अपान मुद्रा विधि, लाभ और सावधानी

योग में शरीर को स्वस्थ और निरोगी रखने के लिए जैसे योगासन और प्राणायाम का महत्व है ठीक उसी तरह हस्त मुद्रा को भी विशेष स्थान हैं। सामान्य दिखने वाली इन मुद्रा का नियमित अभ्यास कर हम अपने शरीर को कई रोगों से दूर रख सकते है और रोग होने पर उनका उपचार भी कर सकते हैं। 

प्राण वायु शरीर के विभिन्न अवयवों एवं स्थानों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार से कार्य करती है। इस दृष्टि से उनको अलग-अलग नाम भी दिए गए हैं; जैसे प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान। यह वायु समुदाय पांच प्रमुख केंद्र में अलग-अलग तरह से कार्य करता है। प्राण स्थान प्रमुख रूप से हृदय में आनंद केंद्र में है। प्राण नाभि से लेकर गले तक फैला हुआ है। प्राण का कार्य सांस लेने, छोड़ने, खाया हुआ भोजन पचाने, भोजन के रस को अलग-अलग इकाइयों में विभाजित करना, भोजन से रस बनाना और इससे अन्य धातुओं का निर्माण करना है। 

अपान का स्थान स्वास्थ्य और शक्ति केंद्र है। योग में इसे मूलाधार चक्र कहा जाता है। अपान का कार्य मल, मूत्र, वीर्य, गर्भ और रज को बाहर निकालना है। यह सोना, बैठना, उठना, चलना आदि गतिशील स्थितियों में सहयोग करता है। जैसे अर्जन जीवन के लिए जरुरी है वैसे ही विसर्जन भी जीवन के लिए अनिवार्य है। 

आज हम यहाँ पर एक बेहद ही आसान पर उपयोगी अपान मुद्रा की जानकारी देने जा रहे हैं। अपान मुद्रा की विधि, लाभ और सावधानी से जुडी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

अपान मुद्रा विधि, लाभ और सावधानी की जानकारी

apana mudra benefits in Hindi

अपान मुद्रा करने की विधि (Apaan Mudra steps in Hindi)

अपान मुद्रा की विधि निचे दी गयी हैं :

  • सुखासन या अन्य किसी ध्यान आसन में बैठ जाएं।
  • दोनों हाथ घुटनों पर रखें।
  • हथेलियां ऊपर की तरफ रहे एवं रीड की हड्डी सीधी रहे।
  • हाथ की मध्यमा (बीच वाली उंगली Middle Finger) और अनामिका (Ring Finger) को आपस में मिलाकर मोड़कर अंगूठे के अग्रभाग में लगा दें।
  • तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली Index Finger) तथा कनिष्का (Little Finger) को सीधा रखे।

अपान मुद्रा करने का समय अवधि (Time duration of Apaan Mudra in Hindi)

प्राण और अपान दोनों का शरीर में महत्व है। प्राण और अपान दोनों को समान बनाना ही योग का लक्ष्य है। प्राण और अपान दोनों के मिलन से चित्त में स्थिरता उत्पन्न होती है। अपान मुद्रा करने का सर्वोत्तम समय प्रातः दोपहर और सायंकाल है। इस मुद्रा को दिन में कुल 45 मिनट तक कर सकते हैं। दिन में तीन 3 बार 15  मिनट तक भी कर सकते हैं।

अपान मुद्रा के बारे में विशेष बातें

यह मुद्रा दोनों हाथों से करने से पूर्ण लाभ उठाया जा सकता है, लेकिन अगर किसी कारण से एक हाथ दूसरे कार्य में लगा हुआ हो तो एक हाथ से भी इस मुद्रा को किया जा सकता है। हालांकि एक हाथ से करने से दोनों हाथों से करना जितना लाभ नहीं मिलता किंतु फायदा अवश्य होता है। प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान वायु के दोषों का परिष्कार अपान मुद्रा से किया जा सकता है। 

अपान मुद्रा के समय क्या सावधानी बरते (Apaan Mudra precautions in Hindi)

अपान मुद्रा एक शक्तिशाली मुद्रा है। इसमें एक तथा तीन तत्व का मिलन अग्नि तत्व से होता है इसलिए इसे निश्चित समय से अधिक नहीं करना चाहिए। 

अपना मुद्रा के लाभ क्या हैं ? (Health benefits of Apaan Mudra in Hindi)

अपना मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से निचे दिए हुए लाभ होते हैं :

  1. कब्ज, बवासीर और पेट से जुड़े रोग में लाभ मिलता हैं। 
  2. मधुमेह और पेशाब से जुड़े रोग में लाभ होता हैं। 
  3. गर्भवती महिलाओं को इससे लाभ होता हैं। इस समय होने पर भी प्रसव नहीं हो रहा हो तो इस मुद्रा से समय पर डिलीवरी होने में सहायता होती हैं। 
  4. अगर आपका वजन ज्यादा है तो weight loss करने के लिए यह उत्तम मुद्रा हैं।
  5. शरीर के सभी विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।  

अपान मुद्रा करने से शरीर के हानिकारक तत्व निकल कर पहले शरीर की सफाई होती है और फिर शरीर को नयी ऊर्जा प्राप्त होकर शरीर स्फूर्तिवान बन जाता हैं। योग मुद्रा दिखने में आसान लगती है पर इनका अभ्यास योग विशेषज्ञ से सीखकर ही करने से अधिक लाभ होता हैं। 

यह जानकारी हमें पुणे, महाराष्ट्र से योगविशेषज्ञ डॉ संजय मिश्रा ने भेजी हैं। निरोगिकाया परिवार की तरफ से उन्हें बहोत-बहोत धन्यवाद !

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2 thoughts on “अपान मुद्रा विधि, लाभ और सावधानी”

  1. आन्त काफी कमजोर हो गई हैं जिसके कारण कब्ज रहती है और भूख कम लगती है।गैस पास करने में भी दिक्कत होती है। प्राकृतिक चिकित्सा से ईलाज करवा रहा हूँ। अनिमा से भी पेट साफ नहीं होता।कोई ईलाज बताईये ।

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