ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) / Human Papilloma Virus (HPV) यह एक प्रकार का वायरस है जिससे गर्भाशय में ग्रीवा का कर्करोग (Cervical Cancer) होना खतरा रहता हैं। दुनिया में लगभग 100 से भी ज्यादा प्रकार के HPV है। यह वायरस बेहद तेजी से शरीर में फैलता है पर इसका संक्रमण होने पर कुछ खास लक्षण दिखायी नहीं देते है और इसलिए पीड़ित व्यक्ति को इसके संक्रमण का पता नहीं चलता हैं।
शारीरिक संबंध बनाने वाले लगभग 75% से अधिक महिला और पुरुष को इस HPV वायरस के संक्रमण का सामना जीवन में एकबार तो करना ही पड़ता हैं। इसलिए HPV के कारण, लक्षण और उपचार से जुडी सारी जानकारी आपको पता होना बेहद जरुरी हैं।
Human Papilloma virus (HPV) का संक्रमण कैसे होता हैं ?
HPV यह एक प्रकार का वायरस है जिसका संक्रमण शारीरक सबंध बनाने से या संक्रमित त्वचा के सम्पर्क में आने से होता हैं। शारीरिक सबंध बनाते समय अगर कंडोम का इस्तेमाल ठीक से नही किया है तो भी इसका संक्रमण हो सकता हैं। Human Papilloma virus (HPV) का संक्रमण किसी भी सेक्सुअली एक्टिव व्यक्ति को हो सकता हैं।
Human Papilloma virus (HPV) संक्रमण के लक्षण क्या हैं ?
अधिकतर मामलों में HPV का संक्रमण होने पर हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति यानि की हमारी इम्युनिटी इस वायरस को नष्ट कर देती हैं पर कुछ मामलों में किस प्रकार के HPV का संक्रमण हुआ है और किस जगह पर हुआ है उस पर इसके संक्रमण के लक्षण नजर आते हैं।
1. मस्से (Warts) : जनेन्द्रिय, हाथ, पैर, चेहरा या पैरों के तलवों पर अलग-अलग किस्म के मस्से निर्माण होते हैं। जनेन्द्रिय पर होनेवालों मस्सों में इतना दर्द नहीं होता है पर तलवों पर और हाथ होनेवालों मस्सों में दर्द और खनु बहने का खतरा रहता हैं।
2. कर्करोग (Cancer) : महिलाओं में होनेवाले Cervical cancer का सबसे प्रमुख कारण HPV का संक्रमण हैं। HPV का संक्रमण होने पर कैंसर होने में लगभग 20 वर्ष तक का समय लगता हैं। महिलाए Pap smear जांच कराकर सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआत में लगाकर इसे फैलने से लगा सकती हैं। इसके अलावा मुंह, गला, गुदा और पुरुष जनेन्द्रिय का कैंसर भी HPV संक्रमण होने से हो सकता हैं।
Human Papilloma virus (HPV) संक्रमण के उपचार और बचाव कैसे करे ?
1. टिका (Vaccine) : Human Papillomavirus (HPV) संक्रमण से बचने के लिए आप इसकी वैक्सीन लगा सकते हैं। सेक्सुअली एक्टिव होने से पहले इसका टिका लगा अधिक प्रभवशाली होता हैं। एक बार संक्रमण होने के बाद यह अधिक प्रभावशाली नहीं हैं। Human Papillomavirus (HPV) की वैक्सीन बच्चों को 10 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों और बच्चियों को दि जाती है। इस वैक्सीन के 2 डोज़ 6 महीने के अंतराल से दिए जाते हैं।
2. जांच (Pap Smear) : महिलाओं मे पैप स्मीर जांच कर HPV संक्रमण और कैंसर का पता सुरुआत मे ही लगाया जा सकता हैं। 21 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं से कम से कम हर 3 वर्ष मे एक बार यह जांच अवश्य कराना चाहिए। Pap smear से जुडी पूरी जानकारी आप यहाँ पढ़ सकते हैं – पैप स्मीयर जांच कैसे की जाती हैं ?
3. शारीरिक संबंध : अधिक व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैं। इसलिए अपने पार्टनर के साथ वफादार रहे और ऐसी गलती न करे जिससे कैंसर और एड्स जैसी घातक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
4. दवा (Medicine) : HPV के उपचार के लिए फ़िलहाल कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं। वैक्सीन लेकर आप इसके संक्रमण होने का खतरा कम कर सकते हैं। HPV के संक्रमण से जो शरीर में मस्से निर्माण होते है उन पर लगाने के लिए Salicyclic acid, Imiquimod, Podofilox और Tricholroacidic acid आदि का उपयोग किया जाता हैं। दवा से लाभ न होने पर Cryotherapy, Electrocautery, Laser या Surgery कर मस्सों को निकाला जाता हैं।
5. रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) : शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति यानि की इम्युनिटी अच्छी होने पर बिना किसी विशेष उपचार के भी HPV को शरीर ठीक कर सका है। हम अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति कैसे बढ़ा सकते है यह जानने के लिए यह पढ़े – रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के उपाय
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मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।