गुडुची यह एक प्रसिद्द आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल कई रोगों को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक दवा और घरेलु नुस्खों में किया जाता हैं। आपने टीवी पर रामदेव बाबा को भी गुडुची सत्व और पाउडर का उपयोग बताते हुए सुना होगा। Patanjali की तरह Himalaya कंपनी द्वारा भी Guduchi capsule बनायीं जाती है जो की एक प्रसिद्द औषधि हैं।
गुडूची को आम आम भाषा में गिलोय या गुळवेल कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में Gulancha tinospora व लैटिन में Tinospora cordifolia कहा जाता है। यह दवा रोगों से शरीर की रक्षा करती है इसीलिए ‘गुडूची’, अमृतरूप होने के कारण ‘अमृता’, वय यौवन की रक्षा करती है इसलिए ‘वयःस्था’ भी कहा जाता है। आज के इस लेख में हम आपको गुडुची के औषधि उपयोग और घरेलु नुस्खों की जानकारी देने जा रहे हैं :
गुडूची को आम आम भाषा में गिलोय या गुळवेल कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में Gulancha tinospora व लैटिन में Tinospora cordifolia कहा जाता है। यह दवा रोगों से शरीर की रक्षा करती है इसीलिए ‘गुडूची’, अमृतरूप होने के कारण ‘अमृता’, वय यौवन की रक्षा करती है इसलिए ‘वयःस्था’ भी कहा जाता है। आज के इस लेख में हम आपको गुडुची के औषधि उपयोग और घरेलु नुस्खों की जानकारी देने जा रहे हैं :
गुडुची के फायदे, आयुर्वेदिक उपयोग और घरेलु नुस्खे
Guduchi uses and Home remedies in Hindi
गुडुची औषधि का परिचय
- गुडुची औषधि यह बहूवर्षायू, मांसल, आरोही, झाड़ीदार लता है। यह नीम आदी वृक्षोंपर कुंडलाकार चढ़ती है। नीम पर लगनेवाली गिलोय सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, क्योंकि नीम की वजह से इसमें प्रतिकारक्षमता का गुण औऱ बढ़ जाता है।
- भारत में सर्वत्र 100 फ़ीट तक कि ऊंचाई पर यह पाई जाती है।
- संग्रह – जहां तक संभव हो गुडुची के ताजे वेल का प्रयोग करना चाहिए। अगर संग्रह करना हो तो ग्रीष्म ऋतु में वर्षा से पहले इस का संग्रह करना चाहिए।
- गुडूची के गुण – आयुर्वेद में गुडूची को त्रिदोष शामक, सप्तधातुवर्धक व रसायन, ज्वरनाशक, रक्तशोधक, रक्तवर्धक, दीपन, पाचन करनेवाली और आमपाचक कहा गया है। आधुनिक विज्ञान में भी गुडूची के Anti Viral, Antibacterial, Anti allergic, Anti inflammatory, Anti Cancer, Anti oxidant, Anti Ulcer, Anti stress, Immuno modulatory, Hepato ptrotective और Hypo Glycemic आदि कई गुण बताए गए है।
- प्रयोज्य अंग – गुडूची का कांड, पत्र, मूल चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। गुडूची पत्र का लेप विसर्प, कुष्ठ और त्वचा विकार में किया जाता है।
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गुडुची के विशिष्ट कल्प ( दवाइयां )
कई प्रसिद्ध दवाइयां जैसे अमृतारिष्ट, गुडूची सत्व, संजीवनी वटी, चंद्रप्रभा वटी,दशमूलारिष्ट आदि में गुडूची का अंतर्भाव होता है। आयुर्वेद का कोई भी गुग्गुल कल्प बिना गुडूची का पूरा नही होता है। गुडूची के वजह से वह दवाई का गुण भी बढ़ता है साथ ही वह कई महीनों तक खराब नही होती है।
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गुडुची का उपयोग किस रोग में होता हैं ?
