बवासीर (Piles) का एलॉपथी और आयुर्वेदिक उपचार और घरेलु नुस्खे !

bavasir ka ilaj

आजकल के आधुनिक युग के बिगड़ी हुई जीवनशैली और फ़ास्ट फ़ूड के बढ़ते चलन के कारण बवासीर / Piles के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। विश्व के 50 % से अधिक लोगों ने अपने जीवन में कभी न कभी इस पीड़ादायक समस्या को झेला हैं। कई रोगी ऐसे भी है जो शर्म के कारण बवासीर के शुरूआती स्टेज में डॉक्टर के पास नहीं जाते है और जब समस्या बेहद अधिक होती है तब ईलाज कराते हैं।

बवासीर के सभी मरीजों को इसके उपचार और खान-पान के नियम संबंधी ज्ञान होना बेहद आवश्यक हैं। आज हम इस लेख में बवासीर का एलॉपथी और आयुर्वेदिक उपचार कैसे किया जाता है और साथ ही बवासीर के रोगियों ने अपने खान-पान में क्या विशेष सावधानी बरतनी चाहिए इसकी संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं। कृपया इसे ध्यान से पढ़े और share अवश्य करे।

बवासीर का उपचार और खानपान से जुडी अधिक जानकारी निचे दी हैं :

बवासीर के लिए एलोपैथी उपचार (Allopathic Treatment of Piles in Hindi) 

एलोपैथी में बवासीर का उपचार करते समय तीन तरह से किया जाता हैं।
  • दवा / Medicine : अगर बवासीर शुरूआती स्टेज में ही है तो उसे दवा देकर कंट्रोल करने की कोशिश की जाती हैं। दवा के साथ रक्त नलिका की सूजन कम करने के लिए लगाने के लिए क्रीम / दवा दी जाती हैं। इन्हे दिन में 3 बार लगाना होता हैं। आप उंगली से या applicator की सहायता से दवा लगा सकते है। उपयोग करने के बाद इन्हे साफ़ कर रख देना चाहिए। रोगी को कब्ज न हो इसलिए पेट साफ़ होने के लिए विरेचक / laxative दवा दी जाती हैं। कोई संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक दवा भी साथ में दी जाती हैं।
  • अस्पताल में बिना भर्ती किये ईलाज : अगर दवा और क्रीम से भी राहत न हो तो डॉक्टर अस्पताल में बिना भर्ती किये इंजेक्शन देकर ठीक करने की कोशिश करते हैं।
  1. इंजेक्शन थेरेपी – इसमें रोगी को बिना भर्ती किये फिनॉल आयल जैसा इंजेक्शन दिया जाता हैं। इससे मस्से सिकुड़ कर गिर जाते है या ठीक हो जाते हैं। जरुरत पड़ने पर रोगी को एक महीने बाद दोबारा बुलाकर इंजेक्शन दिया जाता हैं। रोगी के बवासीर के तकलीफ के अनुसार इंजेक्शन की मात्रा निर्धारित की जाती हैं।
  2. रबर बैंड लिगेशन – इस उपचार में सर्जन मस्सों को पकड़कर उसके जड़ में एक रबर बैंड बिठा देते है जिससे मस्से को होनेवाला रक्त के संचारण को रोक दिया जाता हैं। इससे मस्से सुख जाते हैं। इसमें रोगी को अस्पताल में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती हैं और एनेस्थेशिया की जरुरत भी नहीं होती हैं।
  3. फोटोकोआगुलेशन थेरेपी – इंफ्रारेड किरणों की सहायता से मस्सों के रक्त संचारण को रोक दिया जाता हैं। पहली और दूसरी स्टेज के बवासीर में यह प्रभावी उपचार पद्धति हैं।
  4. इलेक्ट्रोथेरपी – इसमें ऊष्मा ऊर्जा का उपयोग कर मस्सों का रक्त संचारण रोक दिया जाता हैं।
  • शल्य क्रिया / सर्जरी / ऑपरेशन : अगर दवा और अन्य साधारण तरीके से भी बवासीर ठीक नहीं होता है तो अंत में बवासीर को ऑपरेशन कर निकाल दिया जाता हैं।
  1. हेमरॉयडेक्टमी – अगर सभी उपचार फेल हो जाये तो अंत में रोगी को बेहोश कर सर्जन ऑपरेशन कर मस्सों को काटकर निकाल देते हैं। इसमें रोगी को 3 से 4 ठीक अस्पताल में रहना होता हैं और बाद में घर जाने के बाद भी कम से कम 10 से 15 दिन आराम करना चाहिए।
  2. स्टापल्ड हेमरॉयडेक्टमी – इस उपचार में रोगी को दर्द कम होता है, रक्त कम बहता है और रोगी ठीक भी जल्द होता हैं। रोगी को बेहोश कर यह ऑपरेशन किया जाता हैं। इसमें मस्से की जगह मस्से के ऊपरी हिस्से से काटा जाता है जिससे दर्द कम होता है। अस्पताल में 1 से 2 दिन तक रुकना होता हैं।

