गोखरू के 11 फायदे, उपयोग और घरेलु नुस्खे और दुष्परिणाम

दोस्तों, आज हम आपके सामने एक विशिष्ट आयुर्वेदिक औषधि की जानकारी दे रहे है, जो कि Kidney की बीमारी के लिए अमृत मानी गई है, इसे गोखरू या गोक्षुर के नाम से जाना जाता है। Kidney failure के patient को Dialysis और Kidney transplant की समस्या से बचाने के लिए इस आयुर्वेदिक औषधि का मुख्य उपयोग किया जाता हैं। 

 

आजकल की अनियमित जीवनशैली, खानपान की गलत आदतें, विषैले पेस्टिसाइड युक्त अनाज, शारीरिक श्रम की कमी आदि के कारण कई बीमारियों ने हमे घेर लिया है। हाइब्रिड व पेस्टीसाइड युक्त अनाज का सबसे ज्यादा असर हमारे लिवर, किडनी, हार्मोनल ग्लैंड्स पर होता है। कैंसर जैसी प्राणघातक बीमारियां,लिवर की बीमारियां से भी ज्यादा आज किडनी से जुड़ी बीमारियां भयानक बढ़ रही है। अगर हम इससे बचना चाहते है, तो हमे ऐसे आहार से बचना होगा। 

शुद्ध ऑर्गेनिक आहार का सेवन करना होगा। कोई भी फल, सब्जी घर लाते है, तो उसे अच्छेसे धोकर use करे। यहाँतक की अनाज भी पहले धोकर, धूप मे सुखाकर फिर पिसवाए। इसके अलावा आयुर्वेद में अधारणीय वेग बताए है, जैसे अगर आपको मूत्र का या मल का वेग आता है, और आप उसे रोककर रखते हो तो आपके किडनी पर जोर आता है, जिससे किडनी की बीमारियां होने की संभावना होती है। साथ ही चिंता, तनाव जैसे मानसिक अवस्थाओं पर भी नियंत्रण रखें। 

अगर हम हमारी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाये, साथ में योग-प्राणायाम करे और वैद्य के सलाहनुसार जरूरत होने पर आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयोग करे, तो हम एक अच्छा जीवन पा सकते है। 
आज हम आपको ऐसे ही एक महत्वपूर्ण औषधि की जानकारी देने जा रहे है, जिसका नाम है गोखरु। गोखरू का उपयोग, फायदे और घरेलु नुस्खों की जानकारी नीचे दी गयी हैं :

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गोखरू के फायदे, उपयोग और घरेलु नुस्खे Gokhru uses in Hindi 

गोखरू औषधि का परिचय Gokhru in Hindi

गोखरू को गोक्षुर, लैटिन में Tribulus terrestris, अंग्रेजी में small caltrops भी कहा जाता है। 

  • गोखरू के पर्यायवाची नाम 
  • गोक्षुर :- गाय के खुर के समान इसके कंटक होते है।
  • क्ष्वदंष्ट्रा :- कुत्ते की दाढ़ के समान तीक्ष्ण व हिंसक होने से।
  • स्वादुकण्टक :- इसके कांटे मधुर होते है।
  • चनद्रुम :- चने के पत्र के समान पत्र होते है।

