शंखपुष्पी (Shankhpushpi), एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग मस्तिष्क विकास (brain development) और याददाश्त (memory) बढ़ाने के लिए किया जाता हैं। इस औषधि को महाऔषधि के नाम से भी जाना जाता है ।
शंखपुष्पी को हिंदी में शंखाउली, मराठी में शंखपुष्पी तथा लैटिन में Covolvulus pluricaulis कहते है। अगर आपकी memory कमजोर हैं, पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है या ठीक से concentration नहीं होता है तो शंखपुष्पी लेने से आपको जरूर लाभ होगा। ऐसे बच्चे जो पढाई में कमजोर है उन्हें भी शंखपुष्पी लेने से लाभ होता हैं।
शंखपुष्पी दवा के फायदे, नुकसान, dose और घरेलु नुस्खों की जानकारी नीचे दी गयी हैं :
शंखपुष्पी का परिचय
चरक, सुश्रुत आदि आचार्यों ने आयुर्वेदिक ग्रन्थों में शंखपुष्पी का उल्लेख किया गया है। विशेषतः मेध्य गुण होने के कारण बच्चों में सुवर्णादी के साथ शंखपुष्पी देने का विधान किया गया हैं।
- शंखपुष्पी के पर्याय : शंखपुष्पी को इन नामों से भी जाना जाता है
- शंखपुष्पी – जिसके फूल शंख के सदृश होते है।
- शंखाव्हा – जिसका नाम शंख है।
- तिलकी – विभिन्न चिन्ह युक्त होती है।
- मांगल्यकुसुमा – जिसका दर्शन मंगलकारी माना जाता है।
- क्षीरपुष्पी – दूध के समान सफेद फूलवाली होती है।
इसके अलावा मांगल्यपुष्पा,चंद्रा, मनोरमा यह भी शंखपुष्पी के कुछ पर्याय है। फूलों के आधार पर शंखपुष्पी की 3 जातियां बताई गई है, श्वेत, रक्त व नील वर्णी। औषधि प्रयोग के लिए श्वेत शंखपुष्पी का प्रयोग किया जाता है।
- शंखपुष्पी का आकार : शंखपुष्पी का प्रसरणशील क्षुप (Shrub – घनी डालियों वाली झाड़ी ) करीब 1 ft ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां 1 से 4 cm तक लम्बी होती है। पत्तियों को मसलने पर मूली के पत्तो जैसी गन्ध आती है। इसके पुष्पो का आकार शंख के समान होता है।
- शंखपुष्पी का उतपत्ति स्थान : भारत मे सर्वत्र , विशेषतः पथरीले मैदानों में होता है।
- शंखपुष्पी के गुण कर्म : शंखपुष्पी का रस मधुर, तिक्त (कड़वा ) होता है। यह स्निग्ध, पिच्छिल (चिकट), उष्ण गुणों से युक्त तथा मेध्य (brain tonic), वातपित्तशामक, वृष्य, रसायन होती है। साथ ही स्मृति, कांति, बल को बढ़ानेवाली, अपस्मार, कुष्ठ, कृमि, विष आदि बीमारियों का नाश करनेवाली होती है।
शंखपुष्पी के गुणों का वर्णन आयुर्वेद में इस श्लोक द्वारा किया जाता है,
” शंखपुष्पी सरा मेध्या व्रुष्या मानसरोगहृत् ।
रसायनी कषायोष्णा स्म्रृती कान्ति बलप्रदा ।
दोषापस्मारभूतादिकुष्ठक्रृमिविषप्रणुत् ।। ”
- आधुनिक विज्ञान के अनुसार शंखपुष्पी के गुणकर्म : आधुनिक विज्ञान के अनुसार शंखपुष्पी में shankhpushpin नामक alkaloid, उड़नशील तेल (volatile oil), yellow natural fat, organic acids मौजूद होते है। आधुनिक विज्ञान में शंखपुष्पी के brain tonic, sedative, memory enhancer, antiulcerogenic, hypotensive आदि कर्म बताए है।
- शंखपुष्पी का उपयुक्त अंग : पंचांग अर्थात शंखपुष्पी के पौधे का हर एक अंग याने फूल, पत्ती, टहनी, जड़ आदि सभी औषधि के लिए उपयुक्त होते है।
- शंखपुष्पी की ग्रन्थोक्त औषधियां : शंखपुष्पी पानक, अमृतादी रसायन, ब्राह्मी वटी, ब्रह्मिघृत, सारस्वत चूर्ण, शंखपुष्पिं तेल आदि ग्रन्थोक्त दवाइयों में शँखपुष्पिं होती है।
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शंखपुष्पी दवा के क्या फायदे हैं ? (Shankhpushpi uses in Hindi)
1. मानसिक विकारों के लिए वरदान है शंखपुष्पी : शंखपुष्पी का विशेष कार्य मानसिक बीमारियों पर होता है, जैसे उन्माद (पागलपन के दौरे), अपस्मार (Epilepsy – फ़ीट आना)। ऊष्णवीर्य, बल्य, दीपन, कांतिप्रद, भूतहर, कृमिहर, वृष्य आदि अपने गुणों के कारण शंखपुष्पी मानसिक रोगों में श्रेष्ठ मानी गई है।
2. ब्रेन टॉनिक है शंखपुष्पी : जब भी एकाग्रता व दिमागी क्षमता बढ़ाने की बात होती है, तो सबसे पहले शंखपुष्पी का नाम लिया जाता है। विशेषतः पढ़ाई करनेवाले बच्चों में तथा दिमागी काम करनेवाले लोगों में मस्तिष्क की कार्यक्षमता व याददाश्त बढ़ाने के लिए शंखपुष्पी का प्रयोग किया जाता है। अगर बच्चे शंखपुष्पी सिरप को लगातार 3 महीने तक ले तो उनकी याददाश्त में सुधार के साथ सीखने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। शंखपुष्पी के प्रयोग से अल्जाइमर जैसी बीमारियों में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
3. तनाव के स्तर को कम करत्ति है शंखपुष्पी : तनाव से मुक्ति पाने के लिए कई लोग शंखपुष्पी का इस्तेमाल करते है। हालांकि रिसर्च में अभी यह नही पता चला है, की शंखपुष्पी हार्मोन्स के परिवर्तन पर किस प्रकार कार्य करती है, लेकिन शंखपुष्पी के प्रयोग से डोपामिन का स्तर बढ़ता है। इस वजह से मानसिक तनाव व अवसाद दूर होने में मदत मिलती है।
4. अनिद्रा से छुटकारा देती है शंखपुष्पी : शंखपुष्पी मस्तिष्क को तरोताजा कर मनोवैज्ञानिक उत्तेजक व ट्रैंक्विलाइज़र के रूप में काम करती है। मन मे शांति की भावना लाती है, जिससे नींद अच्छी आती है।
5. भूक बढ़ाती है शंखपुष्पी : जब भावनात्मक वजह से भूख नही लगने की बीमारी हो, जिसे आधुनिक विज्ञान में Anorexia nervosa कहा जाता है, उस स्थिति में शंखपुष्पी में मौजूद भूक लगने व पाचक गुणों के कारण भूक की समस्या को चिकित्सक ठीक करते है।
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6. शंखपुष्पी करति है दुर्बलता को दूर : शंखपुष्पी शरीर की दुर्बलता, थकावट व ऊर्जा की कमी को दूर कर शरीर मे उत्साह जगाती है।
7. मानसिक थकान में राहत देती है शंखपुष्पी : मानसिक थकान आज के भागदौड़ भरी जिंदगी का एक हिस्सा बन गयी है। अधिक काम करने के अलावा लगातार कंप्यूटर पर काम करने से, पढ़ाई करने से भी मानसिक थकान आती है। हालाँकि थकान मानसिक होने से इसका सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है। मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करनेवाली शंखपुष्पी के पाउडर का 1 -1 चम्मच सेवन सुबह शाम पानी के साथ करने से मानसिक थकान दूर होती है।
8. मांसपेशियों का कम्पन करति है दूर : कई बार हम लोग देखते है, की शरीर की मांसपेशियों में अचानक कम्पन होता है। शंखपुष्पी में यह विशेष गुण है, की यह मांसपेशियों मजबूती लाकर कम्पन को घटाता है।
9.उत्तेजनाशामक होती है शंखपुष्पी : शंखपुष्पी उत्तेजना को शांत करके उच्च रक्तदाब को सामान्य करने में मदत करती है। खासकर मानसिक तनाव से बढ़नेवाले रक्तचाप में यह विशेष उपयोगी है। हृदय की तेज अनियमित धड़कनों को भी शंखपुष्पी नियमित करती है।
10. थाइरोइड के लिए उपयोगी शंखपुष्पी : थाइरोइड के मरीजों में खासकर जिन्हें हाइपरथायराइडिज्म हो और उनमें कम्पन, बेचैनी, घबराहट, नींद नही आना जैसी समस्या हो तो शंखपुष्पी काफी अनुकूल प्रभाव करती है। Anti thyroid दवाइयों के कारण होनेवाले दुष्परिणामों को भी शंखपुष्पी दूर करती है। वैज्ञानिको ने अपने प्रारंभिक अध्ययन में पाया है कि शंखपुष्पी थाइरोइड ग्रन्थि के कोशिकाओं पर सीधे प्रभाव डालकर स्त्राव का नियमन करती है।
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शंखपुष्पि के घरेलू नुस्खे क्या हैं ? (Shankhpushpi home remedies in Hindi)
1. बुद्धि बढ़ाने के लिए : बुद्धि वर्धनार्थ शंखपुष्पी का रस या चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह शाम शहद, दूध या पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए।
2. एकाग्रता बढ़ाने के लिए : आजकल लोगो मे संयम की कमी व चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। ऐसे में शंखपुष्पी का प्रयोग लाभदायक हो सकता है। 250 mg शंखपुष्पी पाउडर, 500 mg ब्राह्मी, 125 mg मुक्ता भस्म और 30 mg अभ्रक भस्म को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से ध्यान में एकाग्रता आती है।
3. आक्रमकता को कम करे शंखपुष्पी : अगर आपको चिड़चिड़ापन के साथ आक्रमकता, बेचैनी और पसीने से परेशान है, तो शंखपुष्पी पाउडर 250 mg, मुक्ता भस्म, प्रवाल पिष्टी, गिलोय सत्व और 500 mg मुलेठी का ठीक से मिक्स किया हुआ मिश्रण दिन में दो बार दूध, पानी या शहद के साथ लें।
4. गर्भपात की समस्या से निजात दिलाये : अगर आप बारबार होनेवाले गर्भपात की समस्या से परेशान है तो प्रत्येकि 1.5 gm शंखपुष्पी व अश्वगन्धा पाउडर 3 महीने तक ले। इससे गर्भाशय को मजबूती मिलेगी।
5. बच्चों की रात में बिस्तर गीला करने की आदत से दे राहत : कई बच्चों को रात को बिस्तर गीला करने की आदत होती है। ऐसे में शंखपुष्पी के पंचांग को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। वह आधा चम्मच चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चटायें, ऊपर से ठंडा दूध या पानी पिलाएं। यह प्रयोग करीब 1 महीने तक करें। इससे बच्चों की आदत छूट जाएगी।
6. तेज बुखार : तेज बुखार होने पर कई बार लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठते है या असंबद्ध बड़बड़ करते है, ऐसी स्तिथि में शंखपुष्पी का पाउडर व मिश्री समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच दिन में 3 या 4 बार देने से लाभ होता है और नींद भी अच्छी आती है।
7. उच्च रक्तचाप : जिन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या हो उन्होंने 2 से 3 दिन सुबह शाम शंखपुष्पी का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। इसके लिए 2 कप पानी मे 2 चम्मच चूर्ण डालकर उबाले, जब आधा कप रह जाए, तब उतारकर ठंडा कर छान लें। 2 से 3 दिन ले। इसके बाद 1 -1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ जब तक bp सामान्य नही होता तब तक लेते रहे काफी फायदेमंद प्रयोग है।
8. शक्तिवर्धक होती है शंखपुष्पी : दुर्बलता दूर करने, शक्ति बढ़ाने शंखपुष्पी का पंचांग, अश्वगन्धा, ब्राह्मी, बादाम, कद्दू व तरबूज के बीजों की गिरी, आंवला, सौंफ, काली मिर्च, छोटी इलायची, खसखस आदि 10 -10 gm की मात्रा में लेकर खुरदरा पीस ले। गर्मी के दिनों में इसकी ठंडाई बनाकर पीने से शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से शक्ति की प्राप्ति होती है।
9. असंवेदनशीलता : कई व्यक्ति अति असंवेदनशील होते है, जो तेज आवाज, तेज महक, तेज लाइट को सहन नही कर पाते है या अचानक होनेवाली प्रतिक्रिया से डर जाते है, उन्हें 250 mg शंखपुष्पी पाउडर, प्रत्येकि 125 mg अभ्रक भस्म, प्रवाल पिष्टी, मुक्ता भस्म व 50 mg रजत भस्म इन सबको मिलाकर लेने दे लाभ होता है।
10. अस्थमा : अस्थमा के इलाज में शंखपुष्पी का धुंवा असरदार बताया गया है।
11. पैरालिसिस : शरीर के किसी अंग में हुए पैरालिसिस के लिए शंखपुष्पी का रस तेल में मिलाकर लगाने से लाभ मिल सकता है।
12. बाल झड़ना : शंखपुष्पी तेल में मिलाकर लगाने से बाल जल्दी बढ़ते है।
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शंखपुष्पी दवा के नुकसान क्या हैं ? (Shankhpushpi side effects in Hindi)
1. वैसे तो शंखपुष्पी के कोई दुष्परिणाम नही है, पर कई बार इसका ताजा हर्बल पेस्ट कोई उपयोग करता हो, तो उसे स्वाद के कारण परेशानी हो सकती है।
2. शंखपुष्पी रक्तदाब को कम करती है, अतः कम रक्तदाब वाले इसका प्रयोग सावधानी से करे।
3. गर्भवती महिलाएं शंखपुष्पी का प्रयोग कम करे। स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह सुरक्षित है।
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शंखपुष्पी दवा लेते समय सावधानी बरतें ?
1. शंखपुष्पी का सेवन शरद ऋतु में न करे या काफी सावधानी से करे। गर्मियों में इसका सेवन करना अच्छा होता है।
2. अधिक दुर्बल व्यक्ति शंखपुष्पी का सेवन ना करे।
3. एक बात जरूर ध्यान रखे, शंखपुष्पी का सेवन करने से पहले व उपरोक्त कोई भी घरेलू उपचार आजमाने से पूर्व आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह अवश्य ले, ताकि वे आपको आपकी प्रकृति के अनुसार उचित मार्गदर्शन कर सके।
तो दोस्तों, यह थी दिमागी ताकत, स्मृति, एकाग्रता, कांति बढ़ाने वाली, तनाव को हरनेवाली अद्भुत दिव्य औषधि शंखपुष्पी की जानकारी। आशा करते है आपको जरूर पसंद आएगीऔर आप इसे शेयर भी करेंगे।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।