भारत में शिशु (New Born Baby) मृत्यु दर 47/1000 शिशु है। यानी देश में जन्म लेने वाले हर हजार new born में से 47 शिशु की मृत्यु उनके जीवन के प्रथम वर्ष में ही हो जाती है। इन बच्चों में से 60% की मृत्यु जन्म के 1 महीने के भीतर ही हो जाती है। आज भी देहात में ज्यादातर लोगों का अनपढ़ होना और अस्वच्छता यह भारत में इतना अधिक शिशु मृत्यु दर होने की कुछ प्रमुख बड़ी वजह हैं।
नवजात शिशुओं में लगभग 90% की मृत्यु ऐसे कारणों से होती है जिनसे बच्चे को बचाया जा सकता है। जैसे की जन्म के समय वजन कम होना, समय से पूर्व जन्म होना, जन्म के समय बच्चे को सांस लेने में तकलीफ, संक्रमण या पीलिया इत्यादि।
बच्चों के जन्म से पहले से ही बच्चे जब माता के कोख में होते तब से लेकर तो जन्म के बाद पहले एक वर्ष तक माता और शिशु की विशेष देखभाल बेहद आवश्यक होती हैं। माता और नवजात शिशु की देखभाल कैसी करनी चाहिए इसकी जानकारी निचे दी गयी हैं :
नवजात की देखभाल कैसे करे ? (New born Baby Care tips in Hindi)
जन्म से पहले देखभाल कैसे करे ? Pregnancy care tips in Hindi
नवजात शिशु की देखभाल का सबसे महत्वपूर्ण समय मां के गर्भ के दौरान होता है। गर्भ के दौरान यदि मां स्वस्थ है, उसका खानपान उचित हो और गर्भ से संबंधित कोई विकार ना हो तो बच्चा जन्म के समय स्वस्थ रहता है। चीनी लोगों का मानना है कि जन्म के समय बच्चे की उम्र नव महीने की होती है जबकि हम जन्मदिन बच्चे के पैदा होने के वक्त मनाते हैं। इसका मतलब यह है कि संबंध बनाने (कंसेप्शन) के पहले दिन से ही बच्चे का जीवन शुरू हो जाता है और तभी से उसका पूरा-पूरा ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस दौरान की गई देखभाल से ही शिशु जन्म के समय स्वस्थ होगा। इसी तरह इस दौरान बरती गई लापरवाही का नतीजा भी जन्म के समय पर आने वाली जटिलताओं के रूप में सामने आता है।
- नवजात शिशु की देखभाल के लिए मां को समुचित जानकारी मेडिकल व पेरामेडिकल स्टाफ द्वारा दी जानी चाहिए।
- प्रेगनेंसी प्लान करने के पहले ही माता का सम्पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण करना चाहिए जिससे खून / कैल्शियम की कमी, थीरोइड, हेपेटाइटिस, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि बीमारी होने पर उसका पता पहले से चल जाये और उचित उपचार शुरू हो सके।
- जहां तक संभव हो सके प्रसव हमेशा अच्छे अस्पताल में ही होना चाहिए ताकि चिकित्सक और नर्स की सेवाएं मिल सके इससे जटिलताओं की आशंका कम हो जाती है।
- किसी भी प्रकार की जटिलता पेश आने पर अस्पताल में तुरंत उससे निपटने की व्यवस्था की जा सकती है।
जन्म के बाद शिशु की देखभाल कैसे करे ? (Newborn Baby Care tips in Hindi)
शिशु का जन्म होते ही उसकी ठीक से देखभाल होना आवश्यक हैं। शिशु की क्या देखभाल करनी छाईए इसकी जानकारी निचे दी गयी हैं :
- जन्म के आधे घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए। माता का पहला पिला दूध शिशु को अवश्य पिलाये इसमें कई बिमारियों से लड़ने की शक्ति होती हैं। स्तनपान से जुडी अधिक जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – स्तनपान कैसे करे और स्तनपान का महत्त्व
- जीवन के पहले 6 महीने तक बच्चे के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार है। इस दौरान मां के दूध के अलावा कोई भी चीज ना पिलाये।
