आजकल की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी के कारण युवा आयु में ही कई लोगों को बुढ़ापे की बीमारी होने लगी हैं। ऐसी ही एक बीमारी हैं – अपचन या Indigestion ! खान-पान की गलत आदतें, अशुद्ध और केमिकल युक्त आहार और शारीरिक परिश्रम के आभाव के कारण कई लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो चुकी हैं।हम सभी जानते हैं की ज्यादातर बिमारियों का घर पेट है और अगर पाचन कमजोर है तो व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहना लगभग नामुमकिन हैं।
आयुर्वेद में कहा गया है,
” समदोषः समाग्निश्च समधातुमलक्रियाः
प्रसन्नात्मेन्द्रियमनः स्वस्थ इत्यभिधीयते। ”
जिस मनुष्य के वात-पित्त-कफ यह तीन दोष, जठराग्नि, रस आदि सप्तधातु यह सभी सम अवस्था में रहते हैं, मल-मूत्र आदि की क्रिया ठीक होती है और जिसका मन, इंद्रिय और आत्मा प्रसन्न रहते हैं वह मनुष्य ही स्वस्थ है। आयुर्वेद के अनुसार हमारा पाचन तंत्र हमारे जाठराग्नि की सम अवस्था पर निर्भर करता है। जब हमारा जठराग्नि सम याने प्रबल होता है तो आहार का पाचन अच्छी तरह से होकर इससे रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र आदि सप्तधातु की निर्मिति होकर अंत में ओज तैयार होता है। ओज को हम पाचन का सार कह सकते हैं। ओज पर हमारी रोग प्रतिकार क्षमता और शारीरिक शक्ति निर्भर करती है।
इस तरह पाचनतंत्र में अग्नि का विशेष महत्व है। मन्दाग्नि या विषमाग्नि समस्त रोगों की जड़ होती है। पाचन तंत्र ठीक होने पर भोजन का अच्छे से पाचन होकर मिलने वाले पौष्टिक तत्वों से शरीर का विकास होता है। इसीलिए पाचन तंत्र का हमेशा सही रहना आवश्यक होता है।
भूख बढाने और अपचन के आयुर्वेदिक उपाय और घरेलु नुस्खे !
अपचन के कारण (Indigestion causes in Hindi)
- आहार में अनियमितता
- भागदौड़ भरा जीवन
- तनाव
- अशुद्ध आहार
- व्यायाम का अभाव आदि।
आयुर्वेद के अनुसार अनियमित आहार विहार, तनाव आदि से हमारी अग्नि कमजोर होती है। इससे हमारा पाचन बिगड़ता है। इस वजह से आम की उत्पत्ति होती है जिसे हम सामान्य भाषा में विष या toxin कह सकते हैं, जो कि सब बीमारियों की जड़ होता है।
अगर आपको यह लक्षण दिखते हैं तो समझिए कि आपके पेट में HCL acid या digestive enzyme की मात्रा जरूरत से कम तैयार हो रही है। ऐसे में आपको अपने आहार में dairy products और protein युक्त आहार को बढ़ा कर अपने पेट की मदद करनी चाहिए ताकि डाइजेस्टिव प्रोटीन अपना काम ठीक तरह से कर सकें।
- अमाशय में सूजन,
- पेट में अल्सर,
- गॉल ब्लैडर में सूजन या स्टोन,
- सिरोसिस,
- अग्नाशयशोथ,
- प्रेगनेंसी, ओवेरियन सिस्ट,
- ह्रदय रोग,
- पेट, अग्नाशय या ओवरी का कैंसर,
- एच पाइलोरी इन्फेक्शन,
- थाइरोइड व्याधि,
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम आदि।
अपचन की व्याख्या हम एक शब्द में नही कर सकते, इसे हम
- पेट फुला हुआ लगना,
- पेट में असुविधाजनक अनुभति होना,
- सुबह उठने पर पेट ठीक से साफ़ नही होना,
- गैस,
- सिरदर्द,
- पेट में जलन,
- मुँह में कड़वापन, खट्टा पानी आना,
- जी मचलाना, उल्टी होना ,
- खाना खाने के बाद भारी लगना ,
आदि एक या अनेक लक्षणों का समूह कह सकते है।
अपचन की चिकित्सा (Indigestion treatment in Hindi)
- आमतौर पर अपचन में चिकित्सा की जरूरत नहीं होती है। कोशिश करें कि आप अपने लाइफस्टाइल में सुधार करे।
- अगर आपकी तकलीफ ज्यादा है या आपको कोई बिमारी की वजह से ये तकलीफ है तो उस बिमारी का इलाज डॉक्टर की सहायता से करे।
- डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर और अगर जरुरत हो तो ब्लड टेस्ट, एक्सरे, इंडोस्कोपी आदि जांच कराकर आपकी उचित चिकित्सा कर सकते हैं।
- पेन किलर, स्टीरॉयड, एंटीबायोटिक्स आदि का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें।
- अगर आप प्रेग्नेंट हो तो अपने आहार-विहार का खास ख्याल करें। प्रेगनेंसी में आहार के लिए यहाँ क्लिक करे – प्रेगनेंसी में कैसा आहार लेना चाहिए ?
