भारत में अधिकतर माताएं अपने बच्चों के मानसिक या बौद्धिक विकास की जगह शारीरिक विकास पर अधिक जोर देती हैं। बच्चों के आहार में भी Micro nutrients जैसे की कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन या फैट पर अधिक ध्यान दिया जाता हैं जिससे शारीरिक विकास होता हैं पर मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए जरुरी Micro nutrients की अनदेखी की जाती हैं।
ऐसा आहार लेने से बच्चों का शारीरिक विकास तो ठीक से होता हैं पर कैल्शियम, विटामिन और मिनरल्स के अभाव में बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति कमजोर होती है और वे आसानी से कई बिमारियों के शिकार हो जाते हैं। डॉक्टर्स का कहना है की भारत में आहार विज्ञान की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और इसलिए बच्चों में जरुरी पोषक तत्वों की कमी पायी जाती हैं।
Micro-nutrients क्या है और क्यों जरुरी है इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
बच्चों के आहार में Micro-nutrients क्यों जरुरी हैं ?
- बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए आहार में कैल्शियम, आयोडीन, जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन जैसे मिनरल्स और विटामिन्स बेहद जरुरी होते हैं। इनको Micro-nutrients इसीलिए कहा जाता है क्योंकि बेहद कम प्रमाण में ही शरीर को इनकी जरुरत होती है पर शरीर में इनका काम बेहद बड़ा और महत्वपूर्ण होता हैं।
- शरीर में Micro-nutrients की कमी (deficiency) को hidden hunger यानि छुपी भूक भी कहा जाता है क्योंकि ऐसे तो इनकी कमी होने पर जल्द कोई लक्षण नजर नहीं आता पर इनकी कमी से बच्चों की हाइट कम रहती हैं, बौद्धिक विकास नहीं होता, रोग प्रतिकार शक्ति कमजोर होती हैं और पीड़ित बार-बार किसी न किसी संक्रमण का शिकार होते रहता हैं।
- भारत में बच्चो के पोषण से जुड़े एक स्टडी में यह सामने आया है भारत में लगभग 35 % 6 महीने से 2 वर्ष के बच्चों को आहार से उतना आयरन नहीं मिलता जितना की मिलना चाहिए।
- जन्म से लेकर पहले 1000 दिनों में बच्चों के दिमाग / ब्रेन विकास होता हैं और इस दौरान अगर बच्चों को पर्याप्त आयरन तत्व नहीं मिलता है तो इसका विपरीत परिणाम बौद्धिकता पर होता हैं जो की 1000 दिन बाद में पर्याप्त आयरन देकर भी ठीक नहीं होता।
- बच्चों को पर्याप्त मात्रा में सभी Micro-nutrients मिले इसके लिए आपको उन्हें बचपन से दूध, दही, पनीर, सभी फल और हरी सब्जियां खाने की आदत डालनी चाहिए।
- आजकल के छोटे बच्चे चॉक्लेट्स और फ़ास्ट फ़ूड का अधिक सेवन करते है जिनसे उन्हें केवल एनर्जी मिलती और पौषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते हैं।
- विशेषकर बच्चो को पहले 6 महीने माता का स्तनपान जरूर कराना चाहिए और बाद में 3 वर्ष की आयु तक सभी प्रकार के फल और सब्जी आकर्षक रूप से प्रस्तुत कर इन चीजों की पसंद पैदा करनी चाहिए।
- अगर बच्चो को पहले 1000 दिन में सभी Micro-nutrients पर्याप्त रूप में मिले तो उनका शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास बढ़िया होता है साथ ही रोग प्रतिकार शक्ति होने से वे बार- बार बीमार भी नहीं पड़ते हैं। किस उम्र में बच्चों को कैसा देना चाहिए इसकी सटीक जानकारी लेने के लिए आप चाहे तो डायटीशियन की मदद भी ले सकते हैं।
बच्चों के नुट्रिशन से जुड़े कुछ उपयोगी 10 लेख हमने निरोगिकाया ब्लॉग पर प्रकाशित किये है जिन्हे आप यहाँ पढ़ सकते हैं। लेख पढ़ने के लिए कृपया लेख के नाम पर क्लिक करे :
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- Vitamin C के फायदे और आहार स्त्रोत
- Calcium की कमी कैसे दूर करे
- Vitamin D की कमी कैसे दूर करे
- आहार में Magnesium का महत्त्व और आहार स्त्रोत
- कैसा होना चाहिए जन्म से लेकर 3 वर्ष तक के बच्चों का आहार
- Vitamin B12 की कमी कैसे दूर करे
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।