Virabhadrasana Yoga in Hindi: वीरभद्रासन योग करने का सही तरीका, प्रकार, फायदे, नुकसान और सावधानियां

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वीरभद्रासन योग को English में Warrior Pose कहा जाता हैं। वीर का अर्थ है बहादुर, शक्तिशाली, और साहसी और भद्रा का अर्थ है सुंदर या गरिमामय। वीरभद्रासन योग करते समय शारीरक और मानसिक लाभ तो होते ही है पर व्यक्ति को एक योद्धा की तरह शक्तिशाली महसूस होता हैं।

वीरभद्रासन की कहानी (Virabhadrasana Yoga story in Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति, जो सती के पिता थे, ने शिव को अपनी बेटी के विवाह में नहीं बुलाया। अपमानित होकर, सती ने यज्ञ की अग्नि में कूदकर खुद को आत्मदाह कर लिया। इस पर भगवान शिव ने क्रोध से, उनके जटाओं से एक शक्तिशाली योद्धा प्रकट किया, जिसे वीरभद्र कहा जाता था। वीरभद्र दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने और उसके सिर को काटने के लिए भेजा गया था।

वीरभद्रासन इस कहानी में वीरभद्र की शक्ति, साहस और दृढ़ता का प्रतीक है। जब योगी इस मुद्रा में होते हैं, तो वे वीरभद्र की वीरता और शक्ति का अनुभव करते हैं। यह भी कहा जाता है कि वीरभद्रासन भगवान शिव के तांडव नृत्य का एक प्रतिनिधित्व है। तांडव नृत्य में, शिव विनाशकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, और वीरभद्रासन इस शक्ति का प्रतीक है।

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वीरभद्रासन के प्रकार कितने हैं ? (Virabhadrasana Yoga types in Hindi)

वीरभद्रासन मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:

  1. वीरभद्रासन-1 (Warrior Pose I): यह वीरभद्रासन का सबसे सरल प्रकार है। इस मुद्रा में, आप एक पैर को आगे बढ़ाते हैं और दूसरे पैर को पीछे रखते हैं।
  2. वीरभद्रासन-2 (Warrior Pose II): यह वीरभद्रासन का एक अधिक उन्नत रूप है। इस मुद्रा में, आप एक पैर को आगे बढ़ाते हैं और दूसरे पैर को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ते हैं।
  3. वीरभद्रासन-3 (Warrior Pose III): यह वीरभद्रासन का सबसे कठिन रूप है। इस मुद्रा में, आप एक पैर को आगे बढ़ाते हैं और दूसरे पैर को पीछे उठाते हैं।

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वीरभद्रासन-1 कैसे करे ? (Virabhadrasana-1 Yoga steps in Hindi)

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वीरभद्रासन-1 की विधि इस प्रकार हैं:

  • एक साफ़ और समतल जगह देखकर, योगा मैट बिछाकर उस पर सीधे खड़े हो जाएं।
  • ताड़ासन की मुद्रा में आ जाएं। दोनों पैरों के बीच 3 से 3.5 फीट का अंतर रखें।
  • दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए जमीन के समानांतर ले आएं।
  • दोनों हाथों की हथेलियों को सिर के ऊपर ले जाकर आपस में जोड़ लेना हैं।
  • दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण (angle) पर घुमाएं।
  • बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री पर घुमाएं। पैरों को स्थिर रखें।
  • ऊपर के धड़ को दाएं पैर की तरफ घुमाएं।
  • दाएं पैर के घुटने को मोड़ते हुए 90 डिग्री का कोण बनाएं।
  • दाईं जांघ को फर्श के समानांतर ले आएं। बायां पैर एकदम सीधा रहेगा।
  • सिर को पीछे की ओर झुकाएं और ऊपर की तरफ देखें।
  • इस स्थिति में 30 से 60 सेकंड तक बने रहें।
  • अब पुरानी स्थिति में वापस आ जाएं।
  • ये सारी प्रक्रिया अब दूसरे पैर से भी करें।

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वीरभद्रासन-2 कैसे करे ? (Virabhadrasana-2 Yoga steps in Hindi)

virbhadrasana 2 yoga pose in Hindi

वीरभद्रासन-2 की विधि इस प्रकार हैं:

विधि:

  • वीरभद्रासन-1 की स्थिति में खड़े होकर शुरुआत करें।
  • सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को फैलाएं और पैरों के बीच 2-3 फीट की दूरी रखें।
  • दोनों हाथों को कंधे के समानांतर रखें।
  • दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं। यानी घुटने से मोड़ते हुए तलवे को जमीन पर रखें।
  • बाएं पैर को 45 डिग्री तक घुमाएं। इसमें पैर को पीछे की तरफ लेकर जाना है।
  • सिर को दाएं पैर और हाथ की तरफ रखें। फिर सामने की तरफ देखें।
  • इस अवस्था में 50-60 सेकंड्स कुछ देर रुकें।
  • फिर पहली वाली स्थिति में आ जाएं।
  • आप इस योगासन को 3-5 बार कर सकते हैं।

