अगर किसी महिला को पहले से मधुमेह या Diabetes न हो और पहली बार गर्भावस्था या Pregnancy के दौरान Diabetes का निदान होता है तो इसे गर्भकालीन मधुमेह या Gestational Diabetes (Diabetes in Pregnancy) कहा जाता हैं। डायबिटीज के अन्य प्रकार की तरह इसमें भी रक्त में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती हैं। ज्यादातर महिलाओं का यह गर्भकालीन डायबिटीज, गर्भावस्था के बाद अपने आप ठीक हो जाता हैं।
प्रेगनेंसी के समय होनेवाला यह डायबिटीज महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक होता हैं। इसके कारण बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ सकता हैं। सही उपचार, सही आहार और नियमित जांच से इसके खतरे को कम किया जा सकता हैं।
आज के इस लेख में हम आपको Pregnancy में होनेवाले इस Diabetes के कारण, लक्षण और उपचार की जानकारी देने जा रहे है।
प्रेग्नन्सी मे Diabetes क्यों होता हैं ? (Gestational Diabetes in Hindi)
हम जो भी आहार लेते है उससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होने के लिए उसका Glucose में परिवर्तन किया जाता हैं। शरीर के कोशिकाओं (Cells) को यह ऊर्जा का स्त्रोत Glucose पहुंचाने का कार्य Insulin करता हैं। प्रेगनेंसी में गर्भ में पल रहे बच्चे को ऊर्जा के लिए अधिक Glucose की जरूरत होती है इसके लिए प्राकृतिक रूप से इस समय महिला के शरीर में Insulin की कार्यक्षमता कम हो जाती हैं। यही वजह है की सामान्यतः महिला के शरीर में ज्यादा Insulin का निर्माण होता हैं।
कुछ महिलाओं में Pancreas में पर्याप्त Insulin निर्माण नहीं होता है और परिणामतः रक्त में Glucose की मात्रा बढ़ जाती हैं और डायबिटीज हो जाता हैं। शरीर में हॉर्मोनल बदलाव भी इसका एक मुख्य कारण हैं। ऐसे तो गर्भावस्था के बाद अधिकतर महिलाओं में यह ठीक हो जाता है पर 40 से 50 % महिलाओं को आगे जीवन फिर से डायबिटीज होने का खतरा रहता हैं।
Pregnancy में Diabetes होने का खतरा किन महिलाओं को अधिक रहता हैं ?
लगभग 8% से 10 % महिलाओं को प्रेगनेंसी में डायबिटीज होता हैं। यह Gestational Diabetes किसी भी महिला को हो सकता है पर यह होने का खतरा अधिक बढ़ जाता हैं, अगर :
1. आपकी उम्र 25 साल या इससे अधिक हैं
2. आपके परिवार में किसी को डायबिटीज हैं जैसे माता, पिता, नाना, नानी, मौसी, बहन इत्यादि
3. आप मोटापे से ग्रस्त हैं या आपका BMI 30 या इससे अधिक हैं (पढ़े – कैसे पता करे अपना BMI)
4. आपको PCOS हैं या था (पढ़े – PCOS का कारण, लक्षण और उपचार)
5. आपको पहले प्रेगनेंसी में यह हो चूका हैं
6. आप नियमित कोई दवा लेती है जैसे की अस्थमा के लिए स्टेरॉयड दवा, ब्लड प्रेशर के लिए बीटा ब्लॉकर दवा या मानसिक समस्या की दवा
7. आपको इससे पहले की प्रेगनेंसी में 4 किलो से अधिक वजन वाले बच्चे को जन्म दिया है
प्रसव के दौरान पेट में पानी अधिक होना।
प्रेग्नन्सी मे Diabetes के क्या लक्षण हैं ?
ऐसे तो अधिकतर महिलाओं के गर्भकालीन मधुमेह का निदान प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य किये हुए परीक्षण में ही पता चल जाता हैं। Gestational Diabetes में कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आते हैं। Gestational Diabetes में आपको यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं :
1. प्रेगनेंसी में समतोल आहार लेने के बाद भी वजन न बढ़ना
2. अधिक प्यास लगना
3. अधिक भूक लगना
4. बार-बार पेशाब लगना
5. थकान
6. पेट में अधिक पानी भर जाना
7. पेशाब में संक्रमण होना
8. बार-बार बीमार होना
9. धुंधला दिखाई देना
प्रेग्नन्सी मे डायबिटीज का ईलाज कैसे किया जाता हैं ?
1. आहार : गर्भावस्था में मधुमेह होने पर महिला को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना जरुरी होता हैं। अगर डायबिटीज के कारण रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बेहद अधिक नहीं बढ़ी है तो महिला योग्य आहार और व्यायाम से ही इसे नियंत्रित कर सकती है। इसके लिए कोई दवा या इंजेक्शन नहीं लेना पड़ता।
2. इन्सलिन : अगर प्रेगनेंसी में डायबिटीज के कारण ग्लूकोस की मात्रा बेहद ज्यादा है और पथ्य पालन से भी नियंत्रित नही हो रहा है तो फिर इसमें इन्सुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं। डायबिटीज की गोली प्रेगनेंसी में सुरक्षित न होने की वजह से इसमें Human Insulin का उपयोग ही श्रेष्ठ रहता हैं।
डॉक्टर महिला की blood glucose level के अनुसार इन्सुलिन की मात्रा तय करते हैं और इसके इंजेक्शन दिन में 3 बार लेने होते हैं। आजकल pain less इंजेक्शन भी मिलते है जिसके कारण बिलकुल दर्द भी नही होता हैं। यह इंजेक्शन लेना बेहद आसान होता है और महिला इसे स्वयं घर पर भी लगा सकती हैं।
एक बात हमेशा याद रखे की अगर इन्सुलिन का इंजेक्शन लगाया है तो इसके तुरंत बाद कुछ खाना अवश्य है वरना शरीर में ग्लूकोस की मात्रा कम होने से Hypoglycemia होने का खतरा रहता हैं।
पढ़े – इन्सुलिन का इंजेक्शन कैसे और कहा दे सकते हैं
आपको हमेशा अपने ब्लड सुगर लेवल की जांच कराते रहना चाहिए ताकि दवा की मात्रा सही है या नहीं और आपकी ब्लड सुगर लेवल नियंत्रण में है या नहीं यह पता चल सके।
प्रेगनेंसी में ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए ? (Pregnancy Sugar level in Hindi)
1. भूखे पेट : 8 से 10 घंटे खाली पेट रहने के बाद प्लाज्मा ग्लूकोस (Fasting Blood Sugar) की मात्रा 70 mg/dl से 110 mg/dl के बिच होनी चाहिए।
2. खाने के बाद : भोजन शुरू करने के दो घंटे बाद प्लाज्मा ग्लूकोस (Post Prandial Blood Sugar) की मात्रा 110 mg /dl से 140 mg/dl के बिच होनी चाहिए।
3. HbA1C : ईसकी जाँच में मात्रा 6.2% से कम होना चाहिए।
4. Oral Glucose Tolerance Test ( OGTT ) : ईसमे प्लाज्मा ग्लूकोस की मात्रा 140 mg/dl से कम होना चाहिए।
5. पेशाब की जाँच : अगर पेशाब की रिपोर्ट मे Glucose के आगे present लिखा है या + (plus) का चिन्ह तो Diabetes का निदान होता हैं।
प्रेग्नन्सी मे डायबिटीज होने पर क्या खतरा होता हैं ?
प्रेगनेंसी में डायबिटीज होने पर अगर इसका समय पर सही उपचार न किया जाए तो निचे दिए हुए दुष्परिणाम हो सकते हैं। जैसे की :
1. जल्द प्रसव होना – pre term labor
2. ब्लड प्रेशर बढ़ना – Preeclampsia
3. स्थूल गर्भ – big size baby
4. जन्म के पश्च्यात बच्चे की sugar low होना या बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होना
बच्चे का शारीरिक / मानसिक विकास कम होना
क्या प्रेग्नन्सी मे डायबिटीज होने पर नॉर्मल डिलीवरी संभव हैं ?
