संस्कृत में ज्ञान का मतलब होता हैं – बुद्धिमत्ता। ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra) का नियमित अभ्यास करने से अभ्यासक की बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है और इसीलिए इसे अंग्रजी में Mudra of Knowledge भी कहा जाता हैं। ध्यान करते समय और प्राणायाम करते समय योग से अधिक लाभ मिलने हेतु इस मुद्रा का अभ्यास किया जाता हैं।
अगर आप अपनी स्मरणशक्ति और बुद्धिमत्ता को बढ़ाना चाहते है तो अपने यह योग ज्ञान मुद्रा अवश्य करना चाहिए। अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या से पीड़ित रोगों के लिए यह ज्ञान मुद्रा लाभकारी हैं।
ज्ञान मुद्रा की विधि और लाभ संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
योग ज्ञान मुद्रा की विधि और फायदे
ज्ञान मुद्रा कैसे करते हैं ?
1. सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर एक दरी / चटाई या योगा mat बिछा दे।
2. अब सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये। ज्ञानमुद्रा हम खड़े रहकर ताड़ासन में या खुर्ची पर बैठ कर भी कर सकते हैं। ज्ञान मुद्रा का अधिक लाभ मिलने हेतु इसे सुखासन या पद्मासन में बैठ कर करना चाहिए।
3. अपने हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली ऊपर की ओर आकाश की तरफ होनी चाहिए।
4. अब तर्जनी उंगली (Index Finger) को गोलाकार मोडकर अंगूठे (Thumb) के अग्रभाग को स्पर्श करना हैं। अन्य तीनों उंगलियों को सीधा रखना हैं।
5. यह ज्ञान मुद्रा दोनों हाथो से करना हैं। आँखे बंद कर नियमित श्वसन करना हैं। आप चाहे तो साथ में ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं। मन से सारे विचार निकालकर मन को केवल ॐ पर केन्द्रित करना हैं।
ज्ञान मुद्रा कब करना चाहिए ?
ऐसे तो इस मुद्रा का अभ्यास हम किसी भी समय कर सकते हैं पर सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।
ज्ञान मुद्रा कितना देर तक करना चाहिए ?
दिनभर में कम से कम 30 मिनिट से 45 मिनिट करने पर लाभ मिलता हैं। एक साथ इतना समय न मिलने पर आप 10-10 मिनिट के 3 टुकड़ों में इसका अभ्यास कर सकते हैं।
ज्ञान मुद्रा के फायदे क्या हैं ?
1. स्मरणशक्ति : बुद्धिमत्ता और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती हैं।
2. एकाग्रता : एकाग्रता बढती हैं।
3. रोग प्रतिकार शक्ति : शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढती हैं।
4. मानसिक विकार : ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से सारे मानसिक विकार जैसे क्रोध, भय, शोक, इर्ष्या इत्यादि से छुटकारा मिलता हैं।
5. ध्यान : ध्यान (Meditation) करने के लिए उपयुक्त मुद्रा हैं।
6. आत्मज्ञान : आत्मज्ञान की प्राप्ति होती हैं।
7. शांति : मन को शांति प्राप्त होती हैं।
8. अनिद्रा : अनिद्रा, सिरदर्द और माइग्रेन से पीड़ित लोगो के लिए उपयोगी मुद्रा हैं।
ज्ञान मुद्रा से वायु महाभूत बढ़ता है इसलिए इसे वायु वर्धक मुद्रा भी कहा जाता हैं। वात प्रवुत्ति वाले लोगो ने इसका अभ्यास मर्यादित प्रमाण में करना चाहिए।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
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Hi, I am a yoga teacher and fitness conseller here in India. I am a fond of yoga and I want to do yoga through out my life. I also have a business of
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