बवासीर के लिए आयुर्वेदिक उपचार (Piles Ayurveda treatment in Hindi )

बवासीर की शुरूआती स्टेज में ही अगर आप किसी विशेषज्ञ आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से उपचार ले तो इसे केवल दवा देकर भी ठीक किया जा सकता हैं। बवासीर की तकलीफ बढ़ जाने पर क्षारसूत्र चिकित्सा से उसे जड़ से निकाल दिया जाता हैं।
  • बवासीर रोग हमारे पाचन तंत्र से संबंधित होने के कारण इसमें शरीर का पाचन तंत्र ठीक करने के लिए दीपन और पाचन औषधि दी जाती हैं।
  • सुश्रुत चूर्ण रात को गर्म दूध या पानी के साथ दिया जाता हैं।
  • मस्सों पर लगाने के लिए सुश्रुत तेल दिया जाता हैं।
  • डॉक्टर मस्सों पर क्षार का लेप लगाते है जिससे मस्से सिकुड़ जाते हैं।
  • गर्म पानी से सिकाई करने की सलाह दी जाती हैं। इससे दर्द और सूजन में राहत मिलती हैं।
  • पेट साफ़ होने के लिए रात में त्रिफला चूर्ण या इसबगोल दिया जाता हैं।
  • बवासीर ठीक होने के लिए उपचार के साथ आप को यह भी ध्यान में रखना है की आप आहार में पथ्य पालन ठीक तरह से करे और आपको कब्ज की शिकायत नही होना चाहिए।
  • इसे भी पढ़े – कब्ज का घरेलु रामबाण उपचार

क्षारसूत्र (Ksharsutra Treatment in Hindi)

अगर दवा देने के बाद भी बवासीर ठीक न हो तो अंत में क्षारसूत्र चिकित्सा से उसे ठीक किया जाता हैं। इसमें एक खास धागे का उपयोग किया जाता है जिसे कई आयुर्वेदिक औषधि के मिश्रण से तैयार कर निर्माण किया जाता हैं।
  • डॉक्टर प्रोक्टोस्कोप यंत्र से बवासीर के मस्सो का निरक्षण कर मस्सों की जड़ में यह क्षारसूत्र का धागा बांध देते हैं।
  • मस्सों के जड़ में दर्द न होने के कारण यह दर्दरहित प्रक्रिया होती हैं।
  • अब मस्सों को अंदर धकेल दिया जाता है और धागे को बाहर लटकते रहने दिया जाता हैं।
  • इस बांधे हुए धागे से असरदार आयुर्वेदिक दवा मस्से के जड़ पर अपना प्रभाव डालती है और लगभग 2 हफ़्तों में मस्से सिकुड़कर जाते है और यह धागा अपने आप बाहर गिर जाता हैं।
  • इन 2 हफ्तों में डॉक्टर मरीज को बुलाकर चेक करते है की धागा बराबर लगा है या नहीं  और असर कर रहा है या नहीं।
  • डॉक्टर रोगी को आहार संबंधी सलाह भी देते है जिससे कब्ज न हो।
  • रोगी को गर्म पानी से सिकाई और व्यायाम करने की सलाह भी दी जाती हैं।
  • इसमें केवल लोकल अनेस्थेशिआ ही दिया जाता है। रोगी को अस्पताल में दाखिल होने की जरुरत नहीं होती हैं।
  • बवासीर में अगर खून के साथ दर्द भी होता है तो इसका मतलब कोई संक्रमण हुआ है। ऐसे में पहले संक्रमण को दवा देकर ठीक किया जाता है और बाद में क्षारसूत्र किया जाता हैं।
  • यह एक प्रभावी असरदार और सस्ती उपचार पद्धति हैं।

बवासीर के रोगियों ने क्या खाना चाहिए (Diet Tips for Piles in Hindi)

बवासीर के रोगियों के लिए आहार-विहार संबंधी विशेष ध्यान रखना आवश्यक हैं। बवासीर से बचने लिए बवासीर को ठीक करने के लिए निचे दी हुई विशेष सलाह का पालन अवश्य करना चाहिए :

