आज भारत में 15 करोड़ से भी अधिक साइनस / Sinusitis के मरीज हैं। ऐसे कई मरीज है जो साइनस की जानकारी के आभाव में सालभर Sinusitis की पीड़ा से पीड़ित रहते हैं। आधुनिक उपचार या आयुर्वेदिक नुस्खों की सहायता से आसानी से इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है और बार-बार इसे होने से रोका भी जा सकता हैं।
साइनस की परेशानी का इलाज जानने से पहले आपको इसके कारण और लक्षण की जानकारी होना आवश्यक हैं। साइनस के कारण, लक्षण और उपचार से जुडी अधिक जानकरी पढने के लिए यहाँ click करे – Causes, Symptoms and Diagnosis of Sinusitis in Hindi language
साइनस / Sinusitis का उपचार, आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे और साइनस से बचने के उपाय की अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
साइनस का उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Sinus treatment in Hindi)
- दवा / Medicine : साइनस का उपचार करने के लिए डॉक्टर कई प्रकार की दवाओं का आवश्यकतानुसार उपयोग करते है। जैसे की, इन्फेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दवा (Antibiotics), दर्द और सुजन कम करने के लिए दर्दनाशक दवा (Pain Killer), जमे हुए कफ निकालने के लिए कफ को पतला करनेवाली दवा (Decongestant), एलर्जी को कम करने के लिए एलर्जी विरोधी दवा (Anti-Allergic), बंद नाक को खोलने के लिए नाक में डालने वाले ड्राप इत्यादि दवा का इस्तेमाल किया जाता हैं।
- शल्य चिकित्सा / Surgery : नाक की हड्डी में तेडापन, नाक में कोई गाँठ, पोलिप जैसे कारण से नाक में अवरोध निर्माण होने पर इसे ऑपरेशन कर दूर किया जाता हैं।
- आयुर्वेद / Ayurveda : आयुर्वेद के अनुसार साइनस रोग को दुष्ट प्रतिश्याय कहा जाता हैं। इस रोग में कफ दोष कुपित होने से साइनस की तकलीफ होती हैं। यदि आयुर्वेद द्वारा निर्देशित दिनचर्या आहार-विहार आवश्यक का प्रयोग करते हैं तो इस रोग से स्थाई रूप में मुक्ति पा सकते हैं।
- ब्रह्म मुहूर्त में उठे। साइनोसाइटिस से ग्रसित व्यक्ति को प्रात:काल जल्दी उठना चाहिए।
- इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को पंखे की हवा के नीचे सोने की अपेक्षा खुले स्थान पर सोना चाहिए अथवा पंखे के नीचे से हट कर एक ओर सोना चाहिए।
- गहरी सांस लें। प्रात;काल उठने के उपरांत नित्य कर्म से निवृत होकर 2-3 किलोमीटर खुली हवा में टहलने जाएं और गहरी सांस ले।
- जलनिती करें।
- विटामिन सी युक्त आहार जैसे मौसंबी, संतरा, अमरूद, आंवला, अनार, हरी और लाल मिर्च का प्रचुर मात्रा में प्रयोग करें। विटामिन सी श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या को बनाता है।
- दिन में ३ से 4 बार गर्म पानी में विक्स या तुलसी के पत्ते डालकर बाफ / Steam लेना चाहिए। रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद बाफ अवश्य लेना चाहिए।
- विटामिन ए युक्त आहार का सेवन करें। यह नासा की श्लेष्मा झिल्ली को मजबूत करता है।
- प्रातः सायं दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर सेवन करें। हल्दी एंटी एलर्जी होती है तथा साथही जीवाणु और विषाणु को नष्ट करती है।
- औषधि चिकित्सा के साथ वमन, शिरोधरा, लेपनम और नस्य चिकित्सा करने से अधिक लाभ होता हैं।
- औषधि युक्त चूर्ण या रस से नस्य चिकित्सा करने से साइनस रोग में सर्वाधिक लाभ होता हैं। नस्य से कई रोगियों में ३ से 4 हफ़्तों की चिकित्सा में ही यह रोग दूर हो जाता हैं।
- योग / Yoga : साइनस रोग से मुक्ति पाने के लिए आपको नियमित योग करना चाहिए। प्राणायाम, कपालभाती, जलनेति, जानुशिर्शासन, धनुरासन, चक्रसान, शलभासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, हलासन, मत्स्यासन जैसे योगासन करने चाहिए। इन सभी योग की विस्तृत जानकारी आप इसी वेबसाइट पर योग कैटेगरी में पढ़ सकते हैं।
साइनस से बचने के लिए क्या घरेलु उपाय करने चाहिए ?