व्यक्ति की फिटनेस का मुख्य आधार उसका पाचन तंत्र होता है। आप कितना भी पौष्टिक आहार लें अगर आपका पाचन तंत्र सही नहीं है तो वह आहार शरीर को नहीं लगेगा। आइए जानते हैं पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए किन तरीकों को अपनाना चाहिए :
- फाइबर से भरपूर आहार : पाचनशक्ति बढाने वाला आहार ले। जैसे साबुत अनाज, सब्जियां खासकर बथुआ, पालक, मेथी आदि। हरि पत्तेदार सब्जियां, फल, रेशेदार खाद्य पदार्थ जो पचने में आसान और कब्ज रोकने में मदद करते हैं इनका समावेश अपने आहार में अधिक से अधिक करें।
- फल : हर रोज एक मौसमी फल अवश्य लें। इसमें भी खास करके एप्पल, अनार, पपीता, तरबूज, अमरुद, केला,नाशपति इनका समावेश अपने आहार में अधिक करें। फल खाने का सही समय खाने के आधा घंटा पूर्व या खाने के 2 घंटे बाद होता है। फल खाने के विशेष नियम की जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – फल खाने के आवश्यक नियम !
- पपीता : अगर आप पाचन शक्ति को जल्दी सुधारना चाहते हैं तो कच्चा पपीता काफी अच्छा माना जाता है। इसमें पपाइन नामक प्रोटीन होता है जो आहार का सही तरीके से विभाजन करके खाना पचाने योग्य बनाता है।
- नाशपाती : हफ्ते में एक बार नाशपति का सेवन पेट के लिए अच्छा होता है। इसमें फाइबर और पोटैशियम अधिक मात्रा में रहते हुए यह सोडियम, क्लोराइड और फैट फ्री होता है।
- सेब / एप्पल : कहां जाता है कि, एन एप्पल ए डे कीप्स डॉक्टर अवे ! फाइबर से भरपूर यह फल पाचन तंत्र के लिए काफी अच्छा होता है।
- अनार : अनार ऐंटि-ऑक्सिडेंट होने के साथ फाइबर, विटामिन सी, विटामिन के तथा पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
- केला : पोटैशियम से भरपूर यह फल आँतों के लिए अच्छा होता है।
- अमरुद : स्वास्थ्य और पौष्टिकता की दृष्टि से यह उपयोगी फल है। संस्कृत में इसे अमृतफल कहा गया है। विटामिन सी, के और फॉस्फोरस से भरपूर या फल पाचन शक्ति बढ़ाता है। ह्रदय और मस्तिष्क को बल देता है। दांत, मसूढ़े और जोड़ों का दर्द कम करता है।
- अच्छी तरह चबाकर खाएं : पुराने जमाने में कहते थे कि खाने को 32 बार चबाना चाहिए। पाचन की प्रक्रिया मुंह में लार के साथ ही शुरू हो जाती है। हम खाना जितना अच्छे से चबाएंगे वह लार के साथ उतना ही अच्छे से मिक्स होगा और लार में मौजूद एंजाइम की मद्त से आहार का विभाजन होकर पाचन प्रक्रिया आसान होगी।
- नाश्ता / Breakfast : रातभर आहार नहीं लेने के बाद सुबह एक अच्छा हेल्थी और संतुलित नाश्ता करना आपको दिन की अच्छी शुरुआत दे सकता है और शरीर को पूरे दिन के लिए तैयार करता है , आपको अधिक ऊर्जा मिलेगी और आप पूरे दिन एक्टिव रहोगे। सुबह के नाश्ते में आप मूंग मोठ चना राजमा आदि प्रोटीन से भरपुर कटहोल, ओट्स, फ्रूट्स, स्मूदीज, पोहा, उपमा , इडली आदि ले सकते हैं।
- प्रीबायोटक्स और प्रोबायोटिक्स : हमारे intestine में कुछ फ्रेंडली माइक्रोफ्लोरा रहते हैं जैसे कि बेक्टेरिया और यीस्ट जो कि खाने को पचाने में और हमारी immunity बढ़ाने में मदद करते हैं। कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिनमें यह मौजूद होते हैं जैसे ताजा दही एक बाउल,फर्मण्टेड फूड जैसे इडली,डोसा आदि और एप्पल साइडर विनेगर इन्हें अपने आहार में शामिल करें।
कैसे बढ़ाएं पाचनशक्ति (How to strengthen digestion in Hindi)
- खाने के शुरुआत में सलाद खाए, जिससे आप ओवरईटिंग से बच सकते है। स्वाद के चक्कर में जरूरत से अधिक खाना खाने से आपको बाद में पछताना पड़ सकता है। जरूरत से अधिक खाना खाने से खाने का पचन सही नहीं होगा और साथ में एसिडिटी, कब्ज की भी तकलीफ होगी।
- पुरे दिन में आपको थोड़ा थोड़ा आहार हर 2 से 3 घण्टे के अंतराल में लेना है, जिससे आपको पेट में भारीपन नही लगेगा।
