आज ज्यादातर लोगो के लिए योग केवल एक व्यायाम का प्रकार मात्र हैं। योग को केवल शारीरिक स्वास्थ्य का माध्यम समझा जा रहा हैं। असल में योग शब्द का अर्थ होता हैं ‘ जोड़ना ‘ ! जुड़ना का अर्थ है दो या अधिक चीजो का मिलना। आत्मा से परमात्मा के मिलन को ही योग कहते हैं। वास्तव में योग यह शरीर, मन तथा भावनाओ को संतिलित करने की कला हैं। इस प्रक्रिया में आसन, प्राणायाम, मुद्रा बंध, ध्यान और षट्कर्म जैसे पक्षों का अभ्यास जरुरी हैं।
अब यह भी प्रमाणित हो चूका है की योग शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानिसक स्वास्थ्य के लिए भी जरुरी है। एक ताजा अध्ययन में यह पता चला हैं की चिंता, तनाव और मनोरोग को दूर करने का सबसे बेहतरीन और आसान तरीका योग हैं। इससे न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता हैं, बल्कि तनाव संबंधी हॉर्मोन Beta endorphin में भी कमी आती हैं।
योग की शुरुआत सबसे पहले कब हुई यह कहना मुश्किल हैं। योग का उल्लेख भगवद्गीता में भी पाया जाता हैं। पहले योग की शिक्षा केवल मौखिक रूप से दी जाती थी। योग को लिखित रूप में संगृहीत करने का काम सबसे पहले महर्षि पतंजली ने कीया और इसीलिए इसे ‘पतंजलि योगसूत्र’ के नाम से भी जाना जाता हैं। महर्षि पतंजली ने योग का आठ अंगो में वर्गीकरण किया और उसे नाम दिया अष्टांग योग।
योग के इन आठ अंगो की जानकारी निचे दी गयी हैं :
अष्टांग योग किसे कहते हैं ? What is Ashtang Yoga in Hindi
- यम : कायिक, वाचिक और मानसिक रूप से सयंम प्राप्त होने के लिए निम्नलिखित 5 नियमो का पालन करना।
- अहिंसा – किसी भी तरह की हिंसा न करना
- सत्य – हमेशा सत्य बोलना और सत्य का साथ देना
- अस्तेय : चोरी न करना
- ब्रम्हचर्य : ब्रम्हचर्य का पालन करना
- अपरिग्रह : किसी वस्तु पर अधिकार या अपेक्षा न रखना
- नियम : हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए और जीवन सुव्यवस्तिथ करने के लिए निम्नलिखित नियमो का पालन करना चाहिए।
- शौच – बाह्य और आतंरिक शुद्धि
- संतोष – हमेशा जो मिले उसमे संतुष्ट रहना
- तप – सहनशील बनना
- स्वाध्याय – स्वयं विद्यार्थी बनना
- ईश्वर प्रणिधान – ईश्वर के प्रति समर्पण
- आसन : स्थिर और आरामदायक बैठने की स्तिथि को आसन कहा जाता हैं। योग में अनेक उपयोगी आसनों का वर्णन किया गया हैं।
- प्राणायाम : एक विशेष लय में श्वास लेने की क्रिया को प्राणायाम कहा जाता हैं। प्राणायाम का मुख्य उद्देश हमारे फेफड़ो की कार्यक्षमता को बढ़ाना और मन की चंचलता को कम कर उस पर विजय प्राप्त करना हैं।
- प्रत्याहार : हमारे इन्द्रियों को एकाग्र कर उनका विषयो से ध्यान हटाने को प्रत्याहार कहा जाता हैं। इससे मन को काबू में किया जा सकता हैं।
- धारणा : अपने चित्त को एक विशेष स्थान पर केन्द्रित करने को धारणा कहा जाता हैं। इससे हमारी एकाग्रशक्ति में वृद्धि होती हैं।
- ध्यान : केवल एक वास्तु पर ध्यान केन्द्रित कर अन्य सभी बाह्य वास्तु का ज्ञान तथा उनकी स्मृति न होने की स्तिथि को ध्यान कहा जाता हैं।
- समाधि : चित्त ध्येय वस्तु के चिंतन में पूरी तरह लीन हो जाने की स्तिथि को समाधि कहा जाता हैं। इसे आत्मा से परमात्मा का मिलन या मोक्ष की स्तिथि भी कहा जाता हैं।
योग के स्वास्थ्य संबंधी लाभ Health benefits of Yoga
अगर आप यह सोच रहे होंगे की, योग केवल बैठकर किया जानेवाला कोई बोरिंग व्यायाम है या इसका उपयोग आत्मा से परमात्मा के मिलन के लिए केवल आध्यात्मिक स्वरुप में है तो आप गलत समझ रहे हैं। आध्यात्म के अलावा, योग का शारीरिक और मानसिक लाभ भी होता हैं। योग से होनेवाले विविध स्वास्थ्य संबंधी लाभ की जानकारी निचे दी गयी हैं :
