LDH टेस्ट क्या है?

LDH, जिसका पूरा नाम Lactate Dehydrogenase (लैक्टेट डिहाइड्रोजनेज) है, हमारे शरीर में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण एंजाइम है। इसे आप अपनी कोशिकाओं (Cells) के लिए एक ऊर्जा-उत्पादक कार्यकर्ता (Energy-producing worker) मान सकते हैं।

यह एंजाइम हमारे लगभग हर अंग में मौजूद होता है – जैसे कि हृदय (Heart), लिवर (Liver), गुर्दे (Kidneys), मांसपेशियां (Muscles), फेफड़े (Lungs) और लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells)। LDH का मुख्य काम शुगर (ग्लूकोज) को ऊर्जा में बदलना है, ताकि हमारी कोशिकाएँ ठीक से काम कर सकें।

लेकिन जब कोई कोशिका चोट, बीमारी या संक्रमण के कारण क्षतिग्रस्त (Damaged) हो जाती है या मर जाती है, तो उसके अंदर मौजूद यह LDH एंजाइम खून या शरीर के अन्य तरल पदार्थों में निकलकर मिल जाता है।

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LDH टेस्ट इसी लैक्टेट डिहाइड्रोजनेज एंजाइम के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। खून में इसका बढ़ा हुआ स्तर इस बात का संकेत देता है कि आपके शरीर में कहीं न कहीं ऊतक (Tissue) क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।

LDH टेस्ट क्यों कराया जाता है? (Uses of LDH Test)

डॉक्टर इस टेस्ट को कई अलग-अलग कारणों से कराने की सलाह देते हैं। यह एक सामान्य टेस्ट है, लेकिन इसके परिणाम कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा कर सकते हैं:

अतीत में, LDH टेस्ट का उपयोग दिल के दौरे के निदान में भी किया जाता था, क्योंकि दिल की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने पर भी यह एंजाइम रक्त में रिलीज़ होता है। हालांकि, अब इस काम के लिए ट्रोपोनिन (Troponin) जैसे अधिक विशिष्ट टेस्ट उपलब्ध हैं।

  • ऊतक क्षति (Tissue Damage) की पहचान: यह सबसे बड़ा कारण है। यदि किसी बीमारी या चोट के कारण शरीर के ऊतक नष्ट हो रहे हैं, तो LDH का स्तर बढ़ जाता है। यह पता लगाने में मदद करता है कि क्षति कितनी गंभीर है।
  • बीमारियों की निगरानी: एनीमिया (Anemia): यदि किसी व्यक्ति में हेमोलिटिक एनीमिया (जब लाल रक्त कोशिकाएँ तेज़ी से नष्ट होती हैं) है, तो LDH स्तर बढ़ जाता है। यह बीमारी की गंभीरता को ट्रैक करने में मदद करता है।
  • गुर्दे या यकृत रोग (Kidney or Liver Disease): लिवर (जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस) या किडनी की क्षति को मापने और उसकी निगरानी के लिए।
  • गंभीर संक्रमण (Severe Infections): जैसे मेनिनजाइटिस या सेप्सिस में ऊतक क्षति के कारण LDH स्तर बढ़ सकता है।
  • कैंसर की स्थिति और उपचार: कुछ प्रकार के कैंसर (जैसे लिम्फोमा, ल्यूकेमिया, टेस्टिकुलर कैंसर) की प्रगति और गंभीरता का आकलन करने के लिए LDH का उपयोग एक ट्यूमर मार्कर के रूप में किया जाता है। यह देखने के लिए कि कैंसर का इलाज (कीमोथेरेपी) कितना प्रभावी है, डॉक्टर समय-समय पर LDH स्तर की जाँच करते हैं। यदि स्तर कम हो रहा है, तो इसका मतलब है कि उपचार काम कर रहा है।
  • हृदयाघात (Heart Attack): अतीत में, LDH टेस्ट का उपयोग दिल के दौरे के निदान में भी किया जाता था, क्योंकि दिल की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने पर भी यह एंजाइम रक्त में रिलीज़ होता है। हालांकि, अब इस काम के लिए ट्रोपोनिन (Troponin) जैसे अधिक विशिष्ट टेस्ट उपलब्ध हैं।

