जहा चाह वहा राह – A short Motivational story in Hindi

motivaional story in Hindi

एक बार एक युवक को पुलिस ने किसी छोटे अपराध में पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि वह युवक कोलेज dropout है। युवक ने कहा कि , “मै एक ऐसे घर में पला-बढ़ा जहा जरुरतो के लिए भी पैसे नहीं होते थे। मेरे पिता शराबी थे और जब तब मुझे और मेरे भाई को मारते रहते थे, किताबे खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे।”

अब युवक ने पुलिस वालो से पूछा कि, “आप ऐसे में मुझसे किस तरह का जीवन की अपेक्षा करते हैं ? आज मै जो कुछ भी हू , वह मेरे पिता और उन परिस्थितियों की वजह से हू इसमे मेरा कोई दोष नहीं है।”

जिस जगह से इस युवक को पकड़ा गया, वही से कुछ दूरी पर झुग्गी में रहने वाले एक प्रतिभावना युवक
को सन्मानित किया जा रहा था। इस युवक ने प्रतिष्ठिता स्कूल की प्रवेश परिक्षा पासकी थी। इस युवक से जब पूछा गया कि उसे इसकी प्रेरणा कहा से मीली, तो उसने जवाब दिया की , “मै एक ऐसे घर में पला-बड़ा जहा जरुरतो के लिए भी पैसे नहीं होते थे। मेरे पिता शराबी थे और जब मुझे व मेरे भाई को मारते रहते थे। किताबे खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे।” 

युवक ने कहा की , “मेने तभी तय कर लिया था की अगर मुझे इन सबसे बाहर निकलना है, तो कड़ी मेहनत करनी होगी। अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और अपने भाग्य का निर्माण स्वय करना होगा, बस मैने यही किया।”

आपको अनुमान लगा गया होगा कि ये दोनों युवक दरअसल भाई है। आखिर ऐसा कैसे हो गया कि दोनों भाई एक ही तरह की परिस्थितियों में पले-बड़े, फिर भी दोनों में इतना अंतर आ गया।

कारण स्पष्ट है !

एक ने  परिस्थितियों व दूसरो को दोष देने की राह चुनी, तो दुसरे ने अपनी जिम्मेदारी खुद उठाने का फेसला किया।

इससे एक सीधी सी सीख यही मिलाती है कि  परिस्थितिया कैसी भी हो, अगर आप में कुछ बनने का जुनून है, तो आप इनसे पार पाकर अपने लक्ष्य को जरुर हासिल कर सकते है। जीवन एक संघर्ष पथ है, जरुरी नहीं है कि परिस्थितिया सदैव आपके अनुकूल हो,कई बार इन्सान परिस्थितियों से लड़ने के बजाए उन्हें नियति मान लेता है। ऐसा इन्सान जीवन में कभी कुछ नहीं कर पाता और अपनी इस स्थिति के लिए दूसरो को दोष देता रहता है।

जो व्यक्ति प्रयत्न कर सकता है, जिसमे किसी कार्य को संपन्न करने की इच्छा और अभिलाषा है, वह अपने लिए अवसर का निर्माण अवश्य कर सकता है। जीवन में सफल होने का एकमात्र उपाय यही है की मनुष्य स्वयं को किसी भी कार्य को पूरा करने के योग्य बनाए। आशा ही सुख और समृद्धि का बिज है। दृढ़ संकल्प को धारण कर जब आप निर्धनता, असफलता और निराशा को ललकारेंगे, तो वो पास टिक नहीं पाएंगे।   

हमारे सपने विशाल होने चाहिए , 
हमारी महत्वाकांक्षा ऊँची होनी चाहिए और 
हमारी प्रतिबद्दता गहरी होनी चाहिए !”

                                                    – धीरुभाई अंबानी 
अकसर देखा गया है की कई मरीज Diabetes, Hypertension या Arthritis जैसी बीमारी होने पर निराश और हताश हो जाते है। कुछ मरीज तो अपनी दवा लेना भी बंद कर देते है। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण मौजूद है जिनसे हमें सिख मिलती है की हमारे सामने चाहे कितनी भी रूकावटे या मुशकिले मौजूद क्यों न हो, हम आत्मविशवास, मेहनत और अनुशासन से उन पर विजय प्राप्त कर खुशहाल जिंदगी जी सकते है।  
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नोट :- ऊपर दी हुई कहानी मेरी रचना  नहीं है। इसे मैंने कही पर पढ़ा था और यहाँ पर सिर्फ आप के उज्ज्वल भविष्य और उत्तम स्वास्थय हेतु प्रस्तुत कर रहा हु।  

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