भारत में लगभग 35% आबादी में क्षय (TB) या ट्यूबरक्यूलोसिस के बैक्टीरिया उपस्तिथ हैं। हर वर्ष औसतन 5 लाख मौत इस रोग के कारण भारत में होती हैं। हर मिनिट में दुनिया में कही न कही कोई न कोई TB के कारण अपनी जान गवां बैठता हैं। टीबी रोग के बक्टेरिया रोगी के खंगार / थूंक (Sputum) में मौजूद होते है और अगर समय पर उपचार न हो तो एक TB का रोगी हर वर्ष कम से कम १० से १५ नए व्यक्तियों में इस बीमारी को फैलाता हैं।
टीबी का रोगी जब खांसता है या छींकता है तो हजारों की संख्या में टीबी के बैक्टेरिया बाहर निकलते है। इनमे से जो बड़ी-बड़ी बुँदे होती है वह तो जमीन पर गिर जाती है पर जो छोटी-छोटी बुँदे होती है वह हवा में तैरते रहती हैं। इस कारण जो गरीब या मजदुर लोग छोटे से मकान में पूरा परिवार के साथ रहते है उनमे यह तेजी से फ़ैल सकता हैं। यह टीबी का बक्टेरिया श्वास द्वारा अन्य परिवार जनों के फेफड़ों में और अन्य अंगों में पहुंच जाते हैं।
बच्चो में TB रोग कैसे फैलता है ?
बच्चे जो की कमजोर होते है इनकी चपेट में जल्द आ जाते हैं। बच्चों के फेफड़ों में पहुंचकर यह एक रिएक्शन पैदा करता हैं। ८ से १० हफ़्तों में एक चक्र पूरा कर बैक्टेरिया सुसुप्त अवस्था में पहुंच जाता हैं। इस दौरान बच्चो बुखार, सर्दी, जुखाम आदि लक्षण नजर आते हैं। जिन बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति अच्छी होती है वह इससे ठीक हो जाते है पर जो बच्चे कुपोषित होते है या जिनकी रोग प्रतिकार शक्ति कमजोर रहती है ऐसे बच्चों में समय पर उपचार मिलना जरुरी हो जाता है वर्ना यह टीबी रोग फेफड़ों के साथ बच्चों के अन्य अंगों को भी अपना शिकार बना सकता हैं।
बच्चों में टीबी का निदान करने के लिए खून जांच, थूक जांच, एक्सरे, सोनोग्राफी आदि जांच की जाती हैं। टीबी का निदान होने पर ६ महीने से १ साल तक उपचार किया जाता हैं। समय पर उपचार होने से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता हैं। अगर उपचार बिच में बंद किया गया तो MDR TB बीमारी हो सकती है जिसे ठीक करना मुश्किल होता है इसलिए पूरा ईलाज करना बेहद जरुरी हैं।
बच्चों में TB रोग के लक्षण क्या होते हैं ?
जैसे की हमने अभी तक पढ़ा है की टीबी का सही समय पर निदान और उपचार के लिए इसके लक्षणों की जानकारी आपको होना बेहद जरुरी हैं। टीबी रोग के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं :
- बुखार : बच्चों को बार बार बुखार आना।
- आँखे लाल : बुखार के साथ आँखे लाल होना।
- वजन घटना : बच्चों का वजन कम होना या उम्र के साथ वजन न बढ़ना।
- खांसी : बच्चों में एक हफ्ते से अधिक समय तक खांसी की समस्या होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। कभी कभी खांसी के साथ कफ या थिंक में खून भी आ सकता हैं।
- पसीना आना : रात में सोते समय पसीना आना।
- भूक कम लगना : बच्चों में भूक कम लगना। पसंदीदा खाना होने के बावजूद भी बच्चा कम खाता हैं।
- सीने में दर्द : सांस लेते समय सीने में दर्द होना। ऐसा फेफड़ों में टीबी का पानी भरना से भी हो सकता हैं।
- पेट दर्द : कुछ टीबी के रोगी में पेट दर्द और पेट में सूजन या पेट फूल जाने के लक्षण भी नजर आते हैं।
- पैर में कमजोरी : कुछ टीबी के रोगी में पैर में कमजोरी, पैर लंगड़ाना अथवा जोड़ों में सूजन के लक्षण नजर आते हैं।
- सरदर्द : तेज सरदर्द, उलटी, सर में भारीपन, बेहोशी जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
- गले में गाँठ : गले में गाठ होना और उसमे से पस निकलना।
- चिड़चिड़ापन : बच्चों का बेवजह चिड़चिड़ापन
- पेशाब में खून : बच्चे को पेशब में कोई तकलीफ नहीं हो फिर भी पेशाब से पस या खून आना।
मेरा नाम है डॉ पारितोष त्रिवेदी और मै सिलवासा, दादरा नगर हवेली से हूँ । मैं 2008 से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हु और 2013 से इस वेबसाईट पर और हमारे हिन्दी Youtube चैनल पर स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे लिख रहा हूँ ।