सूर्य भगवान से ज्ञान और उर्जा प्राप्ति के लिए योग में ‘सूर्य नमस्कार’ (Suryanamaskar) किया जाता हैं। सूर्य नमस्कार योग को अंग्रेजी में Sun Salutation Yoga कहा जाता हैं। भारतवर्ष में सूर्य को ज्ञान और उर्जा का प्रतिक माना जाता हैं। सूर्य को दैनंदिन स्वरूप से पूजने का क्रम अविरत चला आ रहा हैं।
सूर्य नमस्कार अपने आप में एक सम्पूर्ण साधना है जो आसन, प्राणायाम, मंत्र और ध्यान तंत्र से परिपूर्ण हैं। सूर्यनमस्कार एक सरल और संपूर्ण व्यायाम हैं जिसकी बहुउपयोगिता तथा बहुआयामिता हमारे जीवन को तेजोमय, निरोगी तथा गतिशील बनाती हैं। हड्डियों की मजबूती के लिए वैसे तो कई योगासन आयुर्वेद में वर्णित है लेकिन सूर्यनमस्कार सबसे अधिक उपयोगी हैं।
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सूर्यनमस्कार कैसे करते है और इसके लाभ संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
सूर्य नमस्कार योग कैसे किया जाता हैं ? (Surya namaskar in Hindi)
सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन किये जाते हैं। इसमें की जानेवाली 12 शारीरिक स्तिथियों का संबंध 12 राशियों से होने के दावा भी किया जाता हैं। सूर्यनमस्कार करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय का होता हैं। अगर संभव हो तो इसे सूर्य की तरफ मुख कर स्वच्छ हवादार स्थान करने से ज्यादा लाभ होता हैं। सूर्यास्त के समय भी यह किया जा सकता हैं। समय न मिलने पर, इसे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है पर आपका पेट खाली होना आवश्यक हैं।
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सूर्य नमस्कार कैसे करे ? (Surya namaskar Yoga steps in Hindi)
सूर्यनमस्कार करने का क्रम इस प्रकार हैं :
- प्रणामासन: दोनों पैरो पर सीधे खड़े हो जाए और पैरो को एक दुसरे से मिलाकर रखे। आँखों को बंद कर दोनों हाथो के तलवे को एक दुसरे से वक्षपर (सिनेपर) मध्य में मिला दे। नमस्कार की मुद्रा धारण करे। इस आसन से एकाग्रता बढ़ती हैं और मानसिक शांति का लाभ होता हैं।
- हस्तउतानासन: अब दोनों हाथों को कुंहनियो (elbow) को सिधाकर सिर के ऊपर उठा ले। दोनों हाथों को अपने कंधो की चौड़ाई की दुरी पर रखे। अब हाथ, सिर तथा शरीर को क्षमता अनुसार पीछे की और मोड़े। इस आसन से पाचन प्रणाली प्रभावित होती हैं। हाथ, कंधे तथा मेरुदंड को शक्ति मिलती हैं। अतिरिक्त वजन कम कर मोटापा को दूर करने में लाभप्रद हैं।
- पादहस्तासन: अब धीरे-धीरे सामने की ओर झुकना हैं। दोनों हाथो को पैरो के बाजू मे रख कर भूमि को स्पर्श करे। माथे को घुटने से लगाने का प्रयास करे। ध्यान रहे की आपका घुटना सीधा रहना चाहिए। यह पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी कम करता हैं, कब्ज को दूर करता हैं, मेरुदंड लचीला बनाता है और पाचन प्रणाली मजबूत करता हैं।
- अश्वसंचालनासन: अब निचे की ओर झुककर हथेलियों को दोनों पैर की बाजू मे रखे। बाए पैर के तलवे को स्थिर रखकर दाहिने पैर को पीछे की ओर अपने क्षमतानुसार अधिकतम तान दे। बाए पैर के घुटने को मोड़ दे। शरीर का संतुलन समान बनाये रखे। सिर को अपने क्षमतानुसार पीछे और ऊपर की ओर मोड़े तथा पीठ की कमान (curve) बनाए। आसमान / छत की और देखे। इस आसन से पैरो के स्नायु मजबूत होते हैं। तंत्रिका प्रणाली (Nervous System) संतुलित होती हैं।