- संपूर्ण व्यायाम : योग एक संपूर्ण व्यायाम हैं। जिस तरह Gym में जाकर कसरत कर हम अपने संपूर्ण शरीर का व्यायाम करते है ठीक उसी तरह हम विविध योग आसन और प्राणायाम कर ज्यादा सावधानी से प्रकृति के समीप रहकर अपने सारे शरीर को मजबूत बना सकते हैं।
- संतुलित स्वस्थ श्वसन क्रिया : योग और प्राणायाम करने से हमारी श्वसन प्रणाली मजबूत होती हैं। कपालभाती, नाड़ीशोधन, शीतली, शितकारी जैसे भिन्न प्राणायाम क्रिया करने से शरीर शरीर में प्राणवायु (Oxygen) की मात्रा बढ़ती हैं जिससे की स्नायु और सभी अवयव तंदुरस्त रहते हैं। संतुलित स्वस्थ स्वसन क्रिया रहने से अस्थमा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कर्करोग जैसे रोग में मदद मिलती हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य : आज के भागदौड़ के युग में सभी व्यक्ति किसी न किसी मानसिक तनाव या चिंता से पीड़ित हैं। चिंता, भय, शोक, क्रोध, इर्ष्या इत्यादि मानसिक विकार हमारे शरीर पर भी विपरीत परिणाम करते हैं। नियमित योग करने से हम अपने चंचल मन पर भी काबू पा सकते हैं और इन मानसिक विकारो से मुक्ति पा सकते हैं। संतुलित स्वस्थ तन के लिए स्वस्थ मन जरुरी है और इसके लिए एकाग्रता और सयंम बढ़ाने वाले अष्टांग योग जरुरी हैं।
- लचीला शरीर : ज्यादातर वजन उठाने वाले व्यायाम करने से शरीर तो मजबूत बनता है पर शरीर का लचीलापन कम हो जाता हैं। योगासन करने से शरीर मजबूत तो बनता ही है पर शरीर का लचीलापन भी बढ़ जाता हैं। लचीलापन बढ़ने से आपकी दैनंदिन गतिविधि आसान हो जाती है और बुढ़ापा भी दूर भागता हैं।
- वजन नियंत्रण : आज विश्व में मोटापा की समस्या महामारी की तरह फ़ैल रही हैं। मोटापा की समस्या आगे जाकर मधुमेह, ह्रदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसे गंभीर रोगों जन्म देती हैं। मोटापा से पीड़ित व्यक्ति हजारो रूपए खर्च कर भी अपने बढे हुए वजन को कम नहीं कर पा रहे हैं। कपालभाती प्राणायाम और पश्चिमोतनासन, सूर्यनमस्कार, त्रिकोणासन, सर्वांगासन जैसे विविध योग आसन कर हम आसानी से अपने बढे हुए वजन को कम कर सकते हैं।
- रोग प्रतिकार शक्ति : शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति हमें हमारे आसपास के रोगकारक विषाणु से लड़ कर बीमार होने से बचाती हैं। अध्ययन से यह प्रमाणित हो चूका है की नियमित योग का अभ्यास करने से हमारी रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ सकती है और बार-बार बीमार होने की तकलीफ और ईलाज के पैसो के खर्चे से छुटकारा मिलता हैं।
- योग भगाए रोग : नियमित योग का अभ्यास करने से हमें कई रोगों से मुक्ति मिल सकती है और कई रोगों की तीव्रता कम करने में मदद मिलती हैं। स्वस्थ व्यक्ति अगर संतुलित आहार लेता है और नियमित योग करता हैं तो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मनोविकार, ह्रदय रोग आदि से हमेशा दूर रह सकता हैं। किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति अगर नियमित योग करता है तो उस रोग की तीव्रता भी कम होती है और उस रोग से होनेवाले दुष्परिणाम से भी छुटकारा मिल सकता हैं। योग करने से पहले जरुरी है की रोगी व्यक्ति अपने डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए और योग विशेषज्ञ से योग करने की सही विधि को सिख लेना चाहिए।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।