हाइड्रोसील का कारण, लक्षण और ईलाज | Hydrocele in Hindi

hydrocele symptoms causes treatment surgery in Hindi

अंडकोष (Testicle) में पानी भर जाने को अंडकोषवृद्धि या हाइड्रोसील (Hydrocele) कहा जाता हैं। सामान्य भाषा में इसे गोटी में सूजन आना भी कह सकते हैं। हाइड्रोसील में अंडकोष की थैली में पानी भर जाने के कारण अंडकोष फूल जाते है और यह समस्या पीड़ादायी भी हो सकती हैं। आयुर्वेद में इसे वृषण वृद्धि कहा जाता हैं।

सामान्यतः गर्भ में बच्चे का अंडकोष पेट में होता है और अंतिम महीनों में यह अंडकोष निचे आकर अंडकोष की थैली (Scrotum) में आ जाते हैं। शुरुआत में अंडकोष के आसपास थोड़ा पानी होता है जिसे धीरे-धीरे त्वचा सोख लेती हैं। कुछ Pre mature बच्चों में यह पानी रह जाता हैं और उन्हें जन्मजात हाइड्रोसील होता है। 40 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में हाइड्रोसील की समस्या अधिक पायी जाती हैं।

हाइड्रोसील का कारण, लक्षण, उपचार और घरेलु आयुर्वेदिक नुस्खों की जानकारी निचे दी गयी हैं :

हाइड्रोसील क्या है ? (Hydrocele in Hindi)

अंडकोष (Testicle) में पानी भर जाने को हाइड्रोसील कहा जाता हैं। हाइड्रोसील में अंडकोष की थैली में पानी भर जाने के कारण अंडकोष फूल जाते है।

हाइड्रोसील कैसे हो जाता है ? (Hydrocele causes in Hindi)

हाइड्रोसील के कुछ मुख्य कारण की जानकारी निचे दी गयी हैं :
1. जन्मजात : कुछ Pre mature बच्चों में शरीर पूरी तरह से ठीक से विकसित ना होने की वजह से जन्मजात हाइड्रोसील की समस्या हो सकती हैं।
2. अंडकोष को चोट लगना
3. संक्रमण या Infection जैसे की Epididymitis, Elephantitis
4. भारी वजन उठाना
5. हर्निया

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हाइड्रोसील का लक्षण क्या हैं ? (Hydrocele symptoms in Hindi)

हाइड्रोसील का लक्षण इस प्रकार हैं :
1. एक या दोनों अंडकोष में सूजन या फुला हुआ होना
2. अंडकोष में दर्द
3. चलने फिरने में दिक्क्त होना
4. खड़े होने पर सूजन बढ़ जाना
5. कभी-कभी हाइड्रोसील की सूजन ट्यूमर या हर्निया के कारण भी हो सकती हैं इसलिए डॉक्टर हाइड्रोसील होने पर रोगी की खून जांच और अंडकोष की सोनोग्राफी जांच कराने की सलाह देते हैं।

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हाइड्रोसील का उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Hydrocele treatment in Hindi)

1. दवा (Medicine) : हाइड्रोसील में सूजन अगर किसी संक्रमण के कारण है तो डॉक्टर इसके लिए antibiotic और anti-inflammatory दवा देते हैं जिससे दर्द और सूजन में कमी आती हैं। हाइड्रोसील यह हाथीपाँव रोग के कारण भी होने कारण खतरा रहता है इसलिए साथ में 21 दिनों के लिए Diethylcarbamazine और एक दिन के लिए Albendazole यह दवा भी देते हैं। अगर हाइड्रोसील छोटा है तो इसमें घबराने की जरुरत नहीं होती है क्योंकि यह अपने आप कुछ समय में अक्सर ठीक हो जाता हैं।
2. सर्जरी (Surgery) : अगर हाइड्रोसील बड़ा है तो इसके लिए Hydrocelectomy या Eversion and  Excision of Sac यह सर्जरी की जाती हैं। हाइड्रोसील के ऑपरेशन मे 30 हजार से 40 हजार तक खर्च आता हैं। कुछ झोलाछाप डॉक्टर सुई से भी हाइड्रोसील के पानी को aspirate कर सूजन कम करते है पर यह सूजन दुबारा हो जाती हैं। हाइड्रोसील का ऑपरेशन ही इसका सबसे अच्छा permanent ईलाज माना जाता हैं। इसके ऑपरेशन के बाद भी थोड़ा सूजन १५ दिनों तक रहता हैं। ऑपरेशन के १५ दिनों बाद आप अपने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं।

