एचएमपीवी वायरस: कारण, लक्षण, इलाज और बचाव की जानकारी | HMPV Virus in Hindi

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चीन में इस समय सर्दी का मौसम है और इसी समय एचएमपीवी वायरस ने वहां के लोगों को अपनी चपेट में लिया है। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियोज वायरल हो रहे हैं जिसमें देखा जा सकता है कि चीन में HMPV वायरस किस कदर कहर बरपा रहा है। इस वायरस की चपेट में इतने लोग आ चुके हैं कि अस्पतालों में पेशेंट्स के लिए बेड कम पड़ रहे हैं। भारत में भी इस वायरस के मामले मिलने शुरू हो चुके है।

दरअसल एचएमपीवी का अस्तित्व पहले से ही था और ये वायरस 23 साल पहले खोजा गया था. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, सीडीसी के मुताबिक ये वायरस 2001 में पहली बार पहचाना गया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये वायरस कम से कम 1958 से फैल चुका था. इसके बावजूद इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया न तो इसके खात्मे के लिए वैक्सीन बनाई गई और न ही इस पर ज्यादा रिसर्च किया गया।

HMPV वायरस क्या है?

Human Metapneumovirus या HMPV एक RNA वायरस है जो फ्लू की तरह फैलता हैं। आमतौर पर यह छींकने या खांसने से निकलने वाली रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स से हवा के जरिए फैलता हैं। HMPV वायरस संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने, गले मिलने, किस करने से भी फैलता हैऔर वायरस से संक्रमित किसी चीज जैसे हैंडल, कीबोर्ड या खिलौनों को छूने से भी फ़ैल सकता है।

HMPV वायरस के लक्षण क्या है?

इसके लक्षण संक्रमित होने के बाद 3 से 5 दिनों बाद में दिखने लगते है। सर्दी और वसंत के मौसम में इस वायरस के संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है।

  • सर्दी
  • खांसी
  • जुखाम
  • नाक बहना
  • सरदर्द
  • गले में खराश
  • सांस लेने में दिक्क्त होना
  • घबराहट होना

यह इसके कुछ प्रमुख लक्षण है। यही वजह है की कई लोग इसे सामान्य सर्दी समझने की गलती कर सकते है। इस वायरस से कई सीरियस हेल्थ complications होने का खतरा भी है जैसे की ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और लंग फाइब्रोसिस। छोटे बच्चे और बुजुर्ग जिनकी इम्युनिटी कमजोर है और जिन्हे अस्थमा और copd की समस्या है उन्हें इस HMPV वायरस से अधिक खतरा है।

HMPV वायरस का इलाज क्या है?

HMPV वायरस के इलाज के लिए फ़िलहाल कोई असरदार दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसका इलाज भी सामान्य श्वसन संक्रमण की तरह किया जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि इस वायरस से बचाव के लिए श्वसन संबंधी स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

एचएमपीवी वायरस का हमला बुजुर्गो और बच्चो पर होने का खतरा अधिक होता है क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती है। ऐसे में आप इनकी इम्युनिटी या रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाने के लिए आयुर्वेदिक सेप्टिलीन दवा का उपयोग कर सकते हैं। सेप्टिलीन दवा में गिलोय, यष्टिमधु, आंवला, मंजिष्ठा, त्रिकटु, शंख भस्म और महारास्नादि काढा जैसे इम्युनिटी बढाने वाले गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि का समावेश होता है।

सेप्टिलीन सिरप दवा 2 साल से 4 साल तक के बच्चों को ढाई एमएल दिन में दो बार, 4 साल से 6 साल तक के बच्चों को 5 एमएल दिन में दो बार और 6 साल से बडे लोगो को 10 एमएल दिन में दो बार खाने के बाद देना चाहिए। सेप्टिलीन की गोली पहले दो दिन में दो गोली सुबह शाम खाने के बाद लेना होता है और उसके बाद तीसरे दिन से रोज एक गोली सुबह और शाम खाने के बाद लेना चाहिए। आप इस दवा का कोर्स एक महीने तक कर सकते हैं।

Septilin यह एक पूरी तरह से हर्बल दवा है इसलिए इसका कोई विशेष दुष्परिणाम नहीं हैं। इसका उपयोग अगर आप डॉक्टर की सलाह से बताये हुए मात्रा में और बताये हुए समय तक ठीक तरह से करते है तो इससे आपको कोई दुष्परिणाम नहीं होता है।

HMPV वायरस से बचाव कैसे करे?

  • मास्क पहनना
  • हाथ धोना
  • संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहना

यह इसके कुछ बचाव के प्रमुख उपाय हैं। वैक्सीनेशन के अभाव में समय रहते इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। वायरस का ये नया रूप कोरोना वायरस जैसा खतरनाक नहीं है इसलिए पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है।

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