बवासीर (Piles) के लक्षण, प्रकार और कारण | Bavasir ka lakshan

Bavasir ka lakshan kya hai

बवासीर या पाइल्स (Piles) यह मलद्वार (गुदाभाग / Anus) में होनेवाली एक बेहद पीड़ादायक बीमारी है। अंग्रेजी में इसे Hemorrhoids कहा जाता हैं। यह रोग पीड़ित व्यक्ति को किसी शत्रु के भाति निरंतर पीड़ा देता रहता है और इसलिए इसे आयुर्वेद में अर्श नाम दिया गया हैं। महिलाओं की तुलना में यह बीमारी पुरुषों में अधिक पायी जाती हैं।

बवासीर के कारण, लक्षण, और प्रकार से जुडी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

बवासीर किसे कहते हैं ? (What is Piles in Hindi)

हमारे शरीर में गुदा (Anus) भाग में रक्त नलिकाए होती है। किसी दबाव या अन्य कारण से गुदाभाग के अंदरुनी और बाहरी भाग और मलाशय के निचले हिस्सों की रक्त नलिकाओ में सूजन आ जाती हैं। इस वजह से गुदाभाग में अंदर या बाहर मस्से जैसे स्तिथि निर्माण हो जाती हैं।

बवासीर के प्रकार कितने हैं ? (Types of Piles in Hindi)

बवासीर / पाइल्स के स्थान और समस्या की तीव्रता के अनुसार बवासीर के मुख्य दो प्रकार हैं।
1. अंदरुनी बवासीर / Internal Haemorrhoids – गुदा के अंदर होने के कारण कई बार रोगी को पता भी नहीं चलता है की वह इस समस्या से पीड़ित हैं। तीव्रता अनुसार इसके 3 प्रकार किये जाते हैं।
प्रथम स्टेज – इस स्टेज में गुदा के अंदर रक्त नलिकाओं में छोटी से सूजन होती हैं। इसमें दर्द नहीं होता हैं। कभी कब्ज या अन्य कारण से मलत्याग करते समय अधिक जोर लगाने पर मरीज गुदा भाग से खून आने की शिकायत करता हैं।
दूसरी स्टेज – इस स्टेज में सूजन थोड़ी ज्यादा होती हैं। मलत्याग करते समय जोर लगाने पर खून के साथ मस्से भी बाहर आ जाते हैं। मलत्याग करने पर यह अपने आप अंदर चले जाते हैं।
तीसरी स्टेज – इस स्टेज में सूजन अधिक होती हैं। मलत्याग करते समय मल के साथ खून और मस्से बाहर आते है। मलत्याग करने के बाद यह हाथ से अंदर करने पर ही यह अंदर जाते हैं।
चौथी स्टेज – इसमें पीड़ा बेहद ज्यादा होती हैं। मल त्याग करते समय जोर लगाने पर खून आता है और मस्से बाहर आ जाते है जो हाथ से अंदर धकेलने पर भी जल्द अंदर नहीं जाते हैं।
2. बाहरी बवासीर / External Haemorrhoids – यह छोटी-छोटी गाठें होती है जो गुदा के बाहरी परत पर रहती हैं। कभी-कभी इसमें रक्त के जम जाने के कारण असहनीय पीड़ा और रक्तस्त्राव होता है। ऐसे समय तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। गुदाभाग से खून आना यह आंत के कैंसर की निशानी भी हो सकता है इसलिए ऐसे समय घरेलु उपचार में समय बर्बाद करने की जगह एक बार डॉक्टर का परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

बवासीर का लक्षण क्या हैं ? (Piles Symptoms in Hindi)