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हाइड्रोसील का घरेलु आयुर्वेदिक उपचार क्या है ? (Hydrocele Home remedies in Hindi)

1. आयुर्वेदिक औषधि : हाइड्रोसील के उपचार के लिए चंद्रप्रभावटी, पुनर्नवादि मंडूर, वृद्धि वाधिका वटी आदि औषधि का प्रयोग किया जाता हैं। कब्ज होने से हाइड्रोसील की समस्या बढ़ सकती है इसलिए आंवला, एलोवेरा का जूस और त्रिफला चूर्ण का उपयोग भी कर सकते हैं।
2. Acupressure : दोनों कान के ऊपरी भाग के बिच की हड्डी पकड़कर 8 से 10 बार उठक बैठक करे। इससे हाइड्रोसील की परेशानी में लाभ होता हैं। दोनों कान को पकड़ते समय इस विशेष point को थोड़ा जोर से दबाना होता हैं।
3. जैतून तेल : 10 gm काली मिर्च और 15 gm जीरा को अच्छे से पीसकर इसमें जैतून का तेल मिलाये। इसमें थोड़ा पानी मिलाकर हल्का गर्म मिश्रण को हल्का गर्म करे और हाइड्रोसील पर लगाए। लगभग 5 दिनों में हाइड्रोसील के सूजन में काफी कमी आ जाती हैं।
4. हल्दी : हल्दी को पानी में मिलाकर इसका लेप अंडकोष पर लगाने से अंडकोष की सूजन में कमी आ जाती हैं।
5. होमियोपैथी : हाइड्रोसील का उपचार करने के लिए होमियोपैथी की दवा बेलाडोना, स्पंजिया, कैलकेरिया कार्ब आदि का उपयोग किया जाता हैं।
6. अन्य उपाय : हाइड्रोसील को रोकने के अन्य उपाय इस प्रकार हैं –
a) अपने क्षमता से अधिक वजन न उठाए। Gym ना जाए।
b) अंडकोष को चोट न लगने दे।
c) अंडकोष को सहारा मिलने के लिए हमेशा क्रॉस अंडरवियर या लंगोट का इस्तेमाल करे।
d) गर्म और ठन्डे पानी का सेक करने से हाइड्रोसील में आराम मिलता हैं।

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हाइड्रोसील में कौन सा योग करे ? (Yoga for Hydrocele in Hindi)

हाइड्रोसील के रोगियों ने निचे दिए हुए Yoga करना चाहिए। Yoga की पूरी जानकारी पढ़ने के लिए Yoga के नाम पर click करे।
1. गोमुखासन
2. गरुड़ासन
3. मंडूकासन
4. शशांकासन
5. कपालभाति – कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे करे।

हाइड्रोसील के रोगियों ने पीछे झुकनेवाले Yoga नहीं करना चाहिए।

हाइड्रोसील का क्या दुष्परिणाम है ? (Hydrocele side effects in Hindi)

