शतावरी यह एक ऐसा औषधीय पौधा है जिस की जड़ों को अमृत की उपमा दी जाती है।
शतावरी के पाउडर मे थोड़ी मिश्री मिला ले व उसे सुबह शाम 1 -1 चम्मच पानी या दूध के साथ लेने से कमजोरी दूर होगी।
शतावरी के जड़ों का चूर्ण बिना शक्कर के दूध के साथ लिया जाए तो यह मधुमेह के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है।
प्रसिद्ध स्वदेशी प्रचारक राजीवजी दीक्षित जी ने तो यहा तक कहा है कि सबको शतावरी खिलाओ, सबके चश्मे उतर जाएंगे, सबके आँखों के नम्बर
कम हो जाएंगे।
जिसे खूनी बवासीर की शिकायत हो, वे ताजे शतावरी को पीसकर मिश्री के साथ कुछ दिनों तक सेवन करें, इससे लाभ होगा।
शतावरी को गर्भधारण, बाँझपन दूर करने के लिए, गर्भाशय पोषण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
अगर प्रेगनेंसी से ही शतावरी कल्प लेना शुरू करते है तो डिलीवरी के बाद माता को दूध पर्याप्त मात्रा में आता है।
शतावरी चूर्ण का दूध के साथ लेने महिलाओं मे स्तन की वृद्धि सही होती है और पुरुष मे बॉडी मसल्स की ग्रोथ अच्छी होती हैं।
शतावरी चूर्ण का उपयोग, मात्रा और नुकसान की
पूरी जानकारी
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