नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे Health awareness website पर। आज हम बात करने वाले हैं दो बेहद ज़रूरी मेडिकल स्कैनिंग तकनीक CT Scan और MRI के बारे में । इनमें क्या फर्क है, कब कौन सा स्कैन करवाना चाहिए और इनके फायदे और नुकसान की जानकारी सब कुछ इस लेख में जानेंगे।

CT Scan क्या होता है?
CT Scan यानी ‘Computed Tomography’ स्कैन। इसमें X-Ray किरणों का इस्तेमाल होता है। यह शरीर के अंदरूनी अंगों की 3D इमेज बनाता है, जिससे डॉक्टर को बीमारी को समझने में आसानी होती है। इन इमेज की मदद से शरीर में हो रही बीमारियां जैसे की कैंसर, फ्रैक्चर, इन्फेक्शन इत्यादि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है, इस जानकारी से इलाज सही तरीके से बनाने और इलाज करने में आसानी होती है।
एमआरआई क्या होता है?
MRI यानी ‘Magnetic Resonance Imaging’। इसमें शक्तिशाली मैग्नेट और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल होता है। इसमें कोई radiation नहीं होता। यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, नसों और मांसपेशियों की बारीकी से जांच करता है। यह तकनीक सॉफ्ट टिशू को बेहतर दर्शाता है।
एमआरआई और सीटी स्कैन में अंतर क्या है?
एमआरआई में हमारे शरीर के अंदर की तस्वीरें लेने के लिए और डायग्नोसिस के लिए मैग्नेटिक और रेडियो वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि सीटी स्कैन में शरीर के अंदर के अंगो की क्रॉस सेक्शनल इमेज बनाने के लिए एक्स-रे रेडिएशन का उपयोग किया जाता है। सीटी स्कैन को बार-बार करवाने के नुक्सान हो सकते हैं क्योकि ये रेडिएशन का इस्तिमाल करता है। ऐसा करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। लेकिन एमआरआई को बार-बार इस्तेमाल के लिए सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इसमें रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं होता।
MRI कब करे?
एमआरआई स्कैन का डॉक्टर कई स्तिथियो की जाँच के लिए करते हैं, जैसे की स्तन का कैंसर या ट्यूमर, लिगामेंट, joints या हड्डियों की समस्याओं का पता लगाने के लिए, रक्त वाहिकाओं से जुडी बीमारियों का पता लगाने के लिए जैसे की ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए। ब्रेन की समस्याओं का पता लगाने के लिए जैसे की ट्यूमर, स्ट्रोक के कारण। intestine की समस्याएं जैसे की ulcerative colitis, क्रोहन डिजीज। लिवर की बीमारियां, जैसे की सिरोसिस एमआरआई में दिखाई देती हैं।
CT Scan कब करे?
सिटी स्कैन का उपयोग पेट की समस्याएं जैसे की लिवर या किडनी में कैंसर की जाँच के लिए और रक्त वाहिकाओं में रुकावट को जांचने में इस्तेमाल किया जाता है। ब्रेन ट्यूमर का निदान। अगर मूत्र त्यागते समय उसमे खून आये, उसके कारण जांचने के लिए। फेफड़ों की समस्याएं जैसे की ट्यूमर ,टी बी, निमोनिया इत्यादि की जाँच के लिए। शरीर की हड्डियों में समस्या जैसे की रीढ़ की हड्डी में चोट, हड्डियों में फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस को जांचने के लिए होता है।
एमआरआई के नुकसान क्या है?
एमआरआई की कीमत सीटी स्कैन से ज्यादा है। इसमें सीटी स्कैन से अधिक समय लेता है। इसमें कुछ लोगों को तेज़ आवाज़ से परेशानी हो सकती है। यदि स्कैन के दौरान कोई हलचल की जाये तो इमेज साफ़ और स्पष्ट नहीं आती है।
यदि आपके शरीर में कोई मेटल धातु से बनी डिवाइस है जैसे की कार्डियक पेसमेकर या रोड तो आपको अपने ड़ॉक्टर को पहले ही सूचित कर दें चाहिए। कभी कभी चुम्बक इन डिवाइस के कार्य में नुकसान पहुँचता है।
सीटी स्कैन के नुकसान क्या है?
सीटी स्कैन रेडिएशन का इस्तेमाल करता है जबकि एमआरआई स्कैन नहीं करता। इस रेडिएशन की वजह से कैंसर होने की कुछ सम्भावना बनी रहती है , हालाँकि कैंसर एक स्कैन से नहीं होता बल्कि बार बार थोड़े थोड़े समय बाद काफी लम्बे समय तक रेडिएशन स्कैन लेने से हो सकता है। इन रेडिएशन से प्रेग्नेंट महिलाए और बच्चो को नुकसान होता है। यदि आपको पहले ही किडनी की बीमार और क्रिएटिनिन बढ़ा हुआ है तो contrast सिटी स्कैन में दिक्कत आती है।
तो दोस्तों, CT Scan और MRI दोनों ही महत्वपूर्ण जांचें हैं, बस उनके उपयोग और तकनीक में फर्क है। डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार सही स्कैन का चुनाव करते हैं। उम्मीद है आपको आज की जानकारी पसंद आई होगी।

मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।