LDH टेस्ट कैसे किया जाता है और लागत क्या है? (Procedure and Cost)

टेस्ट प्रक्रिया (Test Procedure):

LDH टेस्ट एक बहुत ही सरल ब्लड टेस्ट होता है:

  1. सैंपल लेना: एक प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (Phlebotomist) आपकी बांह की नस (आमतौर पर कोहनी के अंदर की तरफ) से रक्त का एक छोटा नमूना लेता है।
  2. प्रयोगशाला (Lab): इस रक्त के नमूने को जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
  3. अन्य तरल पदार्थ: कभी-कभी, डॉक्टर मस्तिष्क या फेफड़ों के आस-पास के तरल पदार्थों में भी LDH के स्तर को मापने की सलाह दे सकते हैं, लेकिन यह बहुत कम होता है।

क्या टेस्ट से पहले कोई तैयारी करनी होती है?

आमतौर पर इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी (जैसे खाली पेट रहना) की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, डॉक्टर को अपनी चल रही दवाओं, सप्लीमेंट्स और हर्बल उत्पादों के बारे में ज़रूर बताएं, क्योंकि कुछ चीजें परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।

टेस्ट की लागत (Cost)

भारत में LDH टेस्ट की लागत अलग-अलग शहरों और प्रयोगशालाओं (Labs) के अनुसार भिन्न हो सकती है। सामान्य तौर पर, इसकी लागत लगभग ₹200 से ₹600 के बीच हो सकती है।

नॉर्मल रेंज और महत्वपूर्ण बातें (Normal Range and Importance)

LDH के लिए सामान्य रेंज आमतौर पर 135 से 225 यूनिट्स प्रति लीटर (U/L) के बीच होती है। बच्चों में यह स्तर वयस्कों की तुलना में अधिक हो सकता है।

नोट: नॉर्मल रेंज लैब द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीक के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है। इसलिए, हमेशा अपनी रिपोर्ट पर दिए गए रेफरेंस रेंज को ही मानें।

क्या LDH हाई होना हमेशा ख़तरनाक है? (Things to Keep in Mind)

  1. केवल टिशू डैमेज का संकेत: यह टेस्ट सिर्फ इतना बताता है कि कहीं न कहीं ऊतक क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन यह क्षति का सटीक स्थान या कारण नहीं बताता है। यदि LDH हाई है, तो डॉक्टर सही निदान (Diagnosis) तक पहुंचने के लिए अन्य विशिष्ट टेस्ट (जैसे LDH आइसोएंजाइम, CK-MB, LFT, KFT) भी कराते हैं।
  2. झूठा उच्च स्तर (False High): टेस्ट से ठीक पहले किया गया भारी व्यायाम LDH स्तर को अस्थायी रूप से बढ़ा सकता है। यदि रक्त का नमूना लेते समय लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं (जिसे हेमोलाइसिस कहते हैं), तो LDH का स्तर झूठा बढ़ा हुआ आ सकता है।
  3. घबराएँ नहीं: यदि आपकी रिपोर्ट में LDH का स्तर बढ़ा हुआ आता है, तो घबराएँ नहीं। यह बस एक ‘अलार्म’ है। आपका डॉक्टर ही सही कारण बता सकता है और उचित उपचार शुरू कर सकता है।

LDH टेस्ट हमारे शरीर के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक (Indicator) है। यह हमें यह जानने में मदद करता है कि क्या हमारी कोशिकाएं और अंग अंदर से ठीक हैं या नहीं। नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करके, आप इस ‘हिडन डैमेज अलार्म’ को समय पर पहचान कर अपनी सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं।

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