवा है जो उन रोग प्रतिरोधक प्रणाली के कोशिकाओं (immune cells) पर हमला करती है जो रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के लिए जवाबदेह हैं। यह दवा रुमेटाइड आर्थ्राइटिस को बढ़ने से रोकती तो हैं ही और साथ मे जोड़ों या ऊतकों को नुकसान हुआ है उन्हे ठीक भी करती हैं। यह Biologic DMARD सामान्य DMARD दवा की तुलना मे बेहतर हैं। सामान्य DMARD दवा से लाभ नहीं होने पर इनका इस्तेमाल किया जाता हैं। ऐसे तो यह Biologics दवा सुरक्षित है पर कुछ रोगियों मे यह दवा लेने के बाद अन्य संक्रमण और टीबी होने का खतरा होता हैं। यह Biologics दवा सामान्य DMARD के तुलना मे महंगी होती है और इसलिए सामान्य जनता के लिए इसे लंबे समय तक खरीद पाना मुश्किल होता हैं। यह दवा केवल Rheumatologist डॉक्टर के लिखने पर ही प्राप्त होती हैं। यह दवा इन्जेक्शन द्वारा नसों मे (intravenous) लेना होता है इसलिए विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख मे ही लेना चाहिए। Infliximab, Etanercept, Rituximab, Tocilizumab, Abatacept यह कुछ Biologics दवा के नाम हैं जिनका इस्तेमाल रुमेटाइड आर्थ्राइटिस के इलाज मे लिए भारत मे किया जाता हैं।
- व्यायाम (Physiotherapy): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस मे joints की stiffness दूर करने के लिए Physiotherapist की सलाह से नियमित व्यायाम करने से लाभ मिलता हैं।
- ऑपरेशन (Surgery): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस मे जोड़ों और ऊतकों को अधिक क्षति पहुचने पर या विकलांगता आने पर Synovectomy, Tendon repair, Joint fusion या Total Joint Replacement आदि सर्जरी की जाती हैं।
- अन्य (Others): रुमेटाइड आर्थ्राइटिस मे रोगी को आवश्यकता अनुसार कुछ अन्य दवा भी दी जाती हैं जिनकी जानकारी नीचे दी गयी हैं।
- खून की कमी (Anemia): खून की कमी दूर करने के लिए Folic acid और Methylcobalamin या Vitamin B 12 की दवा दी जाती हैं।
- कमजोर हड्डियाँ: जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए Calcium और Vitamin D की दवा दी जाती हैं।
- तनाव: रोगी को अधिक मानसिक तनाव या अवसाद होने पर Alprazolam, Diazepam आदि दवा दी जाती हैं।
- कमजोरी: भूक की कमी और कमजोरी दूर करने के लिए रोगी को Multi Vitamin दवा दी जाती हैं।
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस से जुड़े सवालों के जवाब (Rheumatoid Arthritis FAQ’s in Hindi)
रुमेटाइड आर्थ्राइटिस में कौन से योग करना चाहिए?
योग रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। यह दर्द को कम करने, सूजन को कम करने, गतिशीलता में सुधार करने और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
RA के लिए योग आसन (योग अभ्यास) निम्नलिखित हैं:
1. सूर्य नमस्कार – यह एक पूर्ण-शरीर का अभ्यास है जो रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और लचीलेपन में सुधार करता है। पढे: कैसे करे सूर्यनमस्कार
2. पश्चिमोत्तानासन – यह एक स्ट्रेचिंग आसन है जो पीठ और कूल्हों को खोलता है। पढे: कैसे करे पस्चिमोतानासन योग
3. वज्रासन – यह एक स्थिर आसन है जो रीढ़ को मजबूत करता है और तनाव को कम करता है। पढे: कैसे करे वज्रासन
4. अर्ध मत्स्येन्द्रासन – यह एक रीढ़ की हड्डी को घुमाने वाला आसन है जो लचीलेपन में सुधार करता है। पढे: कैसे करे मत्स्यासन
5. जानु शीर्षासन – यह एक आगे की मुद्रा है जो कूल्हों और जांघों को खोलता है।
RA के लिए योग प्रणायाम (योग श्वास अभ्यास) निम्नलिखित हैं:
1. कपालभाति – यह एक उत्तेजक श्वास अभ्यास है जो रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और तनाव को कम करता है। पढे: कपालभाति प्राणायाम की विधि और फायदे
2. भ्रामरी – यह एक शांत करने वाला श्वास अभ्यास है जो तनाव को कम करता है और मन को शांत करता है। पढे: भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari) की विधि और फायदे
3. अनुलोम-विलोम – यह एक श्वसन नियंत्रण अभ्यास है जो रक्त प्रवाह को संतुलित करता है और तनाव को कम करता है। पढे: अनुलोम विलोम प्राणायाम विधि और फायदे
RA के लिए योग का अभ्यास शुरू करने से पहले, अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है। वे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं कि आपके लिए सही अभ्यास चुनें।
रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या क्या परहेज करना चाहिए?
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने के लिए, कुछ खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से परहेज करना महत्वपूर्ण हो सकता है। इन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में शामिल हैं:
1. वसायुक्त खाद्य पदार्थ: वसायुक्त खाद्य पदार्थ सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं। इनमें शामिल हैं: रेड मीट, डेयरी उत्पाद, ऑयली फिश, प्रोसेस्ड फूड
2. नमक: नमक सूजन को बढ़ावा दे सकता है। इनमें शामिल हैं: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पैकेज्ड स्नैक्स, फास्ट फूड
3. चीनी: चीनी सूजन को बढ़ावा दे सकती है। इनमें शामिल हैं: मीठे पेय पदार्थ, मिठाई, मीठे अनाज
4. अल्कोहल: अल्कोहल सूजन को बढ़ावा दे सकता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या खाना चाहिए?
