रात में नींद में पेशाब कर बिस्तर गिला कर देना यह बच्चों में पायी जानेवाली एक आम समस्या हैं। अंग्रेजी में इसे Bed-Wetting या Nocturnal Enuresis भी कहा जाता हैं। ऐसे तो यह समस्या काफी आम है पर ज्यादातर मामलों में इसका जिक्र न किये जाने के कारण यह समस्या ज्यादा सामने नहीं आती हैं।
आम तौर पर 4 से 5 वर्ष के आयु तक बच्चे अपने मूत्राशय पर नियंत्रण पा लेते है परंतु कुछ बच्चों में यह समस्या 15 से 20 वर्ष के आयु तक भी रह सकती हैं। अगर 7 वर्ष के बाद भी बच्चा नींद में पेशाब कर बिस्तर गिला करता है तो यह सामान्य नहीं है और इस तकलीफ की ओर ध्यान देना जरुरी हो जाता हैं।
Bed-Wetting होने के कारण और उसके निदान संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
बच्चे बिस्तर में पेशाब (Bed wetting) करने का क्या कारण हैं ?
अगर बच्चा 7 वर्ष के पश्च्यात भी बिस्तर गिला करता है तो उसका कारण पता लगाना आवश्यक हो जाता हैं। Bed-Wetting करने के विविध कारण निचे दिए गए हैं :
- छोटा मूत्राशय / Small Bladder : अगर मूत्राशय सामान्य से छोटा है तो रात भर में एकत्रित पेशाब को नहीं रख पाता है और इस वजह से बच्चा Bed-Wetting कर देता हैं।
- मूत्र संक्रमण / Urine Infection : पेशाब में संक्रमण के कारण पीड़ित बच्चे को बार-बार पेशाब होती है और वह रात में पेशाब को नियंत्रित नहीं कर पाता हैं। पेशाब में संक्रमण के कारण पेशाब में जलन होना, बुखार, बदन दर्द और बूंद-बूंद पिशाब होना यह लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
- अनुवांशिकता / Hereditary : Bed-Wetting से पीड़ित लगभग हर 4 में से 3 बच्चों के माता-पिता में से किसी एक को यह समस्या का ईतिहास रहता हैं। शोध से पता चला है की DNA में मौजूद Chromosome के कारण यह तकलीफ माता या पिता से बच्चों में होती हैं।
- हॉर्मोन / Hormone : शरीर में मौजूद पेशाब नियंत्रक हॉर्मोन जिसे Anti-Diuretic Hormone या ADH कहा जाता हैं, किडनी को रात में कम पेशाब तैयार करना का संदेश देता हैं। ADH हॉर्मोन की कमी के कारण किडनी को यह संदेश नहीं मिलता है और रात में अधिक पेशाब तैयार होने से बच्चे Bed-Wetting कर देते हैं।
- तनाव / Tension : अकेले सोना, घर से दूर रहना, किसी ने डांट देना या परीक्षा जैसे परिस्तिथि के तनाव के कारण भी बच्चे रात में बिस्तर पेशाब से गिला कर देते हैं।
- कब्ज / Constipation : कब्ज के कारण भरे हुए पेट के दबाव से मूत्राशय से बच्चों में रात में अनियंत्रित मूत्र विसर्जन हो जाता हैं। पेट साफ़ करने और पेशाब करने के लिए सरीखे स्नायु का इस्तेमाल होता हैं। बार-बार कब्ज की समस्या होने से यह स्नायु की क्रियाशीलता कम हो जाती हैं (dysfunctional) और इस वजह से भी Bed-Wetting हो जाता हैं।
- तंत्रिका प्रणाली / Nervous System : तंत्रिका प्रणाली में गड़बड़ी के कारण मूत्राशय भरा होने के बावजूद भी दिमाग को यह सन्देश / signal नहीं मिलता है और बच्चों में Bed-Wetting हो जाता हैं।
- मधुमेह / Diabetes : कभी-कभी मधुमेह से पीड़ित बच्चों में Bed-Wetting यह मधुमेह का पहला लक्षण होता है और फिर Blood Sugar की जांच करने के बाद मधुमेह / Diabetes का पता चलता हैं। मधुमेह में बच्चो में Bed-Wetting के अलावा ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा भूक लग्ना, अच्छा आहार लेने के बाद भी वजन कम होना जैसे लक्षण नजर आते हैं। मधुमेह संबंधी अधिक जानकारी के लिए यह पढ़े – मधुमेह
- गहरी नींद / Deep sleeper : शोध से पता चला हैं की जो बच्चें अधिक गहरी निंद में सोते है उनमे Bed-Wetting का प्रमाण अधिक पाया जाता हैं। गहरी नींद में सोने के कारण मूत्राशय पूर्ण भरा होने का सन्देश / signal दिमाग को नहीं मिलता हैं।
- पुरुष / Male : महिलाओ की तुलना में Bed-Wetting की समस्या पुरुषों में अधिक पाई जाती है। यह प्रमाण पुरुषों में महिलाओ की तुलना में दोगुना हैं।
- विटामिन्स / Vitamin : शोध से यह पता चला है की 7 वर्ष के बाद भी जिन बच्चों में Bed wetting की समस्या पाई जाती हैं उनमे अधिकतर बच्चों में Vitamin B 12 और Folate की कमी पायी जाती हैं।
बच्चे बिस्तर में पेशाब करने का निदान कैसे किया जाता हैं ?
- शारीरिक जांच / Physical Examination : डॉक्टर पीड़ित बच्चे की शारीरिक जांच करते हैं और यह पता लगाने की कोशिश करते है की बच्चे का उम्र के हिसाब से सही शारीरिक और बौद्धिक विकास हुआ है की नहीं। बच्चे से कुछ प्रश्न भी पूछे जाते है जिससे यह पता चल सके की वह किसी तनाव में तो नहीं हैं या अन्य कोई समस्या तो नहीं हैं।
- रक्त जांच / Blood examination : रक्त में संक्रमण, शर्करा की मात्रा, हॉर्मोन की मात्रा इत्यादि का पता करने के लिए रक्त की जांच की जाती हैं।
- पेशाब जांच / Urine examination : पेशाब में संक्रमण या पेशाब में शर्करा / sugar है की नहीं यह पता करने के लिए पेशाब की जांच की जाती हैं। इस जांच से Urine infection या Diabetes का निदान करने में मदद होती हैं।
- क्ष-किरण / X-RAY और सोनोग्राफी / Sonography : अगर डॉक्टर को पीड़ित बच्चे में किडनी या मूत्राशय से संबंधित किसी शारीरिक विकार की आशंका होती है तो X-ray या Sonography करने की सलाह दी जाती हैं।
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2015 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे आप सभी के लिए साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ ।