वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) को सामान्य हिंदी भाषा में हम ‘मकड़ी नस‘ भी कहते हैं, नसों का वह विकार है जिसमे नसे त्वचा की ऊपरी सतह पर उभरी हुई दिखाई देती हैं। ऐसे तो शरीर के किसी भी नस (Veins) में यह विकार हो सकता हैं पर ज्यादातर पैरों के नसों में यह समस्या अधिक पायी जाती हैं। सूजी हुई यह नसे लाल, नीली या हरी रंग की हो सकती हैं।
कुछ लोगों के लिए वैरिकोज वेन्स यह केवल एक सौन्दर्य समस्या हो सकती है तो कुछ लोगो में वैरिकोज वेन्स के कारण पैरों में अत्याधिक दर्द और अलसर तैयार हो सकते हैं। कभी-कभी इनमे से bleeding होने का खतरा भी रहता हैं।
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वैरिकोज वेन्स के कारण, लक्षण और दुष्परिणाम से जुडी जानकारी नीचे दी गयी हैं :
वैरिकोज वेन्स के क्या कारण हैं ? (Varicose Veins causes in Hindi)
वैरिकोज वेन्स के कारणों की जानकारी निचे दी गयी हैं :
- उम्र (Age) : जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे नसों की लवचीकता / Elasticity कम हो जाती है जिस वजह से नसों में मौजूद valves ढीले पड़ जाते हैं। यही कारण है की पैरों से दिल के तरफ जानेवाला कुछ ऑक्सीजन रहित / deoxygenated रक्त नसों में जम जाता है जिससे नसे नीली पड़ जाती है और फूलने लगती हैं।
- लिंग (Sex): महिलाओं में पुरुषों की तुलना में वैरिकोज वेन्स होने की संभावना 2-3 गुना अधिक होती है।
- गर्भावस्था (Pregnancy) : कुछ महिलाओं में गर्भावस्था में Varicose Veins की समस्या निर्माण हो जाती हैं। गर्भावस्था में पैरों से ऊपर की तरह बाह रहे रक्त का बहाव धीमा हो जाता हैं जिससे यह समस्या होती हैं।
- आनुवंशिकता (Hereditary) : अगर आपके परिवार में यह समस्या किसी को है तो आपको यह समस्या होने की आशंका अधिक हैं।
- मोटापा (Obesity) : मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों में वैरिकोज वेन्स की समस्या अधिक रहती हैं।
- काम (Job) : जो व्यक्ति लंबे समय तक खड़े रहने या बैठे रहने का काम करते हैं ऐसे लोगों में वैरिकोज वेन्स होने का जोखिम अधिक रहता हैं।
- व्यायाम (Exercise) : ऐसे व्यक्ति जो किसी भी प्रकार का कोई व्यायाम नहीं करते हैं और आरामदायक जीवन जीते है ऐसे लोगो में Varicose Veins होने का जोखिम अधिक रहता हैं।
- कब्ज (Constipation): कब्ज के कारण पेट में दबाव बढ़ सकता है, जिससे वैरिकोज वेन्स हो सकते हैं।
- धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे वैरिकोज वेन्स हो सकते हैं। धूम्रपान से ब्लड वेसल सिकुड़ जाती है।
- तंग कपड़े (Tight Clothes): तंग कपड़े पहनने से आपके पैरों में रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है, जिससे वैरिकोज वेन्स हो सकते हैं।
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वैरिकोज वेन्स के लक्षण क्या हैं ? (Varicose Veins symptoms in Hindi)
वैरिकोज वेन्स में निचे दिए हुए लक्षण नजर आते हैं :
- नसों (Blood vessels) में सूजन
- नसों का रंग नीला / लाल या हरा पड़ना
- नसों से रक्तस्त्राव होना
- पैरों में सूजन
- खून का जमना
- खुजली आना
- त्वचा का फटना
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वैरिकोज वेन्स के क्या दुष्परिणाम हैं ? (Varicose Veins complications in Hindi)
वैरिकोज वेन्स के कारण निचे दिए हुए दुष्परिणाम हो सकते हैं :
- दर्द और सूजन (Pain and Swelling): वैरिकोज वेन्स पैरों में दर्द, भारीपन, थकान और सूजन का कारण बन सकते हैं। यह दर्द हल्का या गंभीर हो सकता है और यह रात में बदतर हो सकता है।
- जख्म (Ulcer): Varicose Veins के कारण Varicose Veins के पास बेहद पीड़ादायक जख्म निर्माण हो सकती हैं। ऐसे जख्म ठीक होने में ज्यादा समय लेते है और इनमे दर्द अधिक होता हैं।
- रक्त का जमना (Blood Clot): अधिक समय तक रक्त एक जगह पर रहने से रक्त के जमने / clot होने का खतरा रहता हैं। जमे हुए रक्त का छोटा टुकड़ा टूट कर अगर ब्लड सर्कुलेशन में आ जाये तो ऐसा टुकड़ा फेफड़ो या मस्तिष्क में फंस कर जानलेवा साबित हो सकता हैं। वैरिकोज वेन्स में रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है, जिसे गहरी शिरापरक थ्रोम्बोसिस (DVT) कहा जाता है। DVT एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- रक्तस्त्राव (Bleeding): Varicose Veins अधिक फूलने से फट कर रक्तस्त्राव होने का खतरा रहता हैं।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव (Low Confidence): वैरिकोज वेन्स लोगों के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को प्रभावित कर सकते हैं।
