गुदा (Anal) भाग में कब्ज और कड़क मल के कारण चिर (Crack) पड़ जाती है और बेहद पीड़ा होती है। इस समस्या को फिशर / Fissure या गुदचिर कहा जाता हैं। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति न तो ठीक से बैठ पाता है और न आहार ले पाता हैं। कब्ज की समस्या होने पर यह पीड़ा अधिक होती हैं ।
आजकल के आधुनिक युग में लोगों भले ही कई क्षेत्र में बेहद प्रगति की है पर इस प्रगति के चक्कर में लोगों ने अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज किया हैं। आपको समाज में ऐसे कई प्रतिष्ठित लोग मिलेंगे जो बड़े वकील, व्यापारी अफसर या शायद डॉक्टर ही है और जिन्होंने अपने क्षेत्र में बेहद प्रगति है पर आप उमके स्वास्थ्य के तरफ गौर करेंगे तो वो वह मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और एसिडिटी जैसे किसी बीमारी के शिकार होंगे। नाम और पैसे कमाने के चककर में हम अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते है और इसका परिणाम यह होता है की हम उस उच्च परिस्तिथि का अपने ख़राब स्वास्थ्य के कारण पर्याप्त उपभोग भी नहीं कर पाते हैं।
फिशर का आधुनिक और आयुर्वेदिक उपचार, घरेलु नुस्खे और इससे बचने के उपाय की जानकारी निचे दी गयी हैं :
फिशर के कारण और लक्षण की जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Causes and symptoms of Fissure in Hindi.
फिशर का उपचार कैसे किया जाता हैं ?
(Treatment and Ayurveda Home Remedies of Fissure in Hindi)
- कब्ज / Constipation : बवासीर हो या फिशर, सबसे पहले रोगी की कब्ज की शिकायत को दूर करना बेहद जरुरी होता हैं। कब्ज को ठीक करने के लिए गोली, सिरप, फाइबर युक्त दवा, मल को मुलायम करने वाली दवा दे सकते हैं। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो कब्ज से राहत पाने की सम्पूर्ण जानकारी पढने के लिए यहाँ क्लिक करे – कब्ज से राहत पाने के उपाय और घरेलु नुस्खे !
- दवा / Medicine : कब्ज को ठीक करने के लिए दी जानेवाली दवा के साथ डॉक्टर आपको अन्य दवा देते है। जैसे की :
- दर्द नाशक दवा – Analgesic, Anesthetic
- सुजन कम करने वाली दवा – Anti-inflammatory
- एसिडिटी की दवा – Antacids
- इन्फेक्शन रोकने के लिए दवा – Antibiotics
- रक्तस्त्राव रोकने की दवा – Bleeding Control drugs
- इंजेक्शन – Botox Injection
- शल्य कर्म / Surgery : औषधि उपचार से सफलता न मिलने पर ऑपरेशन कर फिशर का उपचार किया जाता हैं।
- Anal Sphincterotomy – इसमें गुद भाग के संकोचक पेशी को हल्का सा काटकर ढीला किया जाता है जिससे फिशर जल्दी से ठीक होने में सहायता होती हैं।
- Fissurectomy – अगर फिशर की जगह अधिक सख्त है और इसे ठीक होने में मुश्किल लगती है तो इसे ऑपरेशन कर काट दिया जाता है। नयी जख्म को दवा और ड्रेसिंग कर ठीक किया जाता हैं।
- आयुर्वेदिक उपचार / Ayurveda : बवासीर और फिशर जैसी समस्या का आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग कर सफल उपचार किया जा सकता हैं।
- औषधि / Medicine : त्रिफला चूर्ण, हरीतकी चूर्ण, आरोग्यवर्धनी वटी, अभयारिष्ठ, चित्रकादी वटी, पंचकोलासव, हिन्गावाष्ठक चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक औषधि देकर रोगी के पाचन संबंधी विकार को दूर किया जाता है और फिशर की समस्या को ठीक किया जाता हैं। गुद भाग में लगाने हेतु जात्यादी तेल और कासिसादी तेल का उपयोग किया जाता हैं।
- क्षारसुत्र : अगर रोगी को सेंटिनल पाइल्स की समस्या है तो औषधि युक्त धागा / क्षारसूत्र उसे बांधकर 5 से 6 दिन तक रखा जाता हैं। 5 से 6 दिन बाद यह सेंटिनल पाइल्स अपने आप काटकर गिर जाता हैं। इसमें कोई दर्द या ब्लीडिंग नहीं होती हैं। क्षारसूत्र चिकित्सा से फिशर में 2 हफ्ते में ठीक हो जाता हैं।
- अग्निकर्म : इस विधि में औषधि संस्कार किये हुए विशेस अग्नि कर्म यंत्र से सेंटिनल पाइल्स या फिशर को अग्नि / heat से काट दिया जाता हैं। इसमें रोगी को हल्का दर्द होता हैं।
- योग / Yoga : बवासीर और फिशर से जुडी समस्या से राहत लाने के लिए आप योग का सहारा भी ले सकते हैं। योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से पाचन शक्ति अच्छी रहती हैं, कब्ज नहीं होती, आपकी रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ती है और जखम के भरने की गति बढ़ती हैं। फिशर में आप निचे दिए हुए योग कर सकते हैं। योग की सम्पूर्ण विधि पढ़ने के लिए उस योग के नाम के ऊपर केवल क्लिक करे :
- घरेलु नुस्खे / Home Remedies : फिशर से निजात पाने के लिए आप निचे दिए हुए घरेलु नुस्खे भी अपना सकते हैं। ऐसे तो यह सभी नुस्खे सुरक्षित है पर फिर भी एहतियात के तौर पर इन्हे अपनाने के लिए अपने डॉक्टर की राय अवश्य लेना चाहिए।
- एलोवेरा का गुदा / Gel को फिशर पर साफ कर दिन में दो बार लगाने से जल्द राहत मिलती हैं।
- जैतून का तेल में शहद मिलाकर हल्का गर्म कर गुदा भाग में लगाने से दर्द कम होता है और घाव सूखने में मदद मिलती हैं।
- नारियल तेल को दिन में 2 बार गुदा में लगाने से मलत्याग आसानी से होता है और फिशर ठीक होने में आसानी होती हैं।
- अलसी में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है। इसे अपने आहार में शामिल करे। इसका 1 चमच्च पाउडर रोजाना 1 ग्लास गुनगुने पानी के साथ लेने से काफी लाभ मिलता हैं।
- किसी कड़क जगह पर बैठने की जगह मुलायम या तकिया रखकर उस पर बैठे। लम्बे समय तक बैठा काम काम नहीं करना चाहिए।
- हफ्ते में कम से कम 2 दिन सुरन की सब्जी अवश्य खाना चाहिए। इससे फिशर ठीक होने में बेहद मदद होती हैं।
- हफ्ते में कम से कम दो बार मख्खन खाने से भी खुनी बवासीर और फिशर में राहत मिलती हैं।
फिशर से बचने के लिए क्या करे ? (How To Prevent Fissure in Hindi)
- आहार / Diet : फिशर से बचने के लिए आपको अपने आहार पर विशेष ध्यान देना बेहद आवश्यक हैं। आपको फ़ास्ट फ़ूड से दुरी बनकर रखना चाहिए। आहार में हरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त साबुत अनाज का अधिक सेवन करना चाहिए। भोजन के साथ सलाद अवश्य लेना चाहिए। भोजन में अधिक तीखा, तलाहुआ और मसालेदार पदार्थो का समावेश न करे।
- पानी / Water : पानी कम पिने से मल काफी कड़क हो जाता है और गुदा भाग ड्राई रहता है जिस कारण गुदा भाग में चिर पड़ने की संभावना बढ़ जाती हैं। आपको मौसम के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में पानी पिते रहना चाहिए। एक दिनभर में कम से कम 8 ग्लास या 2.5 से 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए।
- व्यायाम / Exercise : आपको हफ्ते में कम से कम 5 दिन रोजाना 30 मिनिट तक अपने क्षमता के अनुसार व्यायाम अवश्य करना चाहिए। लगातार लम्बे समय तक बैठे रहने से बवासीर और फिशर होने का खतरा बढ़ जाता हैं। आपको दिन में हर एक घंटे बैठे रहने के बाद कम से कम 5 से 10 मिनट खड़ा होकर टहलना चाहिए और एक्टिव रहना चाहिए। इससे न तो कब्ज होंगी और ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए भी यह उपयोगी हैं।
- नशा / Habit : अगर आपको चाय / कॉफ़ी / शराब / तम्बाखू / धूम्रपान / गुठखा या मावा का नशा है तो इसे जल्द बंद करे। यह आपके पाचन शक्ति को कमजोर करता है और कब्ज को बढ़ावा देता हैं।
- सिकाई / Sitz Bath : अगर आपको कब्ज रहती है और आपको लगता है की आपको बवासीर या फिशर की समस्या निर्माण हो रही है तो आपने दिन में 2 से 3 बार गुद भाग की सिकाई / Sitz Bath करना चाहिए। एक टब में हल्का गर्म पानी भरकर उसमे दिन में 2 से 3 बार 10 से 15 मिनिट बैठकर गुद भाग को सकने से लाभ मिलता हैं। इससे गुद भाग को आराम मिलता हैं, गुद भाग में रक्त प्रवाह अच्छे से होता हैं और बवासीर / फिशर की समस्या निर्माण नहीं होती हैं।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।