(Home remedies and Prevention tips for Sinusitis in Hindi)
- हाथ साफ रखे : ठण्ड के दिनों में और फ्लू जैसे रोग का संक्रमण चलते समय बार-बार एंटीसेप्टिक साबुन से अपने हाथ साफ़ करना चाहिए। कई बार हाथ पर मौजूद कीटाणु नाक को स्पर्श करने पर साइनस में जाकर संक्रमण फैलाते हैं।
- पानी : रोजाना कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी अवश्य पीना चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने से कफ अधिक गाढ़ा होकर साइनस की परेशानी बढ़ सकती हैं। नहाने के लिए ठन्डे पानी की जगह गर्म पानी का उपयोग करे। स्टीम बाथ करना भी उपयोगी हैं।
- लसीकरण : सामान्य फ्लू या स्वाइन फ्लू जैसे रोग का साल में एक बार लस या वैक्सीन लगाकर इससे सुरक्षा प्राप्त करना चाहिए।
- एलर्जी : अगर आपको धूल, मिटटी, बॉडीस्प्रे, धुंआ जैसे किसी चीज की एलर्जी है तो इनसे बचकर रहे। कई बार एलर्जी के कारण शुरुआत में सर्दी होती है जो आगे चलकर साइनस में बदल जाती हैं। एलर्जी से बचने के लिए यह पढ़े – एलर्जी का उपचार और बचने के उपाय !
- आहार : समतोल पौष्टिक आहार ले। अधिक तलाहुआ और बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए। ऐसे आहार से संक्रमण होने का खतरा रहता है और साथ ही रोग प्रतिकार शक्ति कम होने का खतरा रहता हैं। कफ बनाने वाला आहार जैसे की चॉकलेट, अंडा, दुग्धजन्य पदार्थ, अधिक मीठा, तलाहुआ या तैयार भोजन से परहेज रखे।
- बाफ ले : दिन में ३ से 4 बार गर्म पानी में विक्स या तुलसी के पत्ते डालकर बाफ / Steam लेना चाहिए। रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद बाफ अवश्य लेना चाहिए। अगर बाफ लेने में तकलीफ होती है तो गर्म पानी में टॉवल भिगोकर इससे चेहरा 5 से 10 मिनिट तक भिगोकर रखे। बाफ लेने से जमा हुआ कफ पतला होकर निकल जाता है और साइनस में नए से कफ का जमाव नहीं होता हैं।
- नेसल ड्राप : साइनस में कफ के जमाव को रोकने के लिए आप सलाइन (नमक पानी युक्त) नेसल ड्राप का उपयोग कर सकते हैं। नमक पानी से सूजन में कमी आती है और कफ भी पतला होकर बाहर निकल जाता हैं। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं। आप चाहे तो साथ में गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे / Gargling भी कर सकते हैं जिससे गले की खराश और सूजन भी दूर होती हैं।
- धूम्रपान : अगर आप धूम्रपान करते है तो इसे जल्द छोड़ दे। धूम्रपान करनेवाले लोगो को साइनस की तकलीफ अधिक होती है। धूम्रपान करनेवाले व्यक्ति धुंआ छोड़कर अपने साथ अपने आजुबाजु वाले व्यक्तियों को भी बीमार करते हैं।
- नाक साफ़ रखे : अगर आपका नाक कफ से जाम है या नाक से पानी बह रहा है तो इसे साफ करे और बाहर निकाले। कुछ लोग काम की जगह या अन्य लोगो के सामने नाक साफ करने में शरमाते है और स्त्राव को अंदर खीच लेते हैं। ऐसा करना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। आपको हमेशा कफ को बाहर निकालकर नाक को साफ रखना हैं।
- घरेलु नुस्खे : साइनस की पीड़ा से राहत पाने के लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह लेकर निचे दिए हुए घरेलु आयुर्वेदिक नुस्खे भी उपयोग कर सकते हैं।
- सुबह शाम दूध में हल्दी या गुडूची सत्व मिलाकर पिए। इससे रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ती हैं।
- अदरक का पाउडर और गुड़ को मिलकर ५ से १० ग्राम की छोटी टेबलेट बनाये और इसे सुबह शाम खाये।
- एक साफ कपडे में जीरा और काला जीरा लेकर इसकी पोटली बनाये। इस पोटली को हर 1 या 2 घंटे में सूंघने से साइनस में लाभ मिलता हैं।
- रोज सुबह हर्बल या अदरक और तुलसी के पत्तों से बनी चाय पिए।
- छोटा प्याज और लहसुन को साथ में कूट कर पानी में उबाले और बाफ ले। इससे नाक और साइनस जल्द खुल जाता हैं।
- हल्का गर्म महानारायण या तिल तेल से साइनस स्थान पर दिन में 2 से 3 बार मालिश करने से साइनस में लाभ होता हैं।
- सूखे अदरक पाउडर, पिसी लौंग के एक चमच्च में तुलसी के पत्तों को पीसकर मिलाले और माथे पर या साइनस के स्थान पर लगाए।
ऊपर दिए हुए एहतियात और उपचार का पालन कर आप आसानी से अपने आप को साइनस जैसी पीड़ादायक और परेशान कर देनेवाली समस्या से खुद का बचाव कर सकते हैं।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।