चिकित्सा जगत में CT Scan बहुत ही चर्चित नाम है। CT यानी कंप्यूटराइज टोमोग्राफी यह एक्स-रे का ही विकसित रूप है। सीटी स्कैनिंग चिकित्सा जगत में कंप्यूटर के सफल प्रयोग का नमूना है। इस उच्च तकनीकी वाले उपकरण की मदद से ही शरीर के भीतरी अंगों की त्रिआयामी इमेज बन पाना संभव हो सका है। इसे सीटी स्कैनिंग अर्थात कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैनिंग भी कहा जाता है।
1895 में वैज्ञानिक रोंजन ने पाया था कि कैथोड रे ट्यूब से निकलने वाली किरणें इंसानी हाथों को छोड़कर विशेष प्रकार के रसायनों से युक्त स्क्रीन पर हड्डियों का फोटो बनाती है। इस किरण को उन्होंने एक्स-रे का नाम दिया। एक्स-रे के चिकित्सीय प्रयोग में हड्डियों की टूट-फूट, ट्यूमर तथा टीबी जैसे श्वास संबंधी रोगों के उपचार में अवश्वसनीय भूमिका निभाई है। किंतु एक्स-रे की भी अपनी सीमाएं हैं। यह सामान घनत्व वाले उत्तकों में अंतर करने में नाकाम है। इसलिए बहुत सारी शारीरिक व्याधियों को स्क्रीन पर उतारने में असफल है।
CT Scan कैसे काम करता हैं ?
इस तकनीक की मदद से एक साथ विभिन्न कोणों से लगभग 1000 एक्स-रे लिए जाते हैं। सीटी स्कैन और में एक ट्यूब होती है जिससे एक्स-रे निकलकर कोल्लिमेटर से होती हुई इंसानी जिस्म से गुजरकर डिटेक्टर पर पड़ती है। इससे संलग्न कंप्यूटर में डिटेक्टर द्वारा भेजी गई सूचनाएं की प्रोसेसिंग होती है तत्पश्चात परिणाम स्केनर में लगे मॉनिटर पर दिखाई देते हैं।
CT Scan से शरीर के अंधरुनि हिस्सों के डिटेल में तस्वीरें मिल जाती हैं इसलिए एक्स-रे की तुलना में CT Scan अधिक उपयोगी हैं।
वरदान है CT Scan
पारंपारिक एक्स-रे की तरह ही सिटी इमेजिंग करवाते समय भी रोगी को ना तो दर्द होता है नाहीं किसी प्रकार का कोई एहसास होता है क्योंकि CT Scan के अंदर में भी एक्सरे का इस्तेमाल होता है। इसलिए CT Scan में भी रोगियों को रेडिएशन का खतरा रहता है किंतु उच्च तकनीकी उपकरण होने के कारण रेडिएशन की मात्रा भी कम होती है। गर्भवती महिलाओं को सीटी स्कैन कराने से परहेज करना चाहिए खासकर गर्भावस्था के प्रथम 3 महीनों के भीतर तो इससे बचना आवश्यक है।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।