आइसोमेट्रिक व्यायाम (Isometric Exercises), एक प्रकार का व्यायाम है जिसमें मांसपेशियों को सिकुड़ाया जाता है, लेकिन जोड़ों में कोई गति नहीं होती है। यह व्यायाम गतिशील व्यायाम के विपरीत है, जिसमें मांसपेशियों को सिकुड़ाया और फैलाया जाता है।
आजकल, खानपान में बदलाव के कारण बच्चों, युवाओं, और बुजुर्गों में भी विभिन्न प्रकार की बीमारियां देखने को मिलती हैं। पहले ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, और अन्य बीमारियां उम्र बढ़ने के साथ ही होती थीं, लेकिन आजकल इनका कोई उम्र नहीं होती। इन बीमारियों से लड़ने के लिए मेडिकल साइंस में कई तरह की दवाएं मौजूद हैं, लेकिन इन दवाओं के ज्यादा सेवन से कई सारे दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
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क्या आइसोमेट्रिक व्यायाम से ब्लड प्रेशर कम होता हैं ?
- ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में छपे एक ताजा रिसर्च में यह संकेत मिलता है कि आइसोमेट्रिक व्यायाम से ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है।
- रिसर्च में बताया गया कि दीवार के सहारे शरीर को कुर्सी बनाकर किए जाने वाले आइसोमेट्रिक व्यायाम बाकी एक्सरसाइज की तुलना में ब्लड प्रेशर को बहुत अच्छे तरीके से कंट्रोल करते हैं।
- स्टडी में पाया गया कि सप्ताह में सिर्फ 3 बार 8-8 मिनट आइसोमेट्रिक करने से आपको अच्छे रिजल्ट मिल सकते हैं।
आइसोमेट्रिक व्यायाम कैसे करें ?
- दीवार का सहारा लेकर 2 मिनट तक बैठें।
- 2 मिनट का रेस्ट लें।
- इस प्रक्रिया को कम से कम 4 बार दोहराएं।
- कम से कम 8-8 मिनट के दो स्टेप लें।
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यह 16 मिनट का व्यायाम आपके सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को औसतन 10 मिमी एचजी और डायस्टोलिक दबाव को 5 मिमी एचजी कम कर देगा।
एक्सपर्ट्स की राय क्या हैं ?
- एक्सपर्ट्स के अनुसार ब्लड प्रेशर को किसी भी नियमित व्यायाम से ठीक किया जा सकता है।
- लेकिन जो लोग ब्लड प्रेशर की दवाएं लेते हैं उन्हें चाहिए कि वे बाकी एक्सरसाइज के साथ साथ आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज भी करें।
आइसोमेट्रिक व्यायाम कैसे काम करता है ?
- आइसोमेट्रिक व्यायाम सिकुड़े हुए मसल्स में ब्लड सर्कुलेशन अस्थाई रूप से सीमित करके हाई ब्लड प्रेशर को नॉर्मल कर देता है और खून की नसों को यह आराम देने में मदद करता है।
- ब्लड प्रेशर में फायदा पहुंचाने के अलावा दीवार पर हाथ रखकर बैठना कई और बीमारियों में भी फायदेमंद होता है।
आइसोमेट्रिक व्यायाम के फायदे
आइसोमेट्रिक व्यायाम के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- शक्ति में वृद्धि: आइसोमेट्रिक व्यायाम मांसपेशियों की शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- चोटों का पुनर्वास: आइसोमेट्रिक व्यायाम का उपयोग चोटों से उबरने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि यह जोड़ों पर कम दबाव डालता है।
- हड्डियों का घनत्व बढ़ना: आइसोमेट्रिक व्यायाम हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है।
- सुविधा: आइसोमेट्रिक व्यायाम को किसी भी उपकरण के बिना, कहीं भी किया जा सकता है।
आइसोमेट्रिक व्यायाम के प्रकार क्या हैं ?
आइसोमेट्रिक व्यायाम के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
- दीवार के खिलाफ खड़े होकर पुश-अप्स करना: इस व्यायाम में, आप अपनी हथेलियों को दीवार पर रखते हैं और अपने शरीर को धीरे-धीरे दीवार की ओर धकेलते हैं।
- दीवार के खिलाफ बैठना: इस व्यायाम में, आप अपनी पीठ को दीवार के खिलाफ रखते हैं और अपने घुटनों को मोड़ते हैं।
- प्लैंक: इस व्यायाम में, आप अपने हाथों और पैरों की उंगलियों पर अपने शरीर को सहारा देते हैं।
- स्क्वाट्स: इस व्यायाम में, आप अपने पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग करते हैं और धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़ते हैं।
आइसोमेट्रिक व्यायाम करते समय, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी सांसों को रोकें नहीं। व्यायाम करते समय धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से सांस लें। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो आइसोमेट्रिक व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
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आइसोमेट्रिक व्यायाम करते समय क्या सावधानी बरते ?
- अपनी क्षमता के अनुसार ही व्यायाम करें।
- व्यायाम करते समय दर्द महसूस होने पर रुक जाएं।
- धीरे-धीरे व्यायाम की तीव्रता और अवधि को बढ़ाएं।
- आइसोमेट्रिक व्यायाम एक स्वस्थ जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, तो आइसोमेट्रिक व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।