- अन्य दुष्परिणाम: वैरिकोज वेन्स अन्य दुष्परिणामों का कारण बन सकते हैं, जैसे कि:
- पैरों में कमजोरी
- पैरों में सुन्नता
- चलने में कठिनाई
- पैरों में संक्रमण
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Varicose Veins के विभिन्न दुष्परिणाम के बारे में जानकारी मिलने के बाद आपको यह ध्यान में आ गया होंगा की सामान्य सी दिखनेवाली यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
वैरिकोज वेन्स का ईलाज कैसे किया जाता हैं ? (Varicose Veins treatment in Hindi)
वैरिकोज वेन्स के लिए किये जानेवाले विभिन्न उपचार की जानकारी निचे दी गयी हैं :
- खास जुराबे (Compression Stockings): वैरिकोज वेन्स में धीमे पड़े हुए रक्त के बहाव को फिर से गति देने के लिए और वैरिकोज वेन्स में खून इखट्टा होने से रोकने के डॉक्टर रोगी को विशेष दबाव देने वाले जुराबे (socks) जिसे मेडिकल भाषा में Compression Stocking कहा जाता हैं, पहनने के लिए देते हैं। ऐसे जुराबे पहनने से Varicose Veins को शुरुआती दौर में ही रोका जा सकता हैं।
- इंजेक्शन (Sclerotherapy): अगर जुराबे पहनकर भी वैरिकोज वेन्स में कोई बदलाव नहीं आ रहा है तो ऐसे फूली हुई वैरिकोज वेन्स में डॉक्टर एक विशेष प्रकार का इंजेक्शन देते हैं जिससे ऐसे वैरिकोज वेन्स में रक्तप्रवाह बंद हो जाता है और वैरिकोज वेन्स मुरझा कर निकल जाते हैं। इसके लिए आपरेशन में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती और नाही ही रोगी को बेहोश करना पड़ता हैं।
- लेज़र (Laser Therapy): आजकल बड़ी और छोटी Varicose Veins को लेज़र के नए तरीके से निकाला जाता हैं। Varicose Veins पर लेज़र लाइट देकर उन्हें बंद किया जाता है जिससे वह मुरझा कर निकल जाते हैं। इस उपचार में रोगी को कोई इंजेक्शन देने की भी जरुरत नहीं पड़ती हैं।
- दवाएं: दर्द निवारक दवाएं, जैसे कि ibuprofen या acetaminophen, वैरिकोज वेन्स के कारण होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं, जैसे कि ibuprofen या naproxen, वैरिकोज वेन्स के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- अन्य (Others): ऊपर दिए हुए तरीको के अलावा जरुरत पड़ने पर Ligation-Stripping, Ambulatory Phlebectomy या Endoscopic Varicose Veins Surgery भी की जा सकती हैं। गर्भावस्था में निर्माण होनेवाली Varicose Veins की समस्या बिना इलाज के भी डिलीवरी के बाद 3 से 12 महीने में ठीक हो जाता हैं।
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वैरिकोज वेन्स के आयुर्वेदिक उपचार और घरेलु नुस्खे क्या हैं ?
- जीवनशैली (Lifestyle): अगर आप सुस्त जीवनशैली जी रहे है तो तुरंत अपने जीवनशैली में बदलाव लाये। रोजाना कम से कम 1 घंटा कोई व्यायाम करे जैसे की चलना, जॉगिंग, दौड़ना, स्विमिंग, एरोबिक, साइकिल चलाना इत्यादि। लंबे समय तक लगातार बैठे या खड़े न रहे। अधिक भारी वजन न उठाये। रात को सोते समय पैरों के निचे 2 तकिये रखे। बैठते समय एक पैर के ऊपर दूसरा पैर मोड़कर न रखे।
- कपडे (Cloths): अधिक तंग / tight कपडे, जुराबे या जूते न पहने। हाई हील वाली सैंडल न पहने।
- आहार (Diet): संतुलित आहार ले। अधिक फास्टफूड या नमकीन या तलीहुई चीजों का सेवन न करे। खाने में नमक का प्रमाण कम रखे। अपने आहार में विटामिन B और विटामिन C युक्त आहार का समावेश अधिक करे जैसे की अमरुद, संतरा, बीटरूट, टमाटर, सूर्यफुल बीज, केला, अवाकाडो, रतालू इत्यादि। लहुसन, प्याज और अदरक जैसे एंटी ऑक्सीडेंट का सेवन करने से भी लाभ होता हैं।
- मोटापा (Obesity): अगर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है तो इसे नियंत्रण मे करे।
- मसाज / Gentle Massage: पैरों को हल्का मसाज करने से लाभ मिल सकता हैं। पैरो को मसाज करते समय निचे लेटकर पैरो को ऊपर की ओर रखे और किसी व्यक्ति को पैरो के निचे से ऊपर की ओर हलके हाथों से मसाज करने को कहे। मसाज करने के लिए आप एरंडी का या सरसों का तेल उपयोग में ला सकते हैं। ध्यान रहे की मसाज करते समय अधिक बल का प्रयोग न करे।