हाइड्रोसील का समय पर उपचार कराना बेहद जरूरी है। अगर हाइड्रोसील का उपचार नहीं किया जाता है या देरी की जाती है तो निम्नलिखित दुष्परिणाम होने का खतरा रहता हैं।
1. शुक्राणु की संख्या : हाइड्रोसील का अगर समय पर ईलाज नहीं किया गया तो हाइड्रोसील मे भरे हुए पानी के कारण अंडकोश का तापमान बढ़ जाता है और बढ़े हुए तापमान मे शुक्राणु (sperm) की संख्या कम हो सकती है और उनकी कार्यक्षमता (quality) भी कम होने का खतरा रहता हैं।
2. हाइड्रोसील का फूटना : अगर हाइड्रोसील पानी भरने से काफी बड़ा हो जाता है तो पानी के दबाव से हाइड्रोसील के फूटने (rupture) का खतरा रहता हैं।
3. हाइड्रोसील मे खून जमना : हाइड्रोसील मे पानी के दबाव से अंधरूनी रक्तसत्राव हो सकता है और यह खून जम कर Haematocele हो सकता हैं।
4. संक्रमण : अगर हाइड्रोसील के पानी मे किसी bacteria का संक्रमण हो जाता है तो Pyocele यानि हाइड्रोसील मे मवाद (pus) होना यह समस्या हो सकती है। ऐसी स्तिथि मे जल्द ईलाज कराना जरूरी हो जाता हैं।
5. अंडकोश मे मरोड़ : यह एक हाइड्रोसील का बेहद खतरनाक दुष्परिणाम हैं। अंडकोश मे मरोड़ (testicular torsion) होने पर रोगी को असहनीय पीड़ा होती हैं। इसमें emergency मे operation कराना चाहिए।

हाइड्रोसील का निदान कैसे किया जाता हैं ? (Hydrocele diagnosis in Hindi)

हाइड्रोसील का निदान करने के लिए नीचे बताए गए जाँच किए जाते हैं :
1. शारीरिक परीक्षण : रोगी अंडकोष मे सूजन की शिकायत करने पर डॉक्टर अंडकोष का परीक्षण करते है। इसके लिए रोगी को खड़ा रहने के लिए कहा जाता है और अंडकोष की जाँच होती हैं अंडकोष। अंडकोष में सूजन है या नहीं, सूजन दोनों तरफ है या एक तरफ, खाँसी करने पर सूजन बढ़ती है या नहीं आदि चीजें देखि जाती हैं। अगर खाँसी करने पर अंडकोष मे सूजन बढ़ती है और रोगी को लिटाने पर सूजन कम हो जाती है तो हर्निया का निदान भी हो जाता हैं।
2. अंडकोष की सोनोग्राफी : अंडकोष का सोनोग्राफी या Ultrasound करने से पता चलता है की अंडकोष मे पानी जमा है या नहीं।
3. अंडकोष का डॉप्लर : अंडकोष के डॉप्लर जाँच से अंडकोष की नसों मे रक्तप्रवाह की जानकारी प्राप्त होती हैं।
4. खून जाँच : खून जाँच मे शरीर मे संक्रमण है या नहीं यह देखा जाता हैं अगर सफेद रक्तकण या White Blood Cells का प्रमाण 4000 से ज्यादा है तो यह संक्रमण की ओर संकेत करता है और रोगी को Pyocele होने का खतरा रहता हैं।
5. पेशाब जाँच : रोगी के पेशाब मे अगर Blood और Pus cells अगर ज्यादा है तो यह भी संक्रमण और अंडकोष को चोट लगने का संकेत भी देता हैं।
6. शुक्राणु जाँच : अगर रोगी के Semen Analysis मे Sperm Count कम आता है और Sperm Motility कम आती है तो इसका एक कारण हाइड्रोसील भी हो सकता हैं।

हाइड्रोसील के लक्षण दिखाई देने पर रोगी ने तुरंत डॉक्टर से मिलकर जाँच करा लेना चाहिए। जैसा की हमने देखा है ईलाज मे देरी से खतरा और खर्चा दोनों बढ़ने का खतरा रहता हैं।

अगर आपको यह हाइड्रोसील का कारण, लक्षण और ईलाज की जानकारी उपयोगी लगती है तो कृपया इसे शेयर ज़रूर करें। अगर आपको इस लेख में कोई जानकारी के विषय में सवाल पूछना है तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में या Contact Us में आप पूछ सकते है। मैं जल्द से जल्द आपके सभी प्रश्नों के विस्तार में जवाब देने की कोशिश करूँगा।

Reference:

  1. National Insitute of Health – Hydrocele: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK559125/
  2. Centers for Disease control and Prevention – Filariasis: https://www.cdc.gov/parasites/lymphaticfilariasis/health_professionals/care.html
  3. News Medical Hydrocele in Adults: https://www.news-medical.net/health/Hydrocele-in-Adults.aspx

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