  • पानी / Water : दिनभर में कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी अवश्य पीना चाहिए। जब आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीते है तो आपको कब्ज की शिकायत नहीं होती हैं। शराब या अन्य शीतल पेय पिने की जगह पानी पिए।
  • आहार / Diet : बवासीर को कंट्रोल करने के लिए और बवासीर से बचने के लिए अपने आहार पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  1. समतोल पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
  2. आहार में रेशेदार / Fiber आहार अधिक लेना चाहिए।
  3. फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज अधिक खाना चाहिए।
  4. खाने के साथ सलाद अवश्य लेना चाहिए। सलाद में आप खीरा, ककड़ी, टमाटर, पालक, पत्तागोभी, गाजर आदि समावेश करे।
  5. आहार में मांसाहार, अधिक तलाहुआ, मिर्च मसालेदार, मैदे से बनी हुई चीजे, चाय, कॉफ़ी, शराब और जंक फ़ूड का समावेश न करे।
  6. राजमा, बिन्स, दालें, मटर जैसे आहार का सेवन अधिक करे।
  7. रोज दोपहर खाने में एक कटोरी ताजा दही खाना चाहिए।
  8. रात में किशमिश को स्वच्छ पानी में भिगोकर रखे और सुबह उन्हें चबाकर खाने से लाभ होता हैं।
  9. आप रात को सोने से पहले एक चमच्च ईसबगोल पानी में मिलाकर ले सकते है। इससे कब्ज नहीं होती है।
  10. आप रात को  डॉक्टर की सलाह से एक चमच्च त्रिफला चूर्ण भी ले सकते हैं।
  • जीवनशैली / Lifestyle : बवासीर यह जीवनशैली से जुड़ा रोग है और इसलिए इसमें आपकी जीवनशैली में बदलाव लाना बेहद जरुरी होता हैं।
  1. जब कभी को आपको मलत्याग का वेग आता है तो उसे रोककर नहीं रखना चाहिए। इससे कब्ज होता है और बवासीर की रक्त नलिकाओं पर दबाव पड़ता हैं।
  2. मलत्याग करते समय आजकल लोग या तो अखबार पढ़ते है या मोबाइल लेकर बैठते है। इस आदत को जितने जल्दी हो रोक लेना चाहिए। इससे भी मलत्याग ठीक से नहीं होता है और अधिक दबाव देने पर बवासीर की तकलीफ बढ़ जाती हैं।
  3. लम्बे समय तक बैठे या खड़े नहीं रहना चाहिए। हर आधे या एक घंटे पर ब्रेक लेकर थोड़ा टहलना चाहिए।
  4. हर दिन व्यायाम करना चाहिए। आप अपने क्षमता अनुसार कोई भी व्यायाम कर सकते हैं। वजन उठाने की जगह एरोबिक व्यायाम को अधिक प्राधान्य देना चाहिए।
  5. रात का खाना जल्दी खाना चाहिए और खाने के 5 मिनिट बाद 10 से 15 मिनिट तक टहलना चाहिए।
  6. खाना खाने के बाद 2 घंटे तक नहीं सोना चाहिए।
  7. पर्याप्त मात्रा में ही आहार लेना चाहिए और उससे अधिक आहार नहीं लेना चाहिए।
  8. अगर आपका वजन ज्यादा है तो उसे नियंत्रण में लाना चाहिए। वजन कम करने के उपाय आप यहाँ click कर पढ़ सकते हैं – वजन कम करने के आसान उपाय !
  9. शराब या शीत पेय पिने की जगह आप मट्ठा में जीरा पाउडर डालकर ले सकते है। इसे पिने से बवासीर का मस्सा छोटा हो जाता हैं।
  10. अपने मन से या बिना डॉक्टर की राय लिए कोई दवा नहीं लेना चाहिए। कुछ दर्दनाशक और कोडीन युक्त दवाओं से कब्ज होता है और बवासीर की तकलीफ होती हैं।
  • योग / Yoga : सभी बिमारियों की तरह बवासीर में भी योग करने से राहत होती हैं। बवासीर से पीड़ित रोगियों ने कपालभाति, पवन मुक्तासन, मंडूकासन, अग्निसार क्रिया इत्यादि योग करना चाहिए। योग करने से पहले योग गुरु से पहले अच्छे से क्रिया को समझकर हो योग करना चाहिए।

एक अनुशासित जीवनशैली और समतोल आहार के साथ आप बवासीर की तकलीफ का आसानी से सामना कर सकते हैं। बवासीर को शुरूआती दौर में ही आसानी से ठीक किया जा सकता है इसलिए बवासीर की शंका होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाकर ईलाज कराना चाहिए और अपने जीवनशैली और आहार में योग्य बदलाव लाना चाहिए।

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2 thoughts on “बवासीर (Piles) का एलॉपथी और आयुर्वेदिक उपचार और घरेलु नुस्खे !”

  1. Sir,

    Mere anal ke pass sujan aa gayi hai
    or toilet ke waqt kafi dard bhi hota hai or baad me itching bhi hota hai
    Please suggest what to do?

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