आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी 5 आदतें बताने जा रहे है जिन्हे अपनाकर आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। अगर आप इन 5 बातों का ध्यान रखोगे तो न सिर्फ इन बीमारियों से दूर रहोगे बल्कि हेल्थी भी बनोगे। अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
यह 5 आदते बना सकती है आपको हैल्दी
Top 5 Healthy habits in Hindi
1. घर का बना खाना ही होता है, असली सेहतमंद खाना
विश्व स्वाथ्य संघटन के अनुसार हर साल लाखों लोग अस्वास्थकर व असुरक्षित खाने से बीमार होते है। अगर हम हमारे रसोई में कुछ बातों का खयाल रखें तो काफी बीमारियों से बचा जा सकता है। आजकल लोग बाहर के खाने के काफी आदि हो गए है , लेकिन बाहर का खाना कभी भी घर के खाने की बराबरी नही कर सकता। माँ या घर के किसी भी सदस्य के खाने में स्वाद तो होता ही है पर उसके साथ ताजे, साफ सुथरे व हेल्दी चीज़ो का इस्तेमाल हो इसका खास खयाल रखा जाता है।
घर मे खाना बनाते वक्त इन चीजों का ध्यान रखा जाता है जैसे, स्वच्छता, खाना पकाने के बर्तन, कच्ची सामग्री लाने की सही जगह, खाना रखने का तरीका, एक समय का ही खाना बनाना, खाना पकाने के सही तरीका आदी। शायद यह बात आपने भी नोटिस की होगी कि हम कभी खाने से बीमार होते हैं तो वह बाहर के खाने से ही होते हैं घर के खाने से नहीं। इसकी कई वजह हो सकती है, जैसे बाहर के खाने में खराब फ़ूड का इस्तेमाल, पकाने, स्टोर करने का गलत तरीके, केमिकल युक्त preservative का इस्तेमाल आदि। बेहतर होगा कि घर का बना खाना ही खाएं व बाहर का कम से कम।
2. सही मात्रा में खाना पकाएं, बासी खाना ना खाएं
हमारे मां दादी उतना ही खाना ही खाना पकाती थी जो एक समय के लिए काफी हो। वह कभी बचाकर रखने या या दूसरे दिन वही खाना खाने को लेकर दबाव नहीं बनाती थी क्योंकि वह भली भांति जानती थी कि बासी खाना न तो स्वादिष्ट होता है और ना ही पौष्टिक। पका हुआ खाना फ्रीज में रखना, फिर दोबारा गर्म करना या अगले दिन बासी खाना उस खाने को पोषण रहित और विषाक्त बना देते हैं। इसीलिए कोशिश करें कि हमेशा ताजा खाना ही खाएं और जितना जरुरी है उतना ही खाना बनाएं ताकि वह अनाज वेस्ट ना हो।
3. मिट्टी, लोहे या तांबे के बर्तन में खाना पकाये
पुराने जमाने में खाना पकाने के लिए इन तीन धातुओं से बने बर्तनों का इस्तेमाल होता आया है। मिटटी, तांबे या लोहे के बर्तनों में पका खाना हमारे शरीर में खनिज की कमी को पूरा कर हिमोग्लोबिन बढ़ाने, इम्युनिटी बढ़ाने, चर्बी को कम करने में उपयुक्त होता है। स्टैंडर्ड स्टील में भी हम खाना बना सकते हैं लेकिन इसमें बने खाने में कोई विटामिन नहीं मिलता है। यह न्यूट्रल होता है। इससे ना तो कोई नुकसान ना कोई फायदा होता है। लेकिन ध्यान रखे की, एलुमिनियम या प्लास्टीक के बर्तनों में कभी भी खाना ना पकाए।
एलुमिनियम शरीर में जाकर जिंक जैसे महत्वपूर्ण तत्व कमी उत्पन्न करता है। जिंक की कमी से से मोटापा बढ़ने, याददाश्त कमजोर होने, इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता कम होने जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। साथ ही अल्युमिनियम आयरन व कैल्शियम को सोखता है जिससे हड्डियां कमजोर होती है, मानसिक बीमारियां होती है, लिवर व नर्वस सिस्टम को हानि पहुँचती है।
आज कल नॉन स्टिक याने टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों का काफी काफी इस्तेमाल होने लगा है। यह बर्तन दिखने में बड़े ही आकर्षक लगे लेकिन इनसे कैंसर और हार्मोनल असंतुलन जैसी बीमारियां हो सकती है। प्लास्टीक के बर्तनों में कभी भी कोई गर्म चीज ना रखे। प्लास्टिक में मौजूद केमिकल खाने के साथ मिक्स होकर खाने को जहर बना सकते है।
साथ ही पानी भी हमेशा मटके का ही पीए। प्लास्टिक में पानी पीना बहुत घातक है क्योंकि यह विशिष्ट रसायन पाणी में छोड़ देता है जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है। आप चाहे तो प्लास्टिक के बजाए स्टील या तांबे का ग्लास इस्तेमाल कर सकते।
4. प्लास्टिक या एल्युमीनियम के डिब्बे का ना हो प्रयोग
प्लास्टिक या एल्युमिनियम की परत में पैक्ड किए गए फूड में पोषक तत्व कम और केमिकल ज्यादा होते हैं। यह हमारे शरीर में पहुंचकर सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पुराने समय में हम कॉटन या मलमल के कपड़े में लपेटकर खाना स्टील के डिब्बे में रखते थे, जिससे खाने में मौजूद पोषक तत्व बरकरार रहते थे और खाना केमिकल फ्री भी रहता था इसीलिए फैंसी पैकिंग पर ना जाए और प्लास्टिक या एलुमिनियम के डिब्बे को बदलकर स्टील के डिब्बे का उपयोग कीजिए। इससे आप अंदर से स्वस्थ बने रहेंगे।
5. लोकल खाना, स्वास्थ्य का खजाना
कई बार हम किसी लंबी यात्रा पर जाते हैं और बीमार हो जाते हैं हम सफर के दौरान के दौरान हमारे साथ कुछ खाना फल और सब्जी सब्जी रखते हैं और एक दो दिन तक वही खाते हैं लेकिन ज्यादा समय होने से यह स्वास्थ्यवर्धक नहीं रहता और इसे खाने से हम बीमार हो जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि हम जहां जाएं वहां वहां का लोकल,ताज़ा व मौसमी खाना ही खाएं। भारत के किसी भी शहर में जाए वहां की अपने मौसमी सब्जियों और फलों की लंबी सूची रहती है। पैक्ड फ़ूड के बजाए इन्हें चुनिए। यात्रा के दौरान स्वस्थ और फिट रहने के लिए पौष्टिक, ताजा व लोकल आहार खाए।
यह स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ छोटी-छोटी लेकिन मोटी मोटी बातें हैं जिन्हें अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन में अपनाकर आप बीमारियों से काफी हद तक बच सकते हैं एवं हेल्थी लाइफ जी कर सेहत का खजाना पा सकते हैं।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
Very nice and useful tips. Fresh home made food is the best for good health.