- पर्वतासन: अब बाए पैर को पीछे कर दाहिने पैर से मिला दें। नितंब (Hips) को ऊपर की और उठा दे। सिर को सामने झुकाकर दोनों हाथों के बिच रखे। हाथो को कुंहनियो से और पैर को घुटनों से सीधा कर पर्वत के समान आकर बनाए। एडियो को भूमि से लगाने का प्रयास करे। यह आसन हाथ-पैर के स्नायु तथा मेरुदंड को मजबूती प्रदान करता हैं।
- दंडासन: अब लंबी साँस लेते हुए दांये पैर को पीछे की ओर ले जाएं और शरीर को सीधा (straight) रखे। इससे आपके हाथ और पैर तो मज़बूत होंगे साथ में रीढ़ की हड्डी भी मज़बूत और लचीली बनेगी।
- अष्टांग नमस्कार: अब धीरे-धीरे निचे की ओर झुके और दोनों पैर की अंगुलिया, दोनों घुटने, दोनों हथेलिया, छाती तथा ठुड्डी यह आठ अंगो से भूमि को स्पर्श करे। इस आसन से हाथ-पैर तथा वक्षप्रदेश के स्नायु को मजबूती मिलती हैं।
- भुजंगासन: अब नितंब को धीर से निचे की ओर ले आए। हाथों को कुंहनियो से सीधा करे तथा सिर और पीठ को पीछे की ओर तानकर कमान जैसा करे। आकाश की ओर देखे। इस आसन में शरीर का आकर सर्प के समान होता है इसलिए इसे भुजंगासन कहते हैं। इस आसन से मेरुदंड लचीला होता हैं। प्रजनन संस्था और पाचन प्रणाली को फायदा होता हैं। पढ़े – भुजंगासन योग की विधि और फ़ायदे
- पर्वतासन: अब फिर से सिर और पीठ को सीधा कर पर्वतासन (point 5) क्रिया को दोहराना है।
- अश्वसंचालानासन: अब बाए पैर को दोनों हाथो के बिच रखकर अश्वसंचालनासन (point 4) करना हैं।
- पादहस्तासन: अब दोनों हाथो को पैर के बाजु में रखकर पादहस्तासन (point 3) करना हैं।
- हस्तउत्तानासन: अब दोनों हाथो, सिर और शरीर को पीछे की ओर मोडकर हस्तउत्तानासन (point 2) को दोहराना हैं।
- प्रणामासन: दोनों हाथो के तलवो को वक्ष पर रखकर प्रणामासन (point 1) करना हैं।
इस तरह सूर्यनमस्कार का अर्ध चक्र पूर्ण होता हैं। पूर्ण चक्र के अभ्यास में आसन क्र 4 तथा 9 में दाहिने पैर की जगह बाए पैर को पीछे ले जाना है और दाहिने पैर को जगह पर स्थिर रखना हैं। हम सपने क्षमतानुसार सूर्यनमस्कार का अभ्यास कर सकते है।
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सूर्य नमस्कार के फायदे क्या हैं ? (Health benefits of Surya namaskar in Hindi)
सूर्य नमस्कार एक सरल और बहुउपयोगी योगासन हैं। सूर्यनमस्कार से होनेवाले विविध लाभ की जानकारी निचे दी गयी हैं :
- बहुउपयोगी: सिर्फ एक सूर्य नमस्कार करने से ही 12 आसन करने का लाभ मिलता हैं।
- मज़बूत हड्डियाँ: सुबह सूर्योदय के समय खाली पेट सूर्य नमस्कार करने से हड्डियों को सूर्य की किरणों से Vitamin D भी मिलता है जिससे हड्डिया मजबूत बनती हैं।
- सुडौल शरीर: शरीर शिथिलीकरण, अंतर्गत मालिश तथा जोड़ और स्नायु को सुगठित करने के लिए सूर्यनमस्कार उत्तम योग हैं।
- पिंगला नाड़ी: सूर्यनमस्कार करने से शरीर को उर्जा देनेवाली पिंगला नाडी सुप्रवाहित होती हैं।
- आँखें: सूर्यनमस्कार करने से आँखों की रोशनी ठीक रहती हैं।
- लचीलापन: संपूर्ण शरीर लचीला बनता हैं।
- मोटापा: वजन कम करने में सहायक हैं।
- बालों का झड़ना: बालो का झड़ना और सफ़ेद होना कम होता हैं।
- संतुलित शरीर: शरीर की सभी प्रणालिया जैसे की – पाचन, श्वसन, प्रजनन, तंत्रिका और अन्तःस्त्रावी ग्रंथि को संतुलित किया जाता हैं।
- प्राणवायु प्रवाह: मस्तिष्क को प्राणयुक्त रक्त का प्रवाह प्रदान करता हैं।
- पेट की चर्बी: प्रसूति के 40 दिन बाद पेट को कम करने के लिए सूर्यनमस्कार उपयोगी हैं।
- मानसिक लाभ: मानसिक शांति और धैर्य प्रदान करता हैं।
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सूर्यनमस्कार से जुड़े सवालों के जवाब
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र कौन कौन से हैं?
