कुछ बच्चों में एक मानसिक समस्या होती है जिससे बच्चे पढाई और खेलकूद में धीमे रहते हैं। मेडिकल भाषा में इस समस्या को लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) कहा जाता हैं। ज्यादातर माता पिता को पता ही नहीं चलता कि उनके बच्चे में Learning Disability की समस्या है। जबकि Learning Disability के शिकार बच्चों को जरूरत होती है तो केवल पैरेंट्स और उनके प्यार की। यदि माता-पिता धैर्य और समझदारी से काम ले तो काफी हद तक ऐसे बच्चों की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।
क्या आपका बच्चा सिखने में पीछे रहता हैं ? क्या आपका बच्चा पढाई और खेल-कूद में धीमा हैं ? क्या उसे कोई बात समझने में अधिक समय लगता हैं ? अगर हां ! तो आजका यह लेख विशेष आपके लिए हैं। आपके बच्चे में यह समस्या क्यों है और इसे कैसे दूर करे इसकी जानकारी आज हम इस लेख में दे रहे हैं।
आपने अक्सर देखा होंगा की कुछ बच्चे बाकि बच्चों की तुलना में पढाई या खेल में थोड़े धीमे होते है या उन्हें बातों को समझने में अधिक समय लगता हैं। ऐसे बच्चे न तो अधिक चंचल होते है और नाही अधिक बोलते हैं। ‘तारे जमीं पर’ फिल्म अगर आपने देखी होंगी तो आप समझ रहे होंगे की हम आज बच्चों से जुडी किस बिमारी की बात कर रहे हैं।
लगभग 30 फ़ीसदी बच्चे इस समस्या से पीड़ित होते हैं। बच्चे द्वारा बार-बार एक ही गलती दोहराई जाने पर माता-पिता अक्सर उसे बच्चे की लापरवाही समझ लेते हैं और बेवजह बच्चे को मारना पीटना शुरू कर देते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि उनका बच्चा लर्निंग डिसेबिलिटी से ग्रस्त हो सकता है।
डॉक्टर के मुताबिक Learning Disability से ग्रस्त बच्चा अवसर मिलने पर ही वे अपनी क्षमता को बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। लर्निंग डिसेबिलिटी का मतलब मतिमंद होना नहीं हैं। लर्निंग डिसेबिलिटी क्या है, इसके कारण क्या हैं, इसके लक्षण क्या हैं और ऐसे बच्चों को खेलकूद और पढाई में आगे बढ़ाने के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए इसकी जानकारी निचे दी गयी हैं :
बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी के लक्षण क्या होते हैं ? (Symptoms of Learning Disability in Kids in Hindi)
बच्चों में निम्न लक्षण नजर आए तो समझ जाए वह लर्निंग डिसेबिलिटी का शिकार है। जैसे की :
1. अगर बच्चा देर से बोलना शुरू करें।
2. साइड, शेप या कलर को पहचानने में गलती करें।
3. आपके द्वारा बताए हुए निर्देशों को याद रखने मैं उसे कठिनाई महसूस होती हो।
4. उच्चारण में गलती, लिखने में गलती करें।
5. गणितीय संख्या से संबंधित नंबर ना पहचान पाए।
6. बटन लगाने या शू लेस बाँध पाने में उसे दिक्कत होती हो।
बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी का क्या कारण है ? (Learning Disability causes in Kids in Hindi)
लर्निंग डिसेबिलिटी यह एक जेनेटिक प्रॉब्लम है। अगर माता-पिता में से किसी एक को यह समस्या है तो बच्चों में इसके होने की आशंका अधिक होती है। बच्चे के जन्म के समय सिर पर चोट लगने या घाव होने के कारण भी लर्निंग डिसएबिलिटी हो सकती है। मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र / Nervous System की संरचना में गड़बड़ होने पर भी बच्चों में यह प्रॉब्लम हो सकती है। जो बच्चे प्रीमेच्योर पैदा होते हैं या जन्म के बाद जिस बच्चों में कुछ मेडिकल प्रॉब्लम होती है उनमें यहां समस्या हो सकती है।
बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी होने पर क्या करें ? (Learning Disability treatment in Kids in Hindi)
लर्निंग डिसेबिलिटी इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की परवरिश के लिए धैर्य की जरूरत होती है। माता-पिता को समझना चाहिए कि ऐसे बच्चों को सीखने में समय लगता है इसलिए ऐसे बच्चों के साथ में हमारा व्यवहार करें। ऐसे बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से ना करें। पैरेंट्स का तुलनात्मक व्यवहार उनमें हीन भावना पैदा कर सकता है।
माता पिता को चाहिए कि वह भी हालात को स्वीकार करें बार-बार डाटने से बच्चा अपना आत्मविश्वास खो देता है और निराश हो जाता है। इसलिए उन्हें देखने के बजाए प्यार मनोहर से पेश आए उन्हें महसूस ना होने दें कि वह किसी बीमारी के शिकार है। अपना बच्चा किस चीज में या किस विषय में कमजोर है यह पता करे और उसे वह विषय प्यार से समझाए और अधिक समय दे। अपने बच्चे की प्रगति पर नजर रखे।
ऐसे बच्चों का इलाज के लिए पीडियाट्रिशियन, साइकियाट्रिस्ट, रिमेडियल एजुकेटर, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की राय जानना जरूरी है। केवल एक डॉक्टर कि राए लेकर उपचार शुरू ना करें। सेकंड ओपिनियन हमेशा ले। उपचार के दौरान स्पेशल एजुकेटर से थेरेपी सीखे और फिर बच्चों के साथ वक्त बिताएं। बच्चो में एकाग्रता और याददाश्त बढ़ाने के लिए आप बच्चो को अनुलोम-विलोम प्राणायाम, सूर्यनमस्कार, ताड़ासन, गरुड़ासन, पश्चिमोत्तानासन, शवासन और ध्यान योग सीखा सकते हैं।
ऐसे बच्चे को सरकार की तरफ से परीक्षाओं में छूट दी जाती है, जिससे परीक्षा में एक्स्ट्रा टाइम, एक्स्ट्रा राइटर, केलकुलेटर का इस्तेमाल, मौखिक परीक्षा देना आदि। छूट को पाने के लिए सरकारी अस्पताल का प्रमाण पत्र देना आवश्यक होता है।
Learning Disability कितने प्रकार की होती हैं?
लर्निंग डिसेबिलिटी के प्रमुख 3 प्रकार हैं – डिस्लेक्सिया, डिस्ग्राफिया और डिस्कैल्क्यूलिया।
1. डिस्लेक्सिया (Dyslexia) – यह एक प्रकार की सीखने की अक्षमता है जो पढ़ने को प्रभावित करती है। डिस्लेक्सिया वाले लोग अक्सर शब्दों को सही ढंग से उच्चारण करने, शब्दों को पढ़ने और लिखने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।
2. डिस्ग्राफिया (Dysgraphia) – यह एक प्रकार की सीखने की अक्षमता है जो लिखने को प्रभावित करती है। डिस्ग्राफिया वाले लोग अक्सर लिखने में धीमे होते हैं, उनकी लिखावट अस्पष्ट होती है, और उन्हें वाक्यों और पैराग्राफों को सही ढंग से संरचित करने में कठिनाई होती है।
3. डिस्कैल्क्यूलिया (Dyscalculia) – यह एक प्रकार की सीखने की अक्षमता है जो गणित को प्रभावित करती है। डिस्कैल्क्यूलिया वाले लोग अक्सर गणित की अवधारणाओं को समझने, गणना करने और संख्याओं को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।
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लर्निंग डिसेबिलिटी का कोई ईलाज नहीं है पर बच्चों की कमजोरी और उसके पॉजिटिव पॉइंट को ध्यान में रखकर अगर बच्चे को सही परवरिश दी जाये तो ऐसे बच्चे सामान्य बच्चों को पछाड़कर आगे बढ़ सकते हैं और कामयाबी पा सकते हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन या cartoon जगत के निर्माता वाल्ट डिज्नी भी लर्निंग डिसेबिलिटी के शिकार थे फिर भी उन्होंने दुनिया में अपना एक मुकाम हासिल किया था।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
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