सभी जानते है की शरीर को स्वस्थ और ताजा बनाये रखने में ठीक प्रकार से नींद (Sleep) बहुत आवश्यक हैं। सारे दिन के कार्यों को करने के बाद जब शरीर और मस्तिष्क थक कर निष्क्रिय से हो जाते हैं तथा हमारी ज्ञानेन्द्रिय और कर्मेन्द्रिय भी थक जाती हैं तो व्यक्ति नींद की अवस्था में आ जाता हैं। इस प्रकार वह स्तिथि जब मन का संपर्क जब ज्ञानेन्द्रिय और कर्मेन्द्रिय से टूट जाता हैं तथा वे एकदम निष्क्रिय सी हो जाते हैं, नींद या निद्रा कहलाती हैं।
नींद की स्तिथि में शरीर में सांस लेना, छोड़ना, रक्तसंचार आदि बहुत महत्वपूर्ण कार्य ही चलते रहते हैं और शेष कार्य रुक जाते हैं। इससे शरीर की बहुत कम ऊर्जा ही खर्च होती हैं, शेष बची ऊर्जा बल आदि को बढाती हैं। यही कारण है की सोने के बाद व्यक्ति अपने को स्वस्थ और उत्साहित अनुभव करता हैं।
स्वप्न अवस्था क्या हैं ?
इस अवस्था में व्यक्ति सपने देखता हैं। अवचेतन मन संकल्प-विकल्पों से घिरा रहता हैं। इस प्रकार यह नींद गहरी और पूरी तरह विश्राम देने वाली नहीं होती हैं।
सुषुप्त अवस्था क्या है ?
इस अवस्था में मन और इन्द्रिय दोनों निष्क्रिय होते हैं। सुषुप्त-अवस्था की कम समय की नींद भी मनुष्य के शरीर और मन को स्वस्थ एवं ताजा बना देती हैं जबकि स्वप्न अवस्था की अधिक नींद भी थकावट दूर नहीं करती हैं। अच्छी नींद लाने के लिए शारीरिक श्रम और थकावट के साथ-साथ मानसिक रूप से पूरी तरह शांत होना भी आवश्यक हैं। मानसिक रूप से शांत रहने के लिए काम, क्रोध, भय, शोक, ईर्ष्या आदि मानसिक विकारो को दूर करना जरुरी हैं। जिन लोगों को नींद नहीं आती हैं वह अनिद्रा / Insomnia रोग से ग्रस्त माने जाते है तथा अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक विकारों से पीड़ित रहते हैं।
अनिद्रा (Insomnia) का क्या कारण हैं ?
अनिद्रा के कारण इस प्रकार हैं :
1. मानसिक विकार : भय, चिंता, शोक, क्रोध, ईर्ष्या
2. थकान : अत्याधिक शारीरिक परिश्रम से पुरे शरीर में पीड़ा और थकावट
3. उपवास : अति उपवास करने से
4. नशा : धूम्रपान या शराब का आती सेवन
5. असुविधा : असुविधाजनक बिस्तर या स्थान
6. दोष क्षय : वमन / Vomiting या विरेचन / Purgation की क्रियाओं द्वारा सिर एवं शरीर में से दोषों को अधिक मात्रा में निकालना।
7. नेसर्गिक : स्वाभाविक रूप से ही कम नींद आना
अनिद्रा को दूर करने के क्या उपाय हैं ?
अनिद्रा को दूर करने के लिए निचे दिए हुए उपाय कर सकते हैं। जैसे की :
1. मालिश, उबटन और स्नान व हाथ-पैर आदि अंगों को दबाना
2. स्निग्ध पदार्थ, दूध का सेवन
3. मानसिक रूप से प्रसन्न रहना
4. सोने के लिए आरामदायक बिस्तर और शांत स्थान
5. अपना पसंदीदा गाना सुनना या किताब पढ़ना
6. आँख, सर और मुख के लिए आरामदायक मलहमों का प्रयोग करना
7. सोने से पहले पानी से अपने पैरों को अच्छे से धोना
8. अपने कमरे में सुगन्धित इत्र लगाना या सुन्दर पुष्पगुच्छ लगाना
दिन में क्यों नहीं सोना चाहिए ?