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र निम्नलिखित हैं:
- ॐ मित्राय नमः (ॐ मित्र को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को मित्र के रूप में सम्बोधित करता है, जो जीवन में प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- ॐ रवये नमः (ॐ सूर्य को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को रवि के रूप में सम्बोधित करता है, जो ब्रह्मांड के शासक हैं।
- ॐ सूर्याय नमः (ॐ सूर्य को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को सूर्य के रूप में सम्बोधित करता है, जो जीवन का आधार हैं।
- ॐ भानवे नमः (ॐ भानु को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को भानु के रूप में सम्बोधित करता है, जो प्रकृति के प्रकाशक हैं।
- ॐ खगाय नमः (ॐ खग को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को खग के रूप में सम्बोधित करता है, जो आकाश में विचरण करते हैं।
- ॐ पुष्पदेवाय नमः (ॐ पुष्पदेव को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को पुष्पदेव के रूप में सम्बोधित करता है, जो फूलों को खिलने में मदद करते हैं।
- ॐ आदित्याय नमः (ॐ आदित्य को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को आदित्य के रूप में सम्बोधित करता है, जो सभी जीवों के लिए आदरणीय हैं।
- ॐ विष्णवे नमः (ॐ विष्णु को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को विष्णु के रूप में सम्बोधित करता है, जो ब्रह्मांड के संरक्षक हैं।
- ॐ शिवाय नमः (ॐ शिव को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को शिव के रूप में सम्बोधित करता है, जो ब्रह्मांड के विनाशक हैं।
- ॐ हरये नमः (ॐ हरि को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को हरि के रूप में सम्बोधित करता है, जो सभी पापों का नाश करने वाले हैं।
- ॐ मधुसूदनाय नमः (ॐ मधुसूदन को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को मधुसूदन के रूप में सम्बोधित करता है, जो मधु नामक राक्षस का वध करने वाले हैं।
- ॐ नारायणाय नमः (ॐ नारायण को नमस्कार) – यह मंत्र भगवान सूर्य को नारायण के रूप में सम्बोधित करता है, जो ब्रह्मांड के रक्षक और पालनकर्ता हैं।
सूर्य नमस्कार करते समय, प्रत्येक मुद्रा के साथ एक मंत्र का उच्चारण किया जाता है। यह मंत्रों का उच्चारण एकाग्रता और ध्यान को बढ़ाने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार में क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
सूर्य नमस्कार में निम्लिखित सावधानी बरतनी चाहिए :
1. बुखार, जोड़ो में सुजन होने पर सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।
2. अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, हर्निया, गंभीर ह्रदय रोग, चक्कर आना तथा मेरुदंड के गंभीर रोगी को सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।
3. मासिक धर्म के समय तथा गर्भावस्था के 4 महीने के बाद सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए ? (Best time to do Surya namaskar)
सूर्य नमस्कार योग करने का सही समय सुबह का है। सुबह सूर्योदय के समय सुबह 6 से 7 के बीच ख़ाली पेट सूर्यनमस्कार करने से सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता है। इस समय सूर्यनमस्कार करने से आपको सूर्यकीरणों से Vitamin D भी मिलता है। आप चाहे तो सूर्यनमस्कार करने के 10 से 15 मिनिट पहले थोड़ा पानी पी सकते है। आप चाहे तो शाम को 5 से 7 के बीच भी सूर्यनमस्कार कर सकते है पर इसे करने के कम से कम 1 घंटा पहले कुछ नहीं ख़ाना चाहिए।
सूर्य नमस्कार कितने समय तक करना चाहिए ?
