दातों के स्वास्थ्य (Dental Health) से जुड़े ११ भ्रम और सच

भारत में लोग दातों के डॉक्टर या डेंटिस्ट के पास तब ही जाते है जब दाँतों की समस्या काफी बढ़ गयी होती है या दांत में बेहद ज्यादा दर्द होता हैं। दाँतों के स्वास्थ्य को ज्यादातर लोग अधिक महत्व नहीं देते है। रोजाना सुबह ब्रश कर दांत की सफाई करने के बाद दांत के पास कोई अधिक ध्यान नहीं देता हैं।अक्सर लोग दांत के स्वास्थ्य के बारे में गलत अवधारणा बना लेते हैं। छोटी मोटी दांत की समस्या के लिए कोई भी डेंटिस्ट के पास नहीं जाता हैं और जहा तक हो सके उसे घरेलु उपचार से ही ठीक करने की कोशिश कर लेते हैं। दांत से जुड़े भ्रम के कारण कई बार दांत और मसूड़ों में बड़ी समस्या निर्माण हो जाती हैं।

आज के इस लेख में हम आपको दांतों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण भ्रम की जानकारी बताने जा रहे हैं। दाँतों से जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई विस्तार में नीचे लेख में बतायी गयी हैं :

दातों के स्वास्थ्य (Dental Health) से जुड़े ११ भ्रम और सच

11 Dental Myths in Hindi

१. दातों की सफाई (Scaling) कराने से दांत कमजोर हो जाते हैं !
हमारे दांत बेहद मजबूत होते हैं। दातों को हड्डी (कैल्शियम) से मजबूती मिलती हैं। अगर हम ठीक से ब्रश कर दातों की अच्छे से सफाई नहीं करते हैं तो धीरे-धीरे दातों पर परत जमने लगती है जिसे प्लाक (Plaque) कहते हैं। इसकी वजह से दांत पिले पड़ जाते हैं। इससे दांत कमजोर होना शुरू हो जाते हैं। दातों की सफाई यानि की स्केलिंग करने से दांत साफ़ होते है और यह प्लाक दूर किये जाते है जिससे दांत मजबूत बने रहते हैं।

२. आप जितना ज्यादा ब्रश करेंगे दांत उतने अच्छे रहेंगे !
दाँतों को ब्रश से बार-बार घिसने से दांत कमजोर हो सकते हैं। आपको दिन में ५ से ६ बार ब्रश करने की जरुरत नहीं हैं। केवल दिन में दो बार सुबह और रात में ब्रश करना जरुरी हैं। ब्रश करने का आपका तरीका भी सही होना चाहिए। बाकि समय कुछ भी खाने के बाद पानी से अच्छा कुल्ला (Gargling) करना चाहिए जिससे खाने का कोई भी टुकड़ा दांतों में फसा न रहे।

कई लोग यह भी भ्रान्ति रखते है की हम जितना जोर लगाकर दांत साफ़ करेंगे दांत उतने ही अधिक साफ़ होकर चमकेंगे। अधिक जोर लगाकर दांत घिसने से दांत का सुरक्षाकवच इनेमल (Enamel) ख़राब हो सकता है जिससे दाँतों में कैविटी भी तैयार हो सकती हैं।

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३. छोटे बच्चों के दांत के सफाई के लिए हमें ब्रश का उपयोग नहीं करना चाहिए !
सॉफ्ट ब्रश से आप छोटे बच्चों के दांत की सफाई कर सकते हैं। बाजार में छोटे हैंडल वाले सॉफ्ट ब्रश मिलते है जिनसे बच्चो के दांत की सफाई ठीक तरीके से की जा सकती हैं।

४. बच्चों के दूध के दाँतों का ईलाज नहीं कराना चाहिए क्योंकि  यह तो गिरने ही वाले हैं !
आजकल बच्चे अधिक मीठा और चॉकलेट्स खाते है इसलिए ३ से ४ साल की उम्र से ही बच्चों के दूध के दाँतों में सड़न दिखने को मिल जाती हैं। बच्चों के यह दांत उन्हें और ४ से ५ साल चलाना होता है इसलिए इनका ईलाज करना जरुरी होता हैं। नए आनेवाले दांत अच्छे और स्वस्थ हो इसलिए भी दूध के दातों का अच्छे से ख्याल रखना जरुरी होता हैं।