आयुर्वेद के अनुसार, दिन में सोने से शरीर में कफ और पित्त दोष बढ़ जाते हैं जिससे रोग उतपन्न हो सकते हैं। दिन के समय सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। दिन के समय सोने से पीलिया, सिरदर्द, शरीर में भारीपन, कमजोर पाचन शक्ति, सूजन, भोजन में अरुचि, त्वचा रोग और मोटापा जैसी समस्या निर्माण हो जाती हैं।
अधिक वजन वाले, अधिक स्निग्ध पदार्थ का सेवन करने वाले, कफ प्रकृति के व्यक्ति, दमा रोगी, एसिडिटी के रोगी, कफ विकार से पीड़ित और जोड़ों में दर्द की समस्या वाले व्यक्ति ने दिन में बिलकुल नहीं सोना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार केवल ग्रीष्म ऋतू में थोड़े समय के लिए दिन में सोना चाहिए।
हमारी रात्रिचर्या कैसी होनी चाहिए ?
- भोजन के पाचन और नींद का परस्पर गहरा सम्बन्ध हैं। भोजन का ठीक प्रकार से पाचन नहीं होने पर नींद में बाधा उत्पन्न होती है इसलिए यह आवश्यक है की रात के समय जितना संभव हो सके, भोजन जल्द ही करना चाहिए।
- भोजन और सोने के समय के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल अवश्य होना चाहिए।
- रात्रि का भोजन सुपाच्य और हल्का होना चाहिए।
- रात्रि भोजन करने के बाद कम से कम 10 से 15 मिनट तक पैदल चलना चाहिए।
- रात के समय दही नहीं खाना चाहिए। सामान्यतः स्वास्थ्य के लिए हितकारी होते हुए भी दही अभिष्यन्दि होता हैं। श्वास, खांसी, जुखाम और जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्ति ने दिन के समय में भी दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इससे भोजन का पाचन ठीक प्रकार से हो जाता है और अच्छे से नींद आती हैं।
क्या रात्रि के समय में पढ़ना चाहिए ?
आँखों को स्वस्थ बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है की पढ़ने-लिखते समय प्रकाश की व्यवस्था उचित रूप से व् पर्याप्त हो, परन्तु यह ध्यान रखना चाहिए की सूर्य का प्रकाश जितना अनुकूल हैं, कृत्रिम प्रकाश उतना अनुकूल नहीं हैं। इससे नेत्र की दृष्टी धीरे-धीरे कम हो सकती हैं। इसलिए जहाँ तक संभव हो, रात के समय कम पढ़ना चाहिए। लिखने से आँखों पर अधिक जोर पड़ता हैं, अतः रात्रि में लेखन कार्य न करे तो अच्छा हैं।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
अब से मैं हमेशा रात्रि के समय इन नियमों का पालन करूंगा। इतनी अच्छी जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। भविष्य में भी ऐसी ही प्रति-दिन काम आने वाली जानकारियों को प्रकाशित करे।
thanks, sir for such informational post on Nirogikaya.com…it help me lot
बहुत ही उपयोगी जानकारी। मुकेश जी आपका धन्यवाद!
Ye, jankari bhaut hi achhi hai, really helpful (h)
Thanks Shubhsm ji.
Very useful article. very-2 thanks.
अति महत्वपूर्ण माहिती सभर संदेश, जरुर आगें बांटे – हिमतभाई पारेख, अमदावाद
बहुत ही बढ़िया लेख है मुकेश जी के द्वारा, और डॉ परितोष त्रिवेदी को बहुत बहुत बधाई क बहुत ही बेहतरीन और सफल स्वस्थ्य सम्बन्धी ब्लॉग बनाने के लिए.
आपका कार्य कई लोगो की परेशानियों को कम कर सकता है.
लगे रहिये. सुभकामनाएँ
आधुनिक समय में नींद न आना दिन प्रतिदिन एक बढती समस्या बनती जा रही है. अधिकांश रोगों के पीछे अनिद्रा भी एक महत्वपूर्ण कारण है आपने जिन बिन्दुओं को रेखांकित किया है वे सभी उचित है और यदि इन सुझावों को कुछ हद तक ही दिनचर्या में शामिल किया जाय तो कई परेशानियों से बचा जा सकता है