आपको सूर्य नमस्कार कितने समय तक करना चाहिए यह चीज कई बातों पर निर्भर करती है जैसे कि आपकी आयु, आपकी क्षमता, आपको कोई अन्य बीमारी है या आप ने पहले कभी कोई व्यायाम किया है या नहीं। सामान्यतः रोज़ाना 5 सूर्यनमस्कार से शुरुआत कर रोज़ 1 सूर्यनमस्कार का चक्र बढ़ाते रहे और कम से किमी 12 सूर्यनमस्कार रोज़ करे। इसकी बात अगर आप कोई अन्य व्यायाम नहीं करते है तो अधिक सूर्यनमस्कार भी कर सकते है। ज़्यादातर Gym जाने वाले व्यक्ति सूर्यनमस्कार को warm up के लिए भी करते है क्यों कि इससे बुरी बॉडी का warm up एक व्यायाम में ही हो जाता है।
रोजाना 100 सूर्य नमस्कार करने से क्या होता है?
रोजाना 100 सूर्य नमस्कार करना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। 100 सूर्य नमस्कार से शरीर मजबूत बनता हैं, पाचन ठीक रहता हैं, वजन कम होता हैं, हार्ट का स्वास्थ्य ठीक रहतेहैं। ध्यान रहे की सूर्य नमस्कार की संख्या अभ्यास के साथ धीरे धीरे बढ़ाए।
20 सूर्य नमस्कार में कितनी कैलोरी बर्न होती है?
20 सूर्य नमस्कार में लगभग 100-200 कैलोरी बर्न होती हैं। यह आपके वजन, उम्र, लिंग, व्यायाम की गति आदि बातों पर निर्भर करता हैं।
क्या सूर्य नमस्कार से बॉडी बन सकती है?
हाँ, सूर्य नमस्कार से बॉडी बनाना संभव है। सूर्य नमस्कार एक बेहतरीन व्यायाम है जो आपके शरीर की सभी प्रमुख मांसपेशियों को काम करता है और उन्हें मजबूत बनाता है। यह वजन घटाने, लचीलापन और गतिशीलता में सुधार, और रक्त संचार में सुधार करने में भी मदद करता है।
सूर्य नमस्कार के बाद मुझे कब खाना चाहिए?
सूर्य नमस्कार के बाद आपको कम से कम 30 मिनट तक कुछ भी नहीं खाना-पीना चाहिए। योग करने के बाद शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होता है और पाचन क्रिया धीमी होती है। यदि आप तुरंत खाना खाते हैं, तो आपके शरीर को भोजन को पचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और आपको थकान और सुस्ती महसूस हो सकती है।
सूर्य नमस्कार से कितने दिन में वजन कम होता है?
सूर्य नमस्कार करने से 1-2 महीने में वजन कम होने लगता है। यदि आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करते हैं, स्वस्थ आहार खाते हैं और पर्याप्त पानी पीते हैं, तो आप 3-6 महीने में 5-10 किलोग्राम वजन कम कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार से पहले क्या करना चाहिए?
सूर्य नमस्कार करने से पहले 5-10 मिनट तक हल्का वार्म-अप करें। इसमें जॉगिंग, स्ट्रेचिंग और गतिशीलता व्यायाम शामिल हो सकते हैं।
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आज कई नामी हस्तिया भी खुद को फिट रखने हेतु सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास करते हैं। सूर्यनमस्कार से सभी अंगो को लाभ मिलता है इसलिए इसे ‘सर्वांग व्यायाम’ भी कहते हैं। शारीरिक और मानसिक लाभ के लिए इसका अभ्यास नियमित करना चाहिए।
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सूर्य नमस्कार योग की सम्पूर्ण विधि का यू ट्यूब वीडियो
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
1. सूर्य नमस्कार योगाभ्यास का अभिन्न अन्ग है और पुरे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है.
2. सूर्य हमें – पूरे विश्व को उर्जा देता है (पर ज्ञान शायद नहीं ).
3. मेरे विचार में सूर्य नमस्कार एक आसन है और इसे व्यायाम नहीं कहना चाहिए.
4. मेरे विचार में सूर्य एक भौतिक वास्तु है इसे भगवान न कहें तो अच्छा होगा.
5. जो सूर्य नमस्कार करेगा वो लाभ जान पाएगा दूसरा नहीं
यह अत्यंत लाभकारी है.मासिक धर्म के दौरान क्यों नहीं करना चाहिये.
मासिक धर्म के समय कोई भी शारीरक परिश्रम नहीं करना चाहिए .
क्या सूर्य नमस्कार स्नान करकेकरना चाहिए या नहींtell me 8518068366
Surya Namaskar Swasth rahne ke liye bahut labhdayak he