मधुमेह को अंग्रेजी में Diabetes Mellitus (DM) कहा जाता है। कई लोग इसे शक्कर की बीमारी भी कहते है। आज भारत मधुमेह में आकड़ों के मामले मे विश्व मे नंबर 1 पर या चुका है। हर 5 मे से 1 भारतीय को Diabetes है ऐसा कह सकते है।
आज के इस लेख मे मैं मधुमेह के प्रकार और मधुमेह का निदान कैसे किया जाता है इसकी जानकारी देने जा रहा हूँ।
डायबिटीज क्या होता हैं? (What is Diabetes in Hindi)
खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रण में रखने के काम इन्सुलिन (Insulin) करता है। इन्सुलिन के कारण हमारे शरीर के पेशियों (cells) को शक्कर (Glucose) द्वारा उर्जा प्राप्त होती है। एक तरह से इंसुलिन वह चाबी है जिस वजह से खून मे मौजूद glucose को cells के भीतर जाने का दरवाजा खुलता है ।
अगर शरीर में किसी कारण इन्सुलिन का निर्माण कम प्रमाण में होते है या इन्सुलिन की कार्यक्षमता कम हो जाती है तो खून में मौजूद glucose हमारे cells के भीतर नहीं पहुच पाता है और इसकी वजह से blood में glucose या sugar level बढ़ जाता हैं। इसी बढ़ी हुई blood sugar level को मधुमेह या Diabetes कहा जाता है।
उपयोगी जानकारी: ग्लिमपीराइड क्या है, उपयोग, दुष्परिणाम और खुराक की जानकारी
डायबिटीज के कितने प्रकार है? (Diabetes types in Hindi)
डायबिटीज के प्रमुख 3 प्रकार है :
- Type 1 DM – Insulin Dependent Diabetes Mellitus (IDDM)
- Type 2 DM – Non Insulin Dependent Diabetes Mellitus (NIDDM)
- Gestational Diabetes – Diabetes in Pregnancy
क्या आप जानते हैं: मेटफोर्मिन क्या है, उपयोग, दुष्परिणाम और खुराक की जानकारी
Type 1 डायबिटीज क्या है?
Type 1 DM को Insulin Dependent Diabetes Mellitus (IDDM) भी कहा जाता है क्योंकी इसमें सभी रोगी को blood sugar level नियंत्रण मे रखने के लिए Insulin के injection लेने पड़ते हैं। इस प्रकार के मधुमेह में अग्नाशय (Pancreas) के अन्दर इन्सुलिन का निर्माण बहुत कम या बिलकुल भी नहीं होता है। इस वजह से खून में बढ़ी हुई ग्लूकोस की मात्रा को कम करने हेतु इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन लेना पड़ता है।
- ज्यादातर बच्चो,किशोरों या युवा व्यस्को में देखा जाता है।
- शरीर बहुत कम या बिलकुल भी इन्सुलिन नहीं बनता है।
- रोज इन्सुलिन का इंजेक्शन लगाने की जरुरत पड़ती है।
जरूर पढ़े: डायबिटीज की कौन सी दवा कब लेना चाहिए ?
Type 2 डायबिटीज क्या है?
Type 2 DM को Non Insulin Dependent Diabetes Mellitus (IDDM) भी कहा जाता है क्योंकी इसमें सभी रोगी को blood sugar level नियंत्रण मे रखने के लिए Insulin के injection लेने के जरूरत नहीं होती है और Diabetes की दवा लेकर blood sugar level को नियंत्रण मे रखा जा सकता है।
इस प्रकार के मधुमेह में अग्नाशय (Pancreas) के अन्दर इन्सुलिन का निर्माण कम प्रमाण में होता है या फिर जो इन्सुलिन तयार होता है उसकी कार्यक्षमता (effectiveness) कम होती है। खून में बढ़ी हुई ग्लूकोस की level को कम करने हेतु दवा लेने की जरुरत पड़ती है। दवा लेने पर भी खुन में ग्लूकोस की मात्रा काबू में न आने पर इन्सुलिन दिया जाता है। यह सबसे आम प्रकार का डायबिटीज हैं।
- ज्यादातर व्यस्को में देखा जाता है,लेकिन अधिक मोटापा दर की वजह से किशोरों और युवा व्यस्को में भी पाया जाने लगा है।
- मुख्य रूप से जीवनशैली से सम्बंधित कारणों और अनुवांशिकता की वजह से होता है।
- कुछ मरीजो में दवा के साथ इन्सुलिन की जरुरत पड़ती है।
Gestational Diabetes क्या है?
गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु को ग्लूकोस की अधिक जरुरत होती है। गर्भावस्था के दौरान स्त्री के शरीर में Hormones में होने वाले बदलाव के कारन इन्सुलिन की कार्यक्षमता कम हो जाती है और खून में ग्लूकोस ही मात्रा बढ़ने से मधुमेह हो जाता है।
- गर्भावस्था के दौरान कुछ स्त्रियों को डायबिटीज हो सकता है।
- यह रोग लगभग 80% स्त्रियों में प्रसव (delivery) होने के बाद ठीक हो जाता है और कुछ स्त्रियों में हमेशा के लिए हो जाता है।
पढ़े – प्रेगनेंसी में डायबिटीज के कारण और उपचार
डायबिटीज का निदान कैसे किया जाता है? (Diabetes diagnosis in Hindi)
मधुमेह का निदान करने के लिए मधुमेह के लक्षण पाए जाने वाले व्यक्तियों में निचे दिए गए जाँच किये जाते है।
- खाली पेट शुगर की जाँच: 8 से 10 घंटे खाली पेट रहने के बाद अगर प्लाज्मा ग्लूकोस (Fasting Blood Sugar) की मात्रा 126 mg/dl से ज्यादा आने पर मधुमेह का निदान होता है।
- खाना खाने के बाद शुगर की जाँच: भोजन शुरू करने के दो घंटे बाद प्लाज्मा ग्लूकोस (Post Prandial Blood Sugar) की मात्रा 200 mg /dl से ज्यादा आने पर मधुमेह का निदान होता है।
- शुगर की औसत जाँच: HbA1C की जाँच जिसकी मात्रा 7% से ज्यादा आने पर आने पर मधुमेह का निदान होता है।
- Oral Glucose Tolerance Test (OGTT): जिसमे प्लाज्मा ग्लूकोस की मात्रा 200 mg /dl से ज्यादा आने पर मधुमेह का निदान होता है।
- पेशाब की जाँच: अगर urine report मे Glucose की मात्रा nil आने की जगह + (plus) मे आती है तो इसका मतलब आपको मधुमेह हो सकता है क्योंकी पेशाब मे glucose तब ही आता है जब इसकी खान मे मात्रा 180 mg/dl से अधिक होती है।
- Random Blood Sugar (RBS): अगर किसी भी random समय पर शुगर जाँच करते है और शुगर की मात्रा 200 mg/dl से अधिक है तो आपको मधुमेह हो सकता है और इसका निदान करने के लिए आपने खाली पेट और कहने के बाद वाली खून जाँच करा लेना चाहिए। अगर आपके घर में किसी को मधुमेह है या फिर आप मोटापे के शिकार है तो आपको अलर्ट रहना चाहिए।
क्या आप जानते है – घर पर अपनी ब्लड शुगर मात्रा कैसे पता करे ?
यहाँ पर मैंने मधुमेह के प्रकार और निदान से जुड़ी जानकारी प्रकाशित की है। मधुमेह की पूरी जानकारी से जुड़े 20 से ज्यादा लेख इस वेबसाईट पर मैं प्रकाशित कर चुका हूँ आप उन्हे जरूर पढे।
अवश्य पढ़े – डायबिटीज के लक्षण क्या हैं ?
अगर आपका कोई सवाल है जिसका जवाब आपको इस वेबसाईट पर नहीं मिल रहा है तो कृपया नीचे comment box में या contact us मे पूछ सकते है। मैं आपके सभी सवालों के विस्तार मे जवाब देने की कोशिश करूंगा।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
It's been good to see your blog when I always look for such type of blogs. Thanks for your sharing. I have been really impressed by going through this awesome info.Recently i have read a very good online review about Diet Plan that will help you to loosing weight Easily.