- मिटटी का लेप (Mud Pack): रात को सोने से पहले अपने पैरों पर मुल्तानी मिटटी का लेप लगाकर सोए और सुबह उठने के बाद इसे धोकर निकाल दे। यह लेप सूखने के बाद Compression Stocking की तरह ही लाभ देता है और साथ में त्वचा को detoxify भी करता हैं।
- आदतें (Habit): शराब, धूम्रपान, गुटखा या तम्बाखू जैसे ख़राब आदतों से दूर रहे।
- आयुर्वेद (Ayurveda): वैरिकोज वेन्स से राहत मिलने के लिए आप अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ब्राम्ही, जसद भस्म, चंद्रप्रभावटी, पुनर्नवादि गुग्गुल, सहचरादि कषाय, महामंजिष्ठादि कषाय, रस तैल, चंदनबला तैल इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। अर्जुन की छाल Varicose Veins में बेहद उपयोगी हैं। रात के समाय 200 ml दूध में स्वच्छ अर्जुन की छाल को उबाले और आधा रहने के बाद इसे छान कर पिने से 10 दिन में लाभ दिखने शुरू हो जाते हैं।
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वैरिकोज वेन्स के रोगी को कौन से योग करना चाहिए ? (Yoga for Varicose veins in Hindi)
वैरिकोज वेन्स में Yoga करने से बेहद लाभ मिलता हैं। वैरिकोज वेन्स से राहत पाने के लिए निचे दिए हुए योग करने चाहिए। योग की विधि जानने के लिए योग के नाम के ऊपर click करे।
- हलासन: यह आसन रीढ़ की हड्डी को खींचने और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
- विपरीत करनी: यह आसन पैरों को ऊंचा करके रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- पवनमुक्तासन
- सर्वांगासन
- सर्वांगासन: यह आसन पूरे शरीर को उल्टा करके रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- त्रिकोणासन: यह आसन रीढ़ की हड्डी को खींचने और पैरों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
- वृक्षासन: यह आसन संतुलन और एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है।
- ताड़ासन: यह आसन पैरों को मजबूत बनाने और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- पश्चिमोत्तानासन: यह आसन रीढ़ की हड्डी को खींचने और पैरों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
- सूर्यनमस्कार
- शवासन
- भस्त्रिका प्राणायाम
इस तरह आप ऊपर दिए हुए उपाय को अपने डॉक्टर की सलाह से अपनाकर Varicose Veins की समस्या से बच सकते है और इसके असर को भी कम कर सकते हैं। वैरिकोज वेन्स का समय पर उपचार और बचाव के तरीके अपनाकर आप इस रोग से होनेवाले दुष्परिणाम और परेशानी से बच सकते हैं।
वैरिकोज वेन्स से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
वैरिकाज़ नसों की शुरुआत कैसे होती है?
वैरिकाज़ नसों की शुरुआत तब होती है जब पैरों में स्थित नसों में खराबी आ जाती है। ये नसें रक्त को हृदय वापस ले जाने का काम करती हैं। जब ये नसें कमजोर हो जाती हैं या वाल्व खराब हो जाते हैं, तो रक्त नसों में जमा हो जाता है। यह नसों को सूज जाने और उभरने का कारण बनता है।
वैरिकाज़ नसों का इलाज कब किया जाना चाहिए?
वैरिकाज़ नसों का इलाज तब किया जाना चाहिए जब आपको गंभीर दर्द, सूजन, या थकान है, आपको रक्त के थक्के हैं, आपको DVT या PE का खतरा अधिक है, वैरिकाज़ नसें आपके दैनिक जीवन में बाधा डाल रही हैं या फिर आप वैरिकाज़ नसों की वजह से परेशान हैं।
क्या 30 की उम्र में वैरिकाज़ नसों का होना बुरा है?
वैरिकाज़ नसें किसी भी उम्र में हो सकती हैं, लेकिन वे 30 साल की उम्र के बाद अधिक आम हो जाती हैं। 30 की उम्र में वैरिकाज़ नसें होना बुरा नहीं है, लेकिन यह कुछ हेल्थ इश्यूज का संकेत हो सकता है। यदि आपको 30 की उम्र में वैरिकाज़ नसें हैं, तो डॉक्टर से बात करना जरुरी है।
क्या वैरिकाज़ नसें जीवन के लिए खतरा हैं?
नहीं, वैरिकाज़ नसें आमतौर पर जीवन के लिए खतरा नहीं होती हैं। वे दर्दनाक और असहज हो सकती हैं, लेकिन वे आमतौर पर किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण नहीं बनती हैं। कुछ मामलो में DVT जैसे complication होने पर यह गंभीर हो सकता है। यदि आपको वैरिकाज़ नसें हैं, तो डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।