प्रेग्नन्सी मे डायबिटीज होने पर आप नॉर्मल डिलीवरी की आशा रख सकते हैं। अगर आप प्रेग्नन्सी के समय डॉक्टर ने दी हुई सभी सूचनाओं का ठीक से पालन करते हुए अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण मे रखते है तो आप एक नॉर्मल डिलीवरी के साथ एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकते हैं।
क्या प्रेग्नन्सी मे इंसुलिन लेने के कोई नुकसान हैं ?
प्रेग्नन्सी मे डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर को नियंत्रण मे रखने के लिए Human Insulin के injection ही सबसे सुरक्षित उपचार हैं। डायबिटीज को नियंत्रण करने के लिए जो दवा या गोली दी जाती है वह प्रेग्नन्सी मे सुरक्षित नहीं होती हैं। वह दवा लेने से गर्भवती महिला और पेट मे पल रहे बच्चें दोनों को गंभीर दुष्परिणाम हो सकते है इसलिए दवा की जगह इंसुलिन देना सुरक्षित और असरदार उपाय हैं।
प्रेग्नन्सी मे इंसुलिन लेने से कोई नुकसान नहीं होता हैं। आपको केवल कुछ बातों का खयाल रखना है, जैसे की :
1. हमेशा इंसुलिन लेने के बाद आपको कुछ खाना जरूर है क्योंकि नहीं खाने पर आपकी ब्लड शुगर लेवल कम होने से आप बेहोश हो सकती है और पेट मे पल रहे बच्चे को भी शुगर कम होने से बच्चे का विकास रुक सकता हैं।
2. इंसुलिन का इन्जेक्शन लेते समय हर बार जहां इंसुलिन ले रहे है वह जगह spirit से साफ करे और 2 मिनिट बाद इंसुलिन लेना चाहिए।
3. इंसुलिन गर्म जगह पर न रखे अन्यथा उसकी कार्यक्षमता कम हो सकती हैं।
4. इंसुलिन लेने से पहले expiry date देख लेना चाहिए।
5. आप शरीर के किस हिस्सों पर इंसुलिन के इन्जेक्शन ले सकते है यह डॉक्टर से जान लेना चाहिए।
6. आपके इंसुलिन की सुई अन्य किसी के साथ share न करे और अपनी दवा अलग से रखे।
7. इंसुलिन लेने मे कठिनाई होई है या जोर देना पड़ता है तो इंसुलिन इन्जेक्शन की सुई block तो नहीं हुई है यह देख ले और सुई को बदल देना चाहिए।
8. इंसुलिन लेने का सही तरीका सिख ले और इन्जेक्शन देने के बाद उस जगह को आपको रगड़ना नहीं हैं।
क्या आप जानते हैं : घर पर ब्लड शुगर कैसे जाँच करे ?
यह जानकारी पढ़कर आप घबराइए मत। डॉक्टर की सलाह से उचित आहार और उपचार लेकर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है और अपने आप को भी स्वस्थ रख सकती हैं। प्रसव के बाद आपका डायबिटीज अपने आप ठीक हो सकता हैं। डॉक्टर इसकी पृष्ठि आपको आपकी रक्त जांच करने के बाद दे सकते हैं।
उपयोगी जानकारी : Diabetes से बचने के लिए क्या करे ?
अगर आपको यह प्रेग्नन्सी मे Diabetes के कारण, लक्षण और ईलाज की जानकारी उपयोगी लगती है तो कृपया इसे शेयर जरूर करे। अगर आपका प्रेग्नन्सी या Diabetes से जुड़ा कोई सवाल है तो कृपया नीचे कमेन्ट मे या Contact Us page पर जरूर पूछे। मैं जल्द से जल्द आपके सभी प्रश्नों के जवाब देने का प्रयास करूंगा।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।