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वीरभद्रासन-3 कैसे करे ? (Virabhadrasana-3 Yoga steps in Hindi)

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वीरभद्रासन-3 की विधि इस प्रकार हैं:

  • एक स्वच्छ और समतल जगह पर योग मैट रखकर सीधे में खड़े हो जाएं।
  • गहरी सांस ले और दोनों टांगों के बीच 4-5 फीट का अंतर कर लें।
  • सांस छोड़ते हुए दाएं पैर के पंजे को दायीं तरफ 90 डिग्री के अंतर पर मोड़ें।
  • बाएं पैर को भी दायीं ओर 45-60 के कोण पर मोड़िए।
  • दाएं घुटने को तब तक मोड़िए जब तक फर्श के समानांतर न आ जाएं।
  • ये पिंडली की सीध में होना चाहिए।
  • घुटना आपकी एड़ी के ठीक ऊपर सीध में आना चाहिए।
  • ये ए़ड़ी से आगे बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए।
  • सांस छोड़ते हुए धड़ को मोड़ना शुरू करें।
  • धड़ मोड़ते हुए सीने को जांघों के ऊपर लाकर टिका दें।
  • हाथों को सीधा रखते हुए दोनों हाथों को पास लाकर हथेलियों को मिलाएं।
  • हाथों को सीधा रखते हुए दो सांसें लेने तक रुके रहें।
  • इसके बाद शरीर का पूरा भार दाएं पैर पर शिफ्ट कर दें।
  • अब धीरे-धीरे बाएं पैर को हवा में पीछे की तरफ उठाएं।
  • बाएं पैर का घुटना नीचे की तरफ ही रहेगा।
  • निगाह सामने या नीचे की तरफ रखें।
  • दायीं टांग को छोड़कर पूरा शरीर फर्श के समानांतर रहेगा।
  • एक बार संतुलन बनने के बाद हाथों को आगे की तरफ खींचें।
  • इसके साथ ही पैर को भी पीछे की तरफ खींचें।
  • इस आसन को 5 सेकेंड से लेकर 30 सेकेंड तक कर सकते हैं।
  • गहरी सांसें लेते रहें वरना चक्कर आ सकते हैं।
  • सांस छोड़ते हुए पहले बाएं पैर को फर्श की तरफ लाएं।
  • अब यही प्रक्रिया दूसरी टांग से भी करें।

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वीरभद्रासन के फायदे (Virabhadrasana Yoga benefits in Hindi)

वीरभद्रासन के शारीरिक फायदे:

  • पैरों, टांगों और कूल्हों को मजबूत बनाता है: वीरभद्रासन पैरों, टांगों और कूल्हों (Hip joint) की मांसपेशियों को खींचता है और मजबूत बनाता है। यह योगासन जांघों (thighs), घुटनों (knee) और टखनों (ankle) को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
  • रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है और संतुलन में सुधार करता है: वीरभद्रासन रीढ़ की हड्डी को सीधा करने और संतुलन में सुधार करने में मदद करता है। यह योगासन कूल्हों को खोलने और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में भी मदद करता है।
  • पाचन क्रिया में सुधार करता है: वीरभद्रासन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है और पाचन क्रिया में सुधार करता है। यह योगासन कब्ज और अपच को दूर करने में भी मदद करता है।
  • ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है: वीरभद्रासन पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह योगासन हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
  • तनाव और चिंता को कम करता है: वीरभद्रासन तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। यह योगासन मन को शांत करने और एकाग्रता को बढ़ाने में भी मदद करता है।

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वीरभद्रासन के मानसिक फायदे:

  • एकाग्रता और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है: वीरभद्रासन एकाग्रता और मानसिक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह योगासन मन को शांत करने और ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है।
  • आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है: वीरभद्रासन आत्मविश्वास (confidence) और आत्म-सम्मान को बढ़ाने में मदद करता है। यह योगासन आपको अपनी शक्ति और क्षमता का अनुभव करने में मदद करता है।
  • धैर्य और दृढ़ता को बढ़ाता है: वीरभद्रासन धैर्य और दृढ़ता को बढ़ाने में मदद करता है। यह योगासन आपको चुनौतियों का सामना करने और उनसे पार पाने के लिए प्रेरित करता है।

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वीरभद्रासन के दुष्परिणाम (Virabhadrasana Yoga side effects in Hindi)

वीरभद्रासन के कुछ संभावित दुष्परिणाम दिए गए हैं:

1. दर्द (Pain):

  • यदि आपके घुटनों, टखनों या कूल्हों में पहले से दर्द है, तो वीरभद्रासन इन दर्दों को बढ़ा सकता है।
  • यदि आप योगासन करते समय गलत मुद्रा में हैं, तो आपको पीठ, गर्दन या कंधों में दर्द हो सकता है।

2. असंतुलन (Imbalance):

  • यदि आपको संतुलन की समस्या है, तो वीरभद्रासन करते समय आपको गिरने का खतरा हो सकता है।
  • शुरुआती लोगों को वीरभद्रासन करते समय दीवार या किसी सहारे का उपयोग करना चाहिए।

3. चोट (Injury):

  • यदि आप योगासन करते समय जल्दबाजी करते हैं या गलत तरीके से करते हैं, तो आपको चोट लगने का खतरा हो सकता है।
  • योगासन करते समय धीरे-धीरे और सावधानी से आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है।

4. उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure):

  • यदि आपको उच्च रक्तचाप है, तो वीरभद्रासन आपके रक्तचाप को बढ़ा सकता है।
  • उच्च रक्तचाप वाले लोगों को वीरभद्रासन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

5. गर्भावस्था (Pregnancy):

  • गर्भवती महिलाओं को वीरभद्रासन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए अन्य योगासन हैं जो उनके लिए सुरक्षित हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वीरभद्रासन से होने वाले दुष्परिणाम आमतौर पर तब होते हैं जब योगासन गलत तरीके से किया जाता है।

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वीरभद्रासन में क्या सावधानी बरते ? (Virabhadrasana Yoga precautions in Hindi)

वीरभद्रासन करते समय आपको कोई हानि नहीं होनी चाहिए और इसलिए नीचे दी हुई कुछ महत्वपूर्ण का पालन करना चाहिए:

  1. चिकित्सीय स्थिति (Medical Condition): यदि आपको कोई चिकित्सीय स्थिति है, जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, या प्रेगनेंसी, तो वीरभद्रासन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
  2. दर्द (Pain): यदि आपको घुटनों, टखनों, कूल्हों, पीठ, गर्दन या कंधों में दर्द है, तो वीरभद्रासन करते समय सावधानी बरतें। यदि आपको दर्द महसूस होता है, तो तुरंत योगासन करना बंद कर दें।
  3. संतुलन (Balance): यदि आपको संतुलन की समस्या है, तो वीरभद्रासन करते समय दीवार या किसी सहारे का उपयोग करें। शुरुआती लोगों को वीरभद्रासन करते समय किसी योग शिक्षक की देखरेख में रहना चाहिए।
  4. मुद्रा (Pose): वीरभद्रासन करते समय अपनी मुद्रा का ध्यान रखें। अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें, अपने कंधों को आराम दें, और अपनी गर्दन को सीधा रखें।
  5. जल्दबाजी न करे (Go Slow): वीरभद्रासन करते समय धीरे-धीरे और सावधानी से आगे बढ़ें। योगासन करते समय जल्दबाजी न करें।
  6. सांस (Breathing): वीरभद्रासन करते समय अपनी सांसों पर ध्यान दें। गहरी और धीमी सांसें लें।
  7. पानी (Water): योगासन करने से पहले और बाद में खूब पानी पीएं। यह आपको हाइड्रेटेड रहने में मदद करेगा।
  8. वार्म-अप (Warm up): योगासन करने से पहले वार्म-अप करें। यह आपके शरीर को योगासन के लिए तैयार करेगा।
  9. योग शिक्षक (Yoga Trainer): यदि आप शुरुआती हैं, तो वीरभद्रासन किसी अनुभवी योग शिक्षक से सीखें।योग शिक्षक आपको योगासन सही तरीके से करने में मदद करेगा।
  10. असुविधा : यदि आपको वीरभद्रासन करते समय कोई दर्द या असुविधा महसूस होती है, तो तुरंत योगासन करना बंद कर दें।

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वीरभद्रासन से पहले कौन सा योग करे ?

वीरभद्रासन करने से पहले कुछ योगासन करना फायदेमंद हो सकता है, जैसे:

  1. सूर्यनमस्कार
  2. त्रिकोणासन
  3. वृक्षासन
  4. ताड़ासन
  5. भुजंगासन

योग के नाम पर क्लिक कर आप योग की कैसे करना है यह पढ़ सकते हैं।

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वीरभद्रासन के बाद कौन सा योग करे ?

वीरभद्रासन के बाद कुछ योगासन करना फायदेमंद हो सकता है, जैसे:

  1. बालासन
  2. शवासन
  3. सेतु बंधासन
  4. सर्वांगासन
  5. विपरीत करणी

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अगर आप शुरूआती है तो वीरभद्रासन-1 से शुरुआत करे और अभ्यास के साथ अन्य प्रकार करे। अगर आपका वीरभद्रासन की विधि से या फायदे से जुड़ा कोई सवाल है तो नीचे कमेंट में अवश्य पूछे।

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