- आप अपना ज्यादा और भारी खाना हो तो दोपहर के खाने में ले क्योंकि दोपहर में आहार पाचक रस का प्रमाण अधिक होता है जिससे आहार पाचन होने में आसानी होती है।
- रात का खाना जल्दी खाने की कोशिश करें हो सके तो सूर्यास्त के पहले या 8:00 बजे के पहले रात का खाना ले।
- आयुर्वेद के अनुसार आपको खाना खाते वक्त अपने पेटमें 1/3 या 1/4 जगह रखनी चाहिए ताकि खाने का आसानी से पाचन हो सके।
- मन्दाग्नि या अजीर्ण होने पर दिन में खाना खाने के बाद आप अदरक निम्बू की चाय पी सकते हैं । इसे universal remedy कहा जाता है। अदरक से लार, पित्त और एंजाइम्स को उत्तेजना मिलती है, आंतो की पेशियां भी अच्छे से काम करती है, गैस कम होता है।
- अपचन होने पर आप टमाटर पर सेंधा नमक लगाकर खा सकते है।
- सौंफ और अजवाइन को चबाकर खाने से भी पाचन सही रहता है।
- खाने के दौरान पानी कैसे पिए इसका भी नियम होता है। आयुर्वेद में कहा गया है की,
- इसका तात्पर्य यह है कि अजीर्ण होने पर केवल पानी ही औषधि है । आहार जीर्ण होने के पश्चात पानी पीना बलप्रद होता है। खाना खाते वक़्त बीच-बीच में घुट – घुट पानी पीना अमृत समान होता है और खाने के तुरंत बाद पानी पीना विष समान होता है।
- आप चाहे तो खाने के शुरुआत में या खाना होने के पश्चात एक कप गर्म पानी पी सकते हैं। हो सके तो सुबह उठने पर और रात में सोने से पहले 1 ग्लास गर्म पानी पियें। इसके लिए आपको पहले पानी को पूरा उबालकर फिर आपके जरुरत के हिसाब से गुनगुना करना चाहिए।
- हर रोज 20 से 30 min मैडिटेशन या ध्यान या साधना करे।
- नियमित व्यायाम करे।
- अगर आप का वजन संतुलित होगा तो आपका पाचन तंत्र दुरुस्त होगा।
- व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाएं।
- दिन में कम से कम 30 से 40 मिनट तक आप को व्यायाम करना चाहिए।
- इसमें आप तेज चलना , दौड़ना , साइकिलिंग , करना , योगासन करना आदि अपने अनुरूप क्रियाओं का चयन कर सकते हैं।
- ड्रिंकिंग , स्मोकिंग , तनाव से दूर रहे। कोल्ड्रिंक्स के सेवन से बचिए। इसके बजाय देसी ड्रिंक्स जैसे नींबू पानी, गन्ने का रस, फलों के जूस, नारियल पानी आदि को अपने आहार का हिस्सा बनाएं।
- चाय, कॉफ़ी, सोडा इनके अतिसेवन से बचे। इनसे एसिड की मात्रा अधिक बनती है साथ में यह बॉडी को डीहाइड्रेट भी करते हैं जिससे एनर्जी में कमी आती है। इसके बदले आप ग्रीन टी, दूध का सेवन कर सकते हैं। ठंडे पानी के बजाए गुनगुना या सादा पानी पिए। ठंडे पानी से अग्नि मंद होती है जिससे आहार का पाचन भी मंद होता है।
- अपने लिवर का खास ख्याल रखें जिससे उसकी कार्यक्षमता बनी रहे। इसके लिए अल्कोहोल का पूरी तरह त्याग कीजिए क्योंकि यह लिवर के लिए विष होता है। इसके बदले लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाने वाले आहार जैसे कि गाजर, बीट रूट, हरी पत्तेदार सब्जियां, फ्रेश जूस, फ्रूट्स आदि को अपने आहार में शामिल करें।
- Aloe vera और आमला जूस का नियमित सेवन कर अपने शरीर के हानिकारक तत्व को शरीर के बाहर निकाल कर शरीर की सफाई करते रहे।
- नकारात्मक भावनाओं का त्याग करे, इनसे अग्नि मन्द होती है। तनाव कम से कम ले। सकारात्मक सोच रखें और हमेशा खुश रहने की कोशिश करें।
इस तरह अपने आहार विहार में योग्य बदलाव लाकर , व्यायाम की शक्ति को समझकर , सकारात्मक सोच रखकर आप अपनी पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं और अच्छी सेहत पा सकते हैं।

मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2015 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे आप सभी के लिए साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ ।
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