आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार को The Art and Science of Pregnancy भी कहा जाता हैं।
आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार को The Art and Science of Pregnancy भी कहा जाता हैं।
आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार से माता और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं।
आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार से माता और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं।
आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार प्रथम अवस्था मे इसमें पँचकर्मादि से बीजशुद्धि, पति पत्नी का आहार - विहार, गर्भाधान के लिए सही समय, ऋतु, आदि का विचार किया जाता है।
आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार प्रथम अवस्था मे इसमें पँचकर्मादि से बीजशुद्धि, पति पत्नी का आहार - विहार, गर्भाधान के लिए सही समय, ऋतु, आदि का विचार किया जाता है।
प्रथम तीन महीने में बच्चे का शरीर सुडौल व निरोगी हो, इसके लिए प्रयत्न किया जाता हैं।
प्रथम तीन महीने में बच्चे का शरीर सुडौल व निरोगी हो, इसके लिए प्रयत्न किया जाता हैं।
तीसरे से छठे महीने में बच्चे की उत्कृष्ट मानसिकता के लिए प्रयत्न किया जाता है।
तीसरे से छठे महीने में बच्चे की उत्कृष्ट मानसिकता के लिए प्रयत्न किया जाता है।
छठे से नौंवे महीने में उत्कृष्ट बुद्धिमत्ता के लिए प्रयत्न किया जाता हैं।
छठे से नौंवे महीने में उत्कृष्ट बुद्धिमत्ता के लिए प्रयत्न किया जाता हैं।
प्रसूति के बाद बालक पर सुवर्णप्राशन संस्कार किया जाता हैं।
प्रसूति के बाद बालक पर सुवर्णप्राशन संस्कार किया जाता हैं।
गर्भसंस्कार से उत्तम वर्ण, अच्छी लम्बाई (Height) तो मिलती ही है साथ मे बच्चा बुद्धिमान बनता है।
गर्भसंस्कार से उत्तम वर्ण, अच्छी लम्बाई (Height) तो मिलती ही है साथ मे बच्चा बुद्धिमान बनता है।
बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह, कैंसर जैसी अनुवांशिक बीमारियों को कम करने के लिए गर्भसंस्कार काफी लाभदायक है।
बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह, कैंसर जैसी अनुवांशिक बीमारियों को कम करने के लिए गर्भसंस्कार काफी लाभदायक है।