- कई लोग बच्चे को पानी, घुटी, शहद, नारियल पानी, सोना को घिसकर या गंगा जल पिलाने की गलती करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।
- शुरूआती 6 महीनों तक माता का दूध पीने वाले बच्चे अच्छी तरह से विकसित होते हैं। संक्रमण से उनका बचाव होता है। साथ ही उन में अपने माता-पिता के प्रति भावनात्मक लगाव लंबे समय तक बना रहता है।
- छह महीने की उम्र के बाद बच्चे को माता के दूध के अलावा ऊपरी आहार भी देना चाहिए।
- जन्म के तुरंत बाद शिशु को पोलियो की दवा, बीसीजी और हेपेटाइटिस का टीका देना चाहिए।
- शिशु को ठंड से बचाने के लिए उसे पूरे कपड़े पहनाने चाहिए।
- कपड़ों के साथ ही उसे टोपी, बग्लॉव्स और मोज़े पहना कर रखना चाहिए।
- बच्चे को मां के समीप रखना चाहिए क्योंकि मां के शरीर से बच्चे को गर्मी मिलती है।
- घर की किसी बड़े सदस्य को कोई संक्रामक बीमारी होने पर उन्हें बच्चो से दूर रखे।
- बच्चे को उठाते या खिलाने-पिलाने से पहले अपने हाथ अच्छे से साफ़ करे और स्वच्छ बर्तन का ही इस्तेमाल करे।
- बच्चो को उठाते समय उनके सिर को सहारा अवश्य देना चाहिए। छोटे बच्चो में neck control नहीं होता जिससे सिर उठाने पर पीछे लटक जाता हैं।
- बच्चों को चोट लग सके या बच्चा निगल सके ऐसी कोई चीज बच्चों के पास न रखे।
- अगर डायपर का इस्तेमाल करते है तो हमेशा अच्छे डायपर का इस्तेमाल करे और 10 घंटे से अधिक कोई डायपर न रखे।
- 6 महीने से बड़ों बच्चो को पानी पिलाते है तो हमेशा स्वच्छ पानी ही पिलाये।
- स्वच्छता – मां को स्वच्छता का पूरा ख्याल रखना चाहिए ताकि बच्चा गंदगी से संक्रमण की चपेट में ना आएं। गद्दे और चादर साफ होने चाहिए। बच्चे और मां के कपड़े भी अच्छे से धुले हुए होने चाहिए। बच्चे और मां को रोज नहाना चाहिए। मां के नाखूनों में मैल जमा नहीं होना चाहिए। मां को अपने संपूर्ण शरीर की स्वच्छता की खास देखरेख रखनी चाहिए।
- मालिश – बच्चे की मालिश करना फायदेमंद होता है। यह वैज्ञानिक रूप से सही माना जाता है। मालिश हल्के हाथ से करनी चाहिए। मालिश दोपहर के समय करना चाहिए ताकि बच्चे को ठंड ना लगे।
- काजल – बच्चों की आंखों में काजल लगाया जाता है। यह माना जाता कि इससे बच्चे की आंख बड़ी होती है। बच्चों को आंख में काजल नहीं लगाना चाहिए यह नुकसानदायक हो सकता है।
- बच्चो में उलटी या दस्त लगने पर तुरंत डॉक्टर की राय लेनी चाहिए। घरेलु नुस्खे आजमाने की जगह उन्हें तुरंत डॉक्टर को बताये। उलटी, बुखार और दस्त के कारण बच्चे की तबियत जल्द सीरियस हो सकती हैं। बच्चो में बीमारी के किसी भी लक्षण को हलके में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए।
बच्चो को क्या कपडे पहनाये ?
गर्मी का मौसम हो तो नवजात को कॉटन के ढीले कपड़े पहनाने चाहिए। उसका पूरा शरीर कपड़े से ढका होना चाहिए ताकि मच्छरों से बचाव हो सके। गर्मी में बच्चों को उन्ही कपड़े से गर्मी होती है। मौसम में ठंडक होने पर ही उन्हीं कपड़े पहनाए। ठंड के मौसम में उन्ही कपड़े पहनाए लेकिन अंदर पतला नरम कॉटन कपड़ा जरूर पहनाना है। बच्चे को शरीर पूरी तरह ढका होना चाहिए ताकि उसे ठंडा लगे या मच्छर ना काट पाए।
अवश्य पढ़े – कैसा होना चाहिए जन्म से लेकर 3 वर्ष तक के बच्चों का आहार
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
नवजात बच्चों का ख्याल रखना सचमुच मे काफी चुनौतीपूर्ण होता है | आपने इस लेख के माध्यम से बहुत ही अच्छी जानकारी साझा की है धन्यवाद