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५. ऊपर के दांत निकालने से हमारी आखों की रौशनी कमजोर हो जाती हैं !
यह भ्रम भारत के कई बुजुर्गों को होता हैं। दातों और आँखों का कोई अंधरुनि जुड़ाव नहीं होता हैं ,अगर ऊपर के दांत निकालने की जरुरत ही तो आपको इन्हे निकाल ही देना चाहिए, इससे आपके आँखों की रौशनी में कोई बदलाव नहीं होगा।

६.दांत में मामूली दर्द या सूजन होने पर डेंटिस्ट को दिखाने की जरुरत नहीं होती हैं !
हम कई बार दांत में दर्द या दांत में sensitivity बढ़ जाने पर उसे नजरअंदाज कर देते हैं। आपको दांत में कोई भी समस्या होने पर एक बार अपने डेंटिस्ट से इसकी जांच अवश्य कराना चाहिए। ऐसा करने से आप दांतों की समस्या बढ़ने से रोक सकते है और आगे होने वाले बड़े खर्चे से बच सकते हैं। कई बार हम ऐसे ही डॉक्टर को नहीं दिखाते और फिर हमें Deep root canal treatment कराना पड़ता है।

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७. अगर टूथब्रश से दांत साफ़ करने से खून निकलता है तो हमें उंगली से ब्रश करना चाहिए !
अगर टूथब्रश से दांत साफ़ करने से खून निकलता है तो इसका मतलब है की समस्या मसूड़ों की है और इसलिए अपने डेंटिस्ट को दिखाना चाहिए। ऊँगली से दांत साफ करने से दांत पर जमा प्लाक नहीं साफ़ होता है और इसलिए दांत हमेशा टूथब्रश पर टूथपेस्ट लगाकर ही साफ़ करना चाहिए।

८. फीलिंग किये हुए दाँतों में सड़न नहीं लगती हैं।
कई मरीज का मानना होता है की एक बार दात में फीलिंग कर ली इसका मतलब अब उस दांत का टेंशन नहीं लेना चाहिए क्योंकि अब उस दांत में सड़न नहीं हो सकता हैं। असल में अगर फीलिंग किये हुए दांत की ठीक से रोजाना  सफाई न की जाए तो उसमे भी सड़न हो सकती हैं।

क्या आप जानते हैं – बच्चों का दुबलापन कैसे कम करे ?९. प्रेगनेंसी में दातों का ईलाज नहीं कराना चाहिए !
गर्भावस्था में आप दातों की समस्या होने पर इसका ईलाज जरूर कर सकते हैं। डॉक्टर आपके और आपके पेट में पल रहे शिशु के लिए सुरक्षित दवा ही देते हैं। प्रेगनेंसी में दातों की सड़न का ठीक से उपचार नहीं किया गया तो इसके टोक्सिन माता और शिशु को तकलीफ दे सकते हैं।

१०. दात के इलाज में बेहद दर्द होता हैं !
आजकल सुन्न या बेहोश करने के इतने आसान और बेहतरीन विकल्प उपलब्ध है जिससे बिना दर्द किये दातों का उपचार संभव हो गया हैं। आप बिना डरे अपने दातों का ईलाज करा सकते हैं।

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११.दांत को साफ़ करने के लिए फ्लॉस करना जरुरी नहीं हैं !
कई बारे खाना कहते समय खाना दांत में कैविटी में या फिर दांतो के बिच अटक जाता है जो ब्रश या कुल्ला करने से भी साफ़ नहीं होता हैं। ऐसे में दातों को फ्लॉस (Floss) करने से दांत में अटका हुआ कचरा निकल जाता हैं। आप मेडिकल से फ्लॉस करना का उपकरण खरीद सकते हैं।

कहा जाता है की मुख हमारे स्वास्थ्य का द्वार है और इसीलिए हमारे दांत स्वस्थ और मजबूत होना बेहद जरुरी होता हैं। आपको साल में कम से कम एक बार अपने दाँतों का स्वास्थ्य परीक्षण जरूर कराना चाहिए।

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