आयुर्वेद में दशमूल नामक दस औषधियों के गण में इसका अंतर्भाव किया गया है। 

  • गोखरू का स्वरुप : यह प्रसरणशील 1.5 से 4 फिट तक का , भूमि पर फैला हुआ क्षुप ( shrub )होता है। इसका मूल पतला, 10 से 15 cm लम्बा, गोल, हल्के भूरे रंग का होता है। इसके पत्र चने के पत्तों के समान, फूल छोटे छोटे, पांच पँखुडियुक्त, पीले रंग के होते है। गोखरू के फल छोटे, गोल, तीक्ष्ण कांटो से युक्त होते है।
  • गोखरू का उत्पत्ति स्थान : भारत के प्रायः सभी प्रान्तों में, विशेषतः बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजपुताना, मद्रास में। विशेष बात यह हैं, की अध्ययन के अनुसार आज से 5 – 7 साल पहले यह गोखरू सर्वत्र मिलता था पर आज यह लुप्त होता दिख रहा है, काफी कम प्रमाण में मिल रहा है। अफ्रीकन देशों में गोखरू काफी बड़े प्रमाण में मिलता है। गोखरू की 2 प्रजातियां पायी जाती है – लघु गोक्षुर औऱ बृहत गोक्षुर।
  • गोखरू के गुणकर्म : मधुर रसात्मक गोखरू गुणों से गुरु, स्निग्ध, शीत होता है। आयुर्वेद में गोखरू को वातपित्तशामक, कफवर्धक, शुक्रवर्धक, मूत्रल (diuretic), बल्य, बस्तिशोधक, वृष्य, दीपन इन गुणों से युक्त, अश्मरी, प्रमेह, कास, श्वास, अर्श, मुतकृच्छ, हृदरोग आदि रोगों का नाश करनेवाला बताया गया है।
आयुर्वेद में इस श्लोक के द्वारा गोखरू का वर्णन किया है :
गोक्षुरः शीतलः स्वादुर्बलक्रृद्बस्तीशोधनः ।
मधुरो दीपनोव्रृष्यः पुष्टिदक्ष्चाश्मरीहरः ।
प्रमेहश्वासकासार्शः क्रृच्छह्रृद्रोगवातनुत् ।।
  • आधुनिक विज्ञान के अनुसार गोखरू के गुण कर्म : आधुनिक विज्ञान के अनुसार गोखरू की पत्तियों में 7.22% प्रोटीन्स, 4.63% राख व 79% जल पाया जाता है। इसके अलावा अल्प मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोह, Vitamin C के साथ पोटैशियम नाइट्रेट, Sterol, Sapogenin with Pyroketone ring, Gitogenin, Nevogenins आदि घटक होते है। आधुनिक विज्ञान मे गोखरू के anticancer, nephroprotective, lithotriptic, hepatoprotective, diuretic, aphrodisiac, antimicrobial, cardiac stimulant गुणधर्म कहा गया है।
  • गोखरू का उपयुक्त अंग : औषधि के लिए गोखरू के मूल व फल का उपयोग किया जाता है।
  • गोखरू की मात्रा : चूर्ण – 1 से 2 gm, काढ़ा – 10 से 20 ml दिन में ३ बार
  • गोखरू की ग्रन्थोक्त औषधियां : गोक्षुरादि गुग्गुल, रसायन चूर्ण आदि ग्रन्थोक्त दवाईयों में गोखरू होता है।

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गोखरू के उपयोग व घरेलू नुस्खे Gokhru uses and home remedies in Hindi

1. यूरिक एसिड को करे कम Gokhru uses in Hingh Uric acid and Creatinine

आचार्य बालकृष्ण के अनुसार जिनका क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया, यूरिक एसिड सामान्य से ज्यादा हो, उनके लिए गोखरू बहोत लाभकारी है। इसके लिए गोखरू, सौंठ, मेथी और अश्वगन्धा को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना ले व सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से बढ़ा हुआ यूरिक एसिड भी कम हो जाता है, जिससे गठिया की परेशानी व पैरों में सूजन कम हो जाती है। गठियाँ के बीमारी में गोखरु एक प्राकृतिक इलाज है। 

2. बहुमूत्रता की शिकायत होगी दूर Gokhru uses in Polyuria

जिनको बहुमूत्रता की शिकायत है, बार बार पेशाब जाना पड़ता है या घर के बड़े बुजुर्गों में अक्सर प्रोस्टेट की शिकायत होती है, वे गोखरू पंचांग व काले तिल को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर करे व सुबह शाम सेवन करे, इससे बहुमूत्रता की शिकायत में लाभ होगा। यह मूत्रवर्धक होने से पेशाब में दर्द व जलन को दूर करता है।

3. पथरी में करे प्रयोग Gokhru uses in Kidney stone

जिन्हें पथरी की शिकायत रहती है, कई बार ऑपेरशन कराने के बाद भी वो दोबारा होती है, वे गोखरू पंचांग ( छाल, त्वक, मूल, फल, फूल) को मिलाकर उबालकर काढ़ा बनाये, इसे सुबह शाम सेवन करे। इससे पथरी भी निकल जायेगी और दोबारा कभी पथरी नही होगी, ये पथरी को जड़ से मिटा देगा। गोखरू पंचांग से सिद्ध घी का प्रयोग अश्मरी (stone) में किया जाता है। 


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4. किडनी संक्रमण करे दूर Gokhru uses in Kidney infection

