क्या Diabetes के रोगी Brown rice खा सकते हैं ?

आजकल हेल्दी रहने के लिए भूरे चावल (छिलकेवाला चावल) यानि की Brown Rice खाने का ट्रेंड बढ़ रहा है। सफ़ेद और भूरे चावल में से कौन सा ज्यादा फायदेमंद है इसे लेकर असमंजस बना हुआ है। डायबिटीज के रोगियों के लिए कौन सा राइस बेहतर है या डायबिटीज के रोगी ब्राउन राइस खा सकते हैं या नहीं यह सवाल हमेशा बना रहता है। 

डायबिटीज के रोगियों का मुख्य लक्ष्य अपने रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रण में रखना होता हैं। अगर डायबिटीज के रोगी अपने आहार में विशेष डाइट का पालन करते है तो उन्हें अधिक दवा लेने की जरुरत नहीं पड़ती हैं। खाने-पिने में थोडीसी लापरवाही भी डायबिटीज के रोगियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। 

आज इस लेख में हम आपको डायबिटीज के रोगी भूरे चावल यानि ब्राउन राइस खा सकते है की नहीं इस सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। डायबिटीज के रोगी ब्राउन राइस खा सकते हैं या नहीं इसकी जानकारी नीचे दी गई है :
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क्या डायबिटीज के रोगी ब्राउन राइस खा सकते है ?

Brown Rice Health benefits in Diabetes in Hindi

डायबिटीज के रोगियों को अपने ब्लड शुगर लेवल को कण्ट्रोल में रखने के लिए आहार में कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। ब्राउन राइस और वाइट राइस में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा समान होती हैं पर ब्राउन राइस में अन्य पौष्टिक गुण होने की वजह से डायबिटीज रोगी इसे सेवन कर सकते हैं। भूरे चावल का सेवन कितना करना है यह हर डायबिटीज के रोगी के लिए अलग-अलग हो सकता है क्योंकि हर रोगी का शुगर कण्ट्रोल अलग-अलग होता हैं। 

अगर आपका शुगर कण्ट्रोल अच्छा है तो आप हफ्ते में दो से तीन बार भूरे चावल खा सकते हैं वही अगर आपका शुगर लेवल अधिक रहता है तो आप हफ्ते में एक बार ही इसका सेवन कर सकते हैं। आपको भूरे चावल का सेवन कितना करना चाहिए इसकी सलाह आपको अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से ही लेनी चाहिए। 

भूरे चावल क्यों है बेहतर ? Health Benefits of Brown Rice in Hindi

  • फाइबर : ब्राउन राइस में फाइबर ज्यादा होने की वजह से यह कम खाया जाता है और इसीलिए कार्बोहाइड्रेट का इंटेक भी कम होता है। ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे हाई फाइबर फूड श्रेणी में रखा जाता है।
  • वजन कम करता हैं : यह वजन कम करने में मददगार है। इसमें फाइबर अधिक होने से व्यक्ति अधिक खाने की आदत से बच सकता हैं।
  • स्वास्थ्यकर : इसे खाने से हृदय रोग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा घटता है।
  • पौष्टिक : ब्राउन राइस में फास्फोरस, विटामिन B काम्प्लेक्स, मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा है। इसमें एंटीआक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होने से यह हेल्थ के लिए फायदेमंद है। 
  • कम Glycemic Index : सफ़ेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 72 है और ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स केवल 50 है इसलिए इसे खाने से अधिक शुगर नहीं बढ़ती हैं।
  • एंजाइम : भूरे चावल में 300 तरह के विविध पाचक एंजाइम पाए जाते है तो इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाते है और शुगर लेवल में कमी लाते हैं।
  • कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स : ब्राउन राइस में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स होते है जो की Slow releasing Carbohydrates है। इसकी वजह से इसे खाने से तुरंत शुगर नहीं बढ़ती हैं।
  • पेट का कैंसर : ब्राउन राइस में फाइबर और सेलेनियम अधिक प्रमाण में होता है जिससे पेट का कैंसर होने का खतरा कम हो जाता हैं।
  • स्तन कैंसर : अमेरिका में हुए संशोधन में पाया गया है की ब्राउन राइस का नियमित सेवन करने से महिलाओं में इंट्रोलेक्टोन तत्व की मात्रा बढ़ जाती है जिससे स्तन का कैंसर होने का खतरा कम हो जाता हैं।
  • पौष्टिक तत्व : भूरे चावल को खाने के लिए तैयार करते वक्त सिर्फ बाहरी परत हटाई जाती है जिससे न्यूट्रिशंस का नुकसान कम होता है। सफ़ेद चावल बनाते समय कई परत हटाई जाती है जिससे पौष्टिक तत्व निकल जाते हैं। सफ़ेद चावल में कम फाइबर और स्टार्च अधिक होता है।
इस तरह भूरे चावल या Brown Rice, सफ़ेद चावल की तुलना में अधिक पौष्टिक, पाचक और स्वास्थ्यकर हैं। ब्राउन राइस का केवल एक बात का दोष है की इसक स्वाद सफ़ेद चावल जितना स्वादिष्ट नहीं होता है पर एक बार इसे आप खाना चालू कर दे तो फिर आपको यह भी उतना ही स्वादिष्ट लगने लगेगा।
आशा है आपको यह भूरे चावल की जानकारी उपयोगी लगी होगी और इसे आप शेयर अवश्य करेंगे। 

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