बवासीर के लक्षण की जानकारी निचे दी गयी हैं :
1. मलत्याग के साथ रक्तस्त्राव होता हैं। यह राहत बूंदो या धार के रूप में निकलता हैं। इसमें दर्द नहीं होता हैं। अगर आपको बवासीर के साथ गुदचीर (Fissure) भी है तो दर्द के साथ रक्तस्त्राव होता हैं।
2. पीड़ित व्यक्ति जब मलत्याग करने के लिए जोर लगाता है तो मल के साथ मस्से भी गुदाभाग से बाहर आता है। कभी यह अपने आप अंदर चले जाते है तो कुछ रोगियों में इसे हाथ से अंदर डालना पड़ता हैं।
3. कुछ रोगियों में मल के साथ में कफ / mucus / श्लेष्मिक स्त्राव बाहर निकलता हैं।
4. गुदाभाग में खुजली होना।

बवासीर का कारण क्या हैं ? (Piles causes in Hindi)

बवासीर यह एक ऐसा रोग है जो किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता हैं। यह एक बेहद आम रोग है और विश्व के लगभग 50% लोग इस रोग से कभी न कभी पीड़ित रहते हैं। बवासीर होने के प्रमुख कारणों की जानकारी निचे दी गयी हैं :
1. कब्ज / Constipation : कब्ज की वजह से मलत्याग करते समय जोर लगाने के कारण गुदा के आसपास के रक्त नलिकाओं पर निरंतर दबाव पड़ने के कारण बवासीर हो जाता हैं। अगर आप कब्ज की समस्या से पीड़ित ही तो उससे निजात पाना चाहिए। कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय पढ़ने के लिए यहाँ click करे – कब्ज का प्रभावी उपचार और असरदार घरेलु आयुर्वेदिक उपाय 
2. गर्भावस्था / Pregnancy : कई महिलाओं को गर्भावस्था के समय बवासीर की शिकायत होती है। पेट में पल रहे गर्भ के दबाव और शरीर में होने वाले हॉर्मोन्स में बदलाव का रक्त नलिकाओं पर होने वाले असर के कारण बवासीर होता हैं।
3. बुढ़ापा / Ageing : उम्र के साथ गुदाभाग भाग का अंदरुनी हिस्सा कमजोर पड़ने के कारण बवासीर होता हैं।
4. अनुवांशिकता / Hereditary : कुछ व्यक्तिओं में बवासीर की तकलीफ अनुवांशिक कारणों से भी होती हैं। अनुवांशिक कारणों से रक्त नलिकाओं की अंदरुनी परत कमजोर होने से बवासीर होता हैं।
5. गुद मैथुन / Anal Sex : अप्राकृतिक गुद मैथुन करने से दबाव के कारण बवासीर की शिकायत होती हैं।
6. मोटापा / Obesity : जिन लोगों का वजन सामान्य से अधिक है और पेट काफी बड़ा है ऐसे लोगों में पेट के बढ़ते दबाव के कारण बवासीर होता हैं।
7. वजन उठाना / Weight Lifting : अधिक भार उठाते समय सांस रोककर रखने से गुदाभाग पर दबाव पड़ता है और बवासीर की शुरुआत हो जाती हैं।
8. आहार / Diet : यह बवासीर का सबसे अहम कारण हैं। अगर आप समतोल पौष्टिक आहार लेते है और एक अच्छी जीवनशैली रखते है तो बवासीर से बच सकते हैं। अधिक तीखा, तला हुआ, फ़ास्ट फ़ूड और शीत पेय पिने से पाचन भी कमजोर होता है और कब्ज भी हो जाती हैं।
9. जीवनशैली / Lifestyle : आहार के साथ आपको  जीवनशैली पर भी नजर रखनी चाहिए। लम्बे समय तक बैठे रहना या खड़े रहना, शराब, धूम्रपान, तंबाकू सेवन यह सब ऐसी आदतें है जो बवासीर का कारण हैं।

अभी तक तो आपको यह समझ में आ गया होगा की बवासीर होने के लिए कोई और नहीं बल्कि हमारी आदतें जिम्मेदार होती हैं। बवासीर क्यों होता है और उसके लक्षणों की जानकारी लेने के बाद, बवासीर को ठीक करने के लिए क्या किया जाना चाहिए और बवासीर से कैसे बचा जा सकता है यह जानने के लिए कृपया यहाँ click करे – बवासीर का एलोपैथिक और आयुर्वेदिक उपचार और बचने के उपाय !
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