सर्वागासन (Sarvangasana) में संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है और इसीलिए इसे सर्व+अंग+आसन = सर्वांगासन यह नाम दिया गया हैं। अंग्रेजी में इस Yoga को Shoulder Stand Pose कहा जाता हैं। कुछ योग विशेषज्ञ तो इस आसन को अन्य सभी आसनों की जननी भी कहते हैं।
शरीर को strong बनाने के साथ ही यह yoga करने से brain को blood supply बढ़ता है जिससे intelligence और concentration भी बढ़ता हैं। विशेष कर students को यह yoga अवश्य करना चाहिए जिससे वह देर तक concentration से study भी कर सकते है और उन्हें पढ़ा हुआ सब याद भी रह सकता हैं।
सर्वांगासन की विधि, लाभ और सावधानी संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
सर्वांगासन कैसे करे ? (Sarvangasana yoga steps in Hindi)
सर्वांगासन की विधि इस प्रकार हैं :
1. एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी या चटाई बिछा दे।
2. सबसे पहले पीठ के बल लेट जाए।
3. दोनों पैरों को एक दुसरे के पास रखे।
4. हाथ को शरीर के पास रखे और हथेलियों को जमीन पर रखे।
5. अपना मुंह आकाश की ओर रखे।
6. आँखों को बंद कर पुरे शरीर को शिथिल / ढीला रखे।
7. गहरा श्वास ले और धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाए। पैरों को घुटनों से मोड़े नहीं और सीधा रखे।
8. पैरों को उठाते समय कमर को भी ऊपर उठाना प्रारंभ करे।
9. पैरों का भूमि से समकोण / 90 degree angle बन जाने पर पीठ (मेरुदंड) को ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करे।
10. कमर और पीठ को ऊपर उठाने के लिए हाथों का सहारा ले। कुंहनिया (Elbow) जमीन से टिकी हुई होनी चाहिए।
11. पैर, कमर और पीठ को इतना ऊपर उठाए की सिर और गर्दन के साथ बाकि शरीर का समकोण तैयार होना चाहिए।
12. पीठ को हाथो से सहारा देते वक्त ख्याल रखे की हाथों की उंगलिया एक दुसरे के सामने होनी चाहिए और अंगूठे की दिशा पेट की तरफ होनी चाहिए।
13. चेहरे की दिशा ऊपर आकाश की तरफ या पैरों के अंगूठे पर और ठुड्डी (Mandible) कंठ से लगा होना चाहिए।
14. इस स्तिथि में क्षमतानुसार रुकने के बाद दोनों पैरो को धीरे-धीरे निचे लाकर पूर्व स्तिथि में लेट जाना हैं।
15. जितने समय तक आप सर्वागासन करते है उतनी ही अवधि तक शवासन में लेटकर विश्राम करना चाहिए।
सर्वांगासन के क्या फायदे हैं ? (Sarvangasana benefits in Hindi)
सर्वांगासन से होनेवाले फायदे इस प्रकार हैं :
1. दुर्बलता : थकान, दुर्बलता को दूर करता हैं।
2. बुद्धितमत्ता : सर्वांगासन में रक्तप्रवाह मस्तिष्क / Brain की और होने से एकाग्रता और बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती हैं।
3. मानसिक : चिंता, तनाव, खेद आदि मनोविकार दूर करता हैं।
4. थाइरॉइड : थाइरोइड ग्रंथि को क्रियाशील बनाता हैं।
5. वजन कम : वजन कम करने में सहायक हैं।
6, श्वास रोग : दमा से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए बेहद उपयोगी हैं।
7. मजबूती : पीठ और कंधे मजबूत होते हैं।
8. पाचन : कब्ज और पाचन संबंधी रोग दूर होते हैं।
9. गर्भाशय : महिलाओं में गर्भाशय और मासिक धर्म से जुडी समस्यों को दूर करने में उपयोगी
सर्वांगासन में क्या सावधानी बरते ?
निचे दी हुई बीमारियो से पीड़ित व्यक्तिओं ने सर्वांगासन नहीं करना चाहिए :
1. उच्च रक्तचाप – Hypertension
2. हृदयविकार – Heart disease
3. गर्दन में दर्द – Cervical Spondylitis
4. कमर में दर्द – Lumbar Spondylitis
5. चक्कर आना – Vertigo
6. मासिक धर्म और गर्भावस्था – Menstruation & Pregnancy
7. घेंघा – Goiter
८. सर्वांगासन करते समय सिर को उठाने की कोशिश न करे।
9. घुटनों को मोड़ना नहीं हैं।
सर्वांगासन का अधिक लाभ लेने हेतु सर्वांगासन के बाद मत्स्यासन करना चाहिए। सर्वांगासन को अपने क्षमतानुसार ही करे और अभ्यास के साथ ही समय अवधि बढ़ानी चाहिए। सर्वांगासन करते समय किसी प्रकार की तकलीफ होने पर तुरंत योग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।
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और सर शीर्षासन की स्थिती में आने पर साँस रोककर रखनी है या निरन्तर लेनी व छोडनी है कृपा जवाब जरुर दे
शिर्षासन की स्तिथि में आने के बाद आप यथाशक्ति सांस रोक कर रख सकते हैं. जब सांस नहीं रोक सकते तब नियमित श्वसन करना हैं.