गुडुची का उपयोग निम्न व्याधि में होता है।
- अम्लपित्त ( acidity )
- दाह – छर्दी ( vomiting ),
- संग्रहनी ( IBS – Irritable Bowel Syndrome ),
- यकृत के व्याधि ( liver diseases ) जैसे पांडुरोग ( anemia ), कामला ( jaundice ),
- ज्वर ( fever ),
- आमवात ( rheumatoid arthritis ),
- वातरक्त ( gout ),
- मधुमेह ( diabetes ),
- कास ( cough ),
- कुष्ठ ( leprosy ),
- दमा ( Asthma )
- नपुंसकता, बांझपन (Infertility)
- मासिक चक्र सम्बन्धी बीमारियां (Menstrual disorder)
- अनिद्रा (Insomnia)
- शारीरिक दुर्बलता (Weakness) आदि।
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गुडूची के औषधि उपयोग
गुडुची रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में है कारगर
- आजकल कहा जाता है कि अगर हमारे शरीर की प्रतिकार क्षमता अच्छी रही तो हम कई बीमारियों से लड़ सकते हैं।
- रोग प्रतिकार क्षमता बढ़ाने में गुडुची काफी असरकारक होती है।
- किसी किसी की इम्युनिटी काफी कमजोर होती है और बार बार सर्दी, जुखाम, बुखार, गला खराब होते रहता हैं।
- थोड़ा मौसम बदला नही की बुरा हाल हो जाता है। इसे एलर्जी का नाम भी दिया जाता है।
- माना गया है, की इम्युनिटी को बढ़ाने में गुडूची से बेहतर कोई दूसरी औषधि नही है।
- छोटे बच्चों में भी गुडुची का ३ महीने का कोर्स करने से बार-बार कफ के रोग होना बंद हो जाता हैं।
गुडुची वजन घटाने में है असरदार
- प्रसिद्ध योगगुरु बाबा रामदेव के अनुसार गुडूची का सेवन करनेवाला व्यक्ति 1 महीने में करीब 15 kg वजन कम कर सकता है।
- सुबह शाम एक डंठल का काढ़ा बनाकर पीने से वजन कम होने में काफी मदत होती है।
- साथ मे जरूरी योगभ्यास करे व सही आहार का सेवन करे।
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मधुमेह का रामबाण इलाज है गुडूची
- मधुमेह को नियंत्रित रखने में गुडूची एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गिलोय में हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाए जाते है, इस वजह से मधुमेह के रोगियों के लिए गिलोय किसी वरदान से कम नही होता।
- आप रोजाना गिलोय का जूस पीकर अपने बढ़ी हुई शुगर को कम कर सकते है।
- ब्लड शुगर को कण्ट्रोल करने में गुडुची उपयोगी हैं।
डेंगू और मलेरिया में प्लेटलेट को बढ़ाती है गिलोय
- प्लेटलेट बढ़ाने में आधुनिक विज्ञान में कोई विशेष औषधि नही है।
- एक अनुसंधान के अनुसार गुडूची प्लेटलेट्स को बढ़ाने में एक अद्वितीय औषधि है।
- इसे एलोवेरा और पपीते के पत्तों के रस के साथ सेवन करे तो 1 दिन में ही आपका प्लेटलेट बढ़ने लगेगा व करीब हफ्ते भर में सामान्य मात्रा में आ जायेगा।
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गुडुची से मिलता हैं आर्थराइटिस के दर्द से राहत
- रात को गिलोय को पानी में भिगोकर सुबह काढ़ा बनाकर पिएं व सुबह भीगाकर शाम में काढ़ा बनाकर पिएं।
- ऐसा हर रोज दो बार करने से आर्थराइटिस से होने वाले जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी।
गुडुची हैं ज्वरनाशक
- गुडूची को ‘बुखार की बूटी’ भी कहा जाता है।