जिन्हें किडनी में संक्रमण व बार बार पथरी बनने की शिकायत हो, वे गोखरू के बीज, पाषाणभेद, वरुण की छाल व कुलथी के दाल को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर 10 gm की मात्रा में लेकर करीब 600 ml पानी मे उबाले व जब तीन चतुर्थांश अर्थात 100 – 125 ml बचे तब उसे छानकर पिये। इससे किडनी संक्रमण व पथरी बनने का कारण समाप्त हो जाएगा। Kindey failure में गोखरू काढ़ा का उपयोग करने से Creatinine level में कमी आती है और किडनी की कार्यक्षमता भी बढ़ती हैं। ऐसे कई मरीज है जो गोखरू काढ़े के उपयोग से डायलिसिस से झंझट से आजाद हुए हैं।

5. गर्भाशय दोष करे दूर

जिन महिलाओं को बच्चा होने के बाद गर्भाशय में कुछ दोष रह जाता है, वे गोखरू के बीज व अजवाइन मिलाकर काढ़ा बनाकर कुछ दिन सेवन करे। इससे गर्भाशय में संक्रमण व सूजन कम होगी। गोखरु के सेवन से बांझपन, pcod की समस्या, दूर होने में मदत मिलती है। साथ ही प्रजनन क्षमता व स्तनपान को बढ़ाने में भी मदत करता है। 

6. लिंग की कमजोरी में लाभ करता है गोखरु 

गोखरु पुरुष प्रजनन संस्था को स्वस्थ रखता है, साथ ही शुक्राणुओं की गुणवत्ता, गतिशीलता, संख्या को बढ़ाने में मदत करता है। जिन व्यक्तियों में इरेस्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो, उसे दूर कर कामेच्छा बढ़ाने में सहायता करता है।

7. कमजोरी करे दूर 

जिनको शारीरिक कमजोरी है व जो अपनी रसायन शक्ति बढ़ाना चाहते है, वे भृंगराज, मुलेठी, आँवला व गोखरू मिलाकर सेवन करे। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ने में मदत होगी। गोखरु एक प्राकृतिक उपचय ( anabolic) है, जिसका उपयोग मांसपेशियों में ताकत, मजबूती, ऊर्जा प्रदान करने के लिए पूरक के रूप में किया जाता है। 

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8. कमरदर्द में दे राहत

गोखरू और शुंठी सिद्ध काढ़े प्रतिदिन सुबह पीने से कमरदर्द में राहत मिलती है, पाचनशक्ति बढ़ती है। यह आमवात में लाभकर है। 

9. साइटिका ( गृध्रसी ) मे आराम देता है गोखरु 

साइटिका में होनेवाले दर्द और सूजन में गोखरु आराम देता है। मांसपेशियों में होनेवाली जकड़ाहट को दूर कर गतिशीलता को बढ़ाता है। 

10. भूक बढ़ाता है गोखरु

जिन्हें अपचन की शिकायत है, भूक नही लगती, वे 10 gm गोखरु व 1-2 gm अजवाइन का काढ़ा बनाकर सेवन करे। इससे पाचन सम्बन्धी विकारों के साथ गर्भाशय व मूत्रमार्ग सम्बन्धी विकारों में भी लाभ होगा। 

11. सिरदर्द करे दूर

गोखरू के काढ़े को पीने से सिरदर्द में भी आराम मिलता हैं। 

गोखरु के नुकसान Gokhru side effects in Hindi

  • अधिक मात्रा में सेवन करने से प्लीहा व गुर्दो को हानि पहुँचती है।
  • कफजन्य व्याधियों की वृद्धि होती है।
  • गर्भावस्था व शिशु को स्तनपान कराने के दौरान गोखरु का प्रयोग न करे।
  • लम्बी अवधी के लिए इसके सेवन से पौरुष ग्रन्थि को नुकसान हो सकता है।
  • स्तन व पौरुष ग्रन्थि कैंसर के मरीज इसका सेवन न करे।
  • पीलिया ग्रस्त व्यक्ति को भी गोक्षुर का सेवन नही या अल्प मात्रा में करना चाहिए।
  • गोखरु का प्रयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार करे।

तो यह थी गोखरु की जानकारी। गोखरू को किडनी के लिए अमृत, मूत्रप्रणाली का कायाकल्प करनेवाली चमत्कारिक औषधि कहा गया है। यह आयुर्वेद की एक दिव्य औषधि है। अतः गोखरू प्रयोग चिकित्सक की सहायता से करे व इसका पूरा लाभ उठायें।

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