रूमेटाइड अर्थराइटिस मे कैसा डाइट लेना चाहिए इसकी जानकारी नीचे दी गयी हैं।
1. फल और सब्जियां: सभी प्रकार के फल और सब्जियां खाएं, विशेष रूप से लाल, नारंगी और पीले रंग के फल और हरे पत्तेदार सब्जियां। इनमें विटामिन सी, विटामिन ई और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
2. साबुत अनाज: साबुत अनाज, जैसे कि ओट्स, ब्राउन राइस और क्विनोआ, फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं। फाइबर सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
3. स्वस्थ वसा: स्वस्थ वसा, जैसे कि ओमेगा-3 फैटी एसिड, सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत हैं: फैटी फिश, जैसे कि सामन, टूना और मैकेरल, अलसी के बीज, अखरोट
4. प्रोटीन: RA के रोगियों को अपने आहार में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा शामिल करने की सलाह दी जाती है। प्रोटीन मांसपेशियों के स्वास्थ्य और मरम्मत के लिए आवश्यक है। प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं: चिकन, मछली, दाल, बीन्स, नट्स
रूमेटोइड गठिया के लिए लहसुन कैसे खाएं?
लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो RA के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। लहसुन में पाए जाने वाले सक्रिय यौगिक एलिसिन है। एलिसिन सूजन को कम करने और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
रूमेटोइड गठिया के लिए लहसुन खाने के कई तरीके हैं। आप इसे कच्चा, पकाया हुआ या पाउडर के रूप में खा सकते हैं।
1. कच्चा लहसुन – कच्चा लहसुन सबसे प्रभावी होता है क्योंकि इसमें एलिसिन की मात्रा अधिक होती है। आप इसे सीधे खा सकते हैं, इसे सलाद में डाल सकते हैं, या इसे चटनी या सॉस में मिला सकते हैं।
2. पकाया हुआ लहसुन – पकाया हुआ लहसुन भी प्रभावी होता है, लेकिन इसमें कच्चे लहसुन की तुलना में एलिसिन की मात्रा कम होती है। आप इसे सब्जियों में डाल सकते हैं, सूप या स्टू में डाल सकते हैं, या इसे पास्ता या चावल के साथ परोस सकते हैं।
3. लहसुन पाउडर – लहसुन पाउडर एक सुविधाजनक तरीका है लहसुन का सेवन करना। आप इसे सब्जियों या सूप में डाल सकते हैं, या इसे सलाद ड्रेसिंग या अचार में मिला सकते हैं।
रूमेटोइड गठिया के लिए लहसुन खाने की खुराक निर्धारित नहीं है। हालांकि, एक दिन में 1 से 2 ग्राम कच्चे लहसुन का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है।
रुमेटीइड गठिया के लिए सबसे अच्छा इलाज क्या है?
रुमेटीइड गठिया के लिए सबसे अच्छा इलाज व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। रुमेटीइड गठिया के लिए DMARD दवा सबसे बेहतर मानी जाती है। रुमेटीइड गठिया के अधिकतर रोगी को इन दवा से लाभ होता हैं।
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रूमेटाइड अर्थराइटिस कितने दिन में ठीक होता हैं?
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक दीर्घकालिक स्थिति है, जिसका अर्थ है कि यह ज्यादातर रोगी में यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता है। हालांकि, प्रभावी उपचार से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और जोड़ों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस कहा से शुरू होता हैं?
रूमेटाइड गठिया आमतौर पर हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों में शुरू होता है। ये जोड़ आमतौर पर अंगुलियों, कलाइयों, कोहनी, घुटनों और टखनों के पास होते हैं।
क्या रूमेटाइड अर्थराइटिस आयुर्वेदिक उपचार से ठीक हो सकता हैं ?
आयुर्वेद में, रूमेटाइड अर्थराइटिस को वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण माना जाता है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य इन दोषों को संतुलित करना और शरीर की प्राकृतिक चिकित्सा क्षमता को बढ़ावा देना है।
आयुर्वेदिक उपचार में शामिल हो सकते हैं:
1. आहार में परिवर्तन: आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगी को एक ऐसा आहार खाने की सलाह दे सकते हैं जो वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करे।
2. योग: योग रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
3. आयुर्वेदिक दवाएं: आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगी को आयुर्वेदिक दवाएं दे सकते हैं जो सूजन को कम करने, दर्द को कम करने और रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार के प्रभाव व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। कुछ लोगों को उपचार से बहुत लाभ हो सकता है, जबकि अन्य को केवल कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
उपयोगी जानकारी: जोड़ों में दर्द : कारण, लक्षण और ईलाज
रूमेटाइड अर्थराइटिस को समय पर इलाज लेकर नियंत्रण में रखा जा सकता हैं। अगर आपके रूमेटाइड अर्थराइटिस को लेकर कोई सवाल है तो कृपया निचे कमेंट में जरूर पूछे। अगर आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज की यह जानकारी उपयोगी लगती है तो कृपया इसे शेयर जरूर करे।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।