- जीर्ण ज्वर अर्थात पुराने बुखार, जो काफी समय से नही ठीक हो रहा है या आता जाता रहता है, उसमे गुडूची काफी फायदेमंद होती है।
- इसमें गुडूची सत्व का प्रयोग करे।
गुडुची से करे पित्त रोग का सफाया
- गुडुची पित्तज बीमारियां जैसे एसिडिटी, सीने में जलन, अजीर्ण, कब्ज, यूरिन में जलन हो, त्वचा में खुजली, जलन हो , खून की कमी हो तो गुडूची काफी उपयोगी है।
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गुडुची से त्वचा का रखे खास ख्याल
- गुडूची में एंटीएजिंग, एंटीऑक्सीडेंट गुन पाए जाते है, जिस वजह से गिलोय के नियमित सेवन से त्वचा लंबे समय तक जवां रहती है।
- मुंहासे, दाद, एक्जिमा आदि समस्याए भी गिलोय के सेवन से दूर रहती है।
गुडुची के घरेलु नुस्खे Guduchi home remedies in Hindi
- रसायन / Tonic – गुडूची स्वरस का रसायन के रूप में प्रयोग होता है।
- ज्वर / Fever – विषमज्वर (Malaria) में गुडुची रस तथा जीर्ण ज्वर (chronic fever) में गुडूची के काढ़े में पिपली और शहद डालकर प्रयोग करते हैं। वातज ज्वर में गुडूची के पत्र का साग बनाकर प्रयोग करते हैं। डेंगू में आप गिलोय और पपीते के पत्ते का रस भी मिलाकर दे सकते है।
- पीलिया / Jaundice – गुडूची के स्वरस में शहद मिलाकर प्रातः काल काल में देते हैं। छाछ के साथ गुडूची पत्र के कल्क का प्रयोग किया जाता है। गुडूची का काढ़ा भी सुबह शाम पी सकते है। इससे लिवर को भी मजबूती मिलेगी।
- वातरक्त / Gout – पित्त प्रधान वात रक्त में गुडूची स्वरस का प्रयोग करते हैं। गुडूची स्वरस में दूध और तेल डालकर उससे तेल सिद्ध करके वातरक्त में प्रयोग करते हैं।
- कुष्ठ / Leprosy – गुडूची स्वरस के प्रयोग से कुष्ठ में लाभ मिलता हैं।
- मधुमेह / Diabetes – गुडूची स्वरस में मधु अर्थात शहद मिलाकर प्रयोग करते हैं।
- कैंसर / Cancer – कैंसर के मरीज हर रोज सुबह चिकित्सक की सलाहनुसार अपनी चिकित्सा के साथ गिलोय सत्व या चूर्ण का सेवन करे तो उसके कैंसर में काफी फर्क पड़ता है।
- विशेष प्रयोग – गुडूची घृत (घी) के अनुपान के साथ लेने से वायु को, गुड़ के अनुपान के साथ सेवन करने से विबंध को, मिश्री के साथ देने से पित्त को, शहद के साथ कफ को, एरण्ड तेल के साथ उग्र वातरक्त को तथा शुंठी के साथ आमवात को दूर करती है।
- विशेष टिप – बारिश के मौसम में गीली गिलोय का या उसके रस का प्रयोग न करे क्योंकि उसमें जलीय अंश अधिक होता है।
गुडूची का प्रयोग व उसकी मात्रा प्रकृतिनुसार अलग अलग हो सकती है। अतः चिकित्सक का परामर्श अवश्य ले। ग्रन्थों में कहा गया है कि गिलोय अर्थात गुडूची का नियमित सेवन करनेवाले व्यक्ति की स्वाभाविक मृत्यु तो हो सकती है पर कभी भी बीमारी के कारण मृत्यु नही होती है।
तो यह हैं गिलोय अर्थात गुडूची के फायदे, उपयोग और घरेलु नुस्खे की जानकारी। आप सब भी गिलोय को अपना Health Insurance बनाये। हर रोज इसे पिये और बीमारी से दूर रहे।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2015 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे आप सभी के लिए साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ ।