डायबिटीज मे कौन सा योग करना चाहिए | Yoga for Diabetes in Hindi

yoga for diabetes in Hindi

योग भगाए रोग ! यह कहावत तो हम सभी ने सुनी ही हैं। Yoga करने से जैसे हम एक स्वस्थ जीवन जी सकते है ठीक उसी तरह कुछ विशेष योग का नियमित अभ्यास करने से हम अपने Blood Sugar Level को control कर Diabetes रोग को काबू मे रख सकते हैं।

आज की हमारी जिंदगी में हमें तरह-तरह की बीमारियों ने घेरा हुआ है और कई बीमारियां हमें कम उम्र में ही होने लगी है, जैसे Diabetes, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां आदि। इसकी मुख्य वजह है हमारी आधुनिक जीवनशैली जिसमें असंतुलित आहार विहार, कसरत का अभाव, कम हो रही प्रतिकार क्षमता, बढ़ता जा रहा आलस्य ये सब जिम्मेदार है।  

आज डायबिटीज के मरीजों की संख्या इतनी बढ़ रही है कि आज हमारा देश शायद डायबिटीज के रोगियों की संख्या में दुनिया में नंबर एक पर आ चुका हैं। Diabetes के खतरे से बचने के लिए हमें सजग होना बहुत जरुरी हो गया है और साथ ही हमारी दिनचर्या, हमारे आहार विहार में परिवर्तन लाना हमारी जिम्मेदारी बन गई।

जिस तरह मां बाप की जायदाद बच्चों को मिल जाती है उसी तरह कुछ बीमारियां भी ऐसी है जो मां-बाप को होती है और अनुवांशिकता से बच्चों में आने के चांस काफी बढ़ जाते हैं जैसे कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन आदि। और ऐसे में हमारी बिगड़ी हुई जीवनशैली, मेहनत का अभाव, जंक फूड का अति सेवन आदी वजह से इन बीमारियों को रोक पाना हमारे लिए काफी मुश्किल हो रहा है।

डायबिटीज के मरीजों में कैलोरीज बर्न करना और ब्लड शुगर को नियंत्रण में लाने के लिए संतुलित आहार के साथ कसरत व योग का अपना अलग ही महत्व होता है। योग की मदद से डायबिटीज काफी हद तक नियंत्रण में आ सकता है, या यूं कहिए अगर हम संतुलित आहार के साथ योग को अपने जीवन का एक हिस्सा बनाएं तो आप डायबिटीज से निजात भी पा सकते हैं। कसरत व योग के द्वारा डायबिटीज का प्रतिबंध और चिकित्सा यह दोनों बातें साध्य हो सकती है।

योग का अंतिम ध्येय रहता है शरीर और मन का सामंजस्य। जब मन और शरीर का असंतुलन होता है तब रोगों की उत्पत्ति होती है। ” फ्रीडम ऑफ डायबिटीज” इस संस्था द्वारा किए गए जांच में यह पता चला है कि मधुमेह यह एक जटिल बीमारी होने के बावजूद भी पूरी तरह ठीक हो सकती है, बशर्ते हम उस का पूरा ख्याल रखें तो। माना जाता है कि हर रोज करीब 200 कैलरीज बर्न हो इतनी कसरत और योगा मधुमेह,मोटापा, हाइपरटेंशन को ठीक करने के लिए काफी होता।

कई सालों से डायबिटीज की दवाइयां ले रहे मरीजों को अगर हम देखेंगे तो वह बाहर से तो हट्टे-कट्टे लगते हैं लेकिन अंदर से वह बीमार होते हैं। इस बीमारी की मुख्य वजह रहती है उनका निष्क्रिय हुआ अग्न्याशय याने Pancreas, मोटापा, आलस्य, चिंता, तनाव आदि।

अगर हम प्रतिदिन करीब 45 मिनट तक योग, प्राणायाम, शवासन, ध्यान आदि करें तो हमारे शरीर के साथ हमारा मन भी क्रियाशील और सकारात्मक होने लगता है। शरीर एवं मन का संतुलन एवं कार्य सुचारु ढंग से सिर्फ योग द्वारा ही हो सकता है। नियमित योगाभ्यास से ह्रदय, श्वसन संस्था पचन संस्था आदि शरीर की अनेक क्रियाएं सही तरीके से चलने लगती है।

मधुमेह में योगा करने से आपको दो लाभ होंगे , 

  1. आपका डायबिटीज नियंत्रण में रहेगा। 
  2. डायबिटीज से होने वाले दुष्परिणामों से आप लंबे समय तक बच पाएंगे।

शरीर में जमी हुई चर्बी कम होने के लिए योग के साथ कसरत का भी काफी महत्व होता है। इसके लिए हमें नाड़ी की गति बढ़ाने वाले व्यायाम करने होते हैं जैसे तेज चलना, दौड़ना, साइकिलिंग, स्विमिंग, नृत्य, ट्रेकिंग आदि एरोबिक गतिविधियों को भी योग के साथ करना चाहिए। 

निम्नलिखित योगाभ्यास को अपने जीवन शैली का हिस्सा बनाकर आपको डायबिटीज से लड़ना होगा। आप यह योगाभ्यास सुबह या शाम जिस भी वक्त आपको समय मिले कर सकते हैं। इसके लिए आपका पेट खाली होना आवश्यक है या फिर आप खाने के 3 से 4 घंटे बाद कर सकते हैं।

डायबिटीज के रोगियों ने कौन से योग करना चाहिए ?

डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए डायबिटीज के रोगियों ने निचे दिए हुए योग करना चाहिए। योग की सम्पूर्ण विधि, लाभ और सावधानी की पूरी जानकारी पढने के लिए आप योग के नाम के उपर click करे।

  • सूर्यनमस्कार : डायबिटीज के व्यक्तियों के लिए सबसे लाभकारी और सरल आसन है। इस योगासन में करीब 12 आसनों का समावेश होता है। इसे करने से पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण की क्रिया सुचारू रूप से चलती है। शरीर के सभी अवयवों के कार्यों में सुधार आता है। हर रोज करीब 6 से 8 सूर्यनमस्कार करना चाहिए। अपनी ताकत के अनुसार आप इनकी संख्या भी बढ़ा सकते हैं।
  • पश्चिमोत्तानासन : डायबिटीज में उपयोगी यह आसन करने से शरीर में प्राण ऊर्जा बढ़ती है। श्रोणि एवं पेट के अवयव सक्रिय होते हैं। शरीर को आगे के साइड मोड़ने से चेहरे का रक्त संचार अच्छे तरीके से होता है तथा मन को शांति भी मिलती है। इस आसन को करने से पेट, जांघ एवं बाहू स्नायुओं को मजबूती मिलती है।
  • योगमुद्रासन : यह आसन अग्न्याशय की कार्यक्षमता बढ़ाकर इन्सुलिन की निर्मिति बढ़ाता है। यह आसन करनेसे पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होकर वजन कम होने में मदत मिलती है। कब्ज एवं पाचन संबंधी रोगों को दूर करता है। साथ ही रीढ़ की हड्डी को मजबूत एवं लचीली बनाता है।
  • वज्रासन : खाने के बाद भी कर सकने वाला वाला यह एकमेव सरल आसन है। इससे पाचन तंत्र  मजबूत बनता है एवं मन को शांति मिलती है। रीढ़ की हड्डी के नीचे रहनेवाले अवयवों का इस आसन द्वारा मसाज होता है। 
  • बलासन : डायबिटीज को जड़ से समाप्त करने में मदद करने वाला यह आसन बच्चों की मुद्रा नाम से भी जाना जाता है। यह  थकान को दूर करता है एवं स्पाइन, जंघा तथा टखनों की स्ट्रेचिंग करने में मदद करता है। कमर दर्द कम करने में भी आसन मदद करता है।
  • अर्धमत्स्येन्द्रासन : रीढ की हड्डी को मजबूती प्रदान करने वाला यह आसन पेट के अंगों की मसाज करता है। फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है।
  • सुप्तमत्स्येन्द्रासन ; यह आसन पेट के अवयवों को सक्रिय बनाकर पाचन तंत्र में सुधार लाता है। यह आसन मधुमेह से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए अच्छा होता है।
  • उष्ट्रासन : उष्ट्रासन पेंक्रियाज को उत्तेजित कर, इंसुलिन के स्त्राव को मदद करता है, इस वजह से डायबिटीज कंट्रोल में रहने में मदद मिलती है। अगर आप सही तरीके से यहां आसन करते हैं तो आपके पेट की चर्बी काफी कम होगी।
  • गोमुखासन : मधुमेह में यह आसन अत्यंत लाभकारी होने के साथ वजन कम करने में मदद करता है।
  • सेतूबन्धासन : यह आसन ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है, साथ ही पाचन तंत्र में सुधार लाता है।
  • धनुरासन : मधुमेह के मरीजों के लिए अत्यंत लाभदायक यह आसन अग्न्याशय को सक्रिय बनाता है। इस आसन को नियमित करने से पीठ एवं रीढ की हड्डी का मसाज अच्छी तरह से होता है। कब्ज से भी यह आसन राहत दिलाता है।
  • भुजंगासन : भुजंगासन से रीढ़ की हड्डी लचिली बनती है। पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होकर मोटापा कम होता है। कब्ज की शिकायत दूर होने में मदत होती है।
  • मण्डूकासन : डायबिटीज के लिए मरीजों के लिए हर रोज दो से तीन बार मंडूकासन करना, काफी फायदेमंद होता है।
  • चक्रासन : स्पाइन को स्ट्रेच करने के लिए एवं मसल्स को आराम देने के लिए इस आसन को सर्वोत्तम माना गया है, इसके साथ यह मस्तिष्क को भी रिलैक्स करता है।
  • हलासन : पोश्चर की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति के लिए यह आसन वरदान माना गया है। यह थायराइड ग्रंथि, फेफड़ों तथा अन्य  अवयवों को उत्तेजित करता है जिस कारण शरीर में रक्त संचालन तेजी से होता है।
  • सर्वांगासन : थायराइड व पैराथाइरॉइड के कार्य को क्रियाशील करने के लिए आसन विशेष भूमिका निभाता है,  जिससे हारमोंस व  मोटापा नियंत्रित रहता है। इस आसन को नियमित करने से पाचन तंत्र, नर्वस तंत्र और श्वसन तंत्र सुचारु रुप से काम करते हैं।
  • शवासन : पूरे शरीर को शिथलता एवं आराम प्रदान करने वाला यह आसन व्यक्ति को ध्यान की गहरी अवस्था में ले जाता है। जिससे मन शांत एवं ऊर्जा से परिपूर्ण होता है। डायबिटीज की चिकित्सा मे मन की चिकित्सा का भी अपना महत्व होता है।
  • कपालभाति प्राणायाम : कपालभाती प्राणायाम से पेट की मांसपेशियां सक्रिय होती है, पेनक्रियाज के बीटा सेल्स रीजनरेट होने में मदद मिलेगी। यह प्राणायाम रक्त संचरण को सुधारता है, साथ ही मस्तिष्क के तंत्रिकाओं में उर्जा प्रदान कर मानसिक शांति देता है। डायबिटीज के मरीज में आंखों की समस्या होने का डर रहता है, नियमित कपालभाति करने से आंखों की रोशनी लंबे समय तक अच्छी व तेज बनी रहेगी। डायबिटीज के मरीजों को हर रोज कम से कम 15 से 20 मिनट कपालभाति अवश्य करना चाहिए। जिस तरह डायबिटीज को ‘ मदर ऑफ ऑल डिसीज़ ‘ कहा जाता है, उसी तरह कपालभाति को मधुमेह के साथ सभी रोगों का नाश करने वाला कहा गया है।
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम : मधुमेह के कारण होने वाले हृदय, किडनी, त्वचा, आंख आदि के होने वाले सारे दुष्परिणाम इससे दूर होते जाएंगे।  रोज करीब 10 से 15 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम करें।
  • भ्रामरी प्राणायाम : चिंता, तनाव यह भी डायबिटीज का एक मुख्य कारण होता है। भ्रामरी प्राणायाम से मन शांत होकर चिंता तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • उज्जयी प्राणायाम : उज्जाई प्राणायाम से शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं साथ ही अतिरिक्त चर्बी कम होकर मोटापा कम होने में मदद मिलती है। चिंता और तनाव दूर करने में यह आसन अत्यंत लाभप्रद है।
  • भस्त्रिका प्राणायाम : इस प्राणायाम में पेट का उपयोग अधिक होने से पेट के अतिरिक्त चर्बी कम होने में मदद मिलती है साथ ही पाचन शक्ति में भी वृद्धि होती है। 

इस आर्टिकल में लिखे गए योगासनों को आपको अपने दैनिक कसरत जैसे चलना, दौड़ना, साइकिलिंग आदि जो भी आप करते हैं इसके अलावा समय देना होगा और साथ ही अपनी दवाइयां और अपना संतुलित आहार भी सही समय पर लेना होगा। दवाइयां अपने मन से बंद ना करे। दवाइयों का डोस एडजस्ट करना डॉक्टर पर छोड़ दे। समय समय पर खून की जांच करवाते रहे एवम डॉक्टर की सलाह लेते रहे।

इस तरह डॉक्टर द्वारा दी गई दवाई, योग, आयुर्वेदिक प्राकृतिक दवाइयां (डॉक्टर की सलाह से), संतुलित आहार, कसरत एवं समय समय पर नियमित जांच करके आप मधुमेह को नियंत्रित रख सकते हैं एवं स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।

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