पानी की शुद्धता को Total dissolved solids (TDS) में मापते हैं। RO का पानी में आप TDS कितना होना चाहिए इसकी setting करवा सकते हैं।
TDS पानी में घुले हुए सभी खनिजों और लवणों का माप है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, सल्फेट और कार्बोनेट जैसे तत्व शामिल हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, पीने के पानी में TDS का स्तर 500 ppm (मिलीग्राम प्रति लीटर) से कम होना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 300 ppm को पीने के पानी के लिए TDS का अधिकतम स्वीकार्य स्तर मानता है।
TDS पानी के स्वाद को प्रभावित करता है। कम TDS वाला पानी फीका लग सकता है, जबकि उच्च TDS वाला पानी खारा या धातु जैसा लग सकता है।
बहुत अधिक TDS वाले पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी में 100 से कम TDS हो तो उसमें प्लास्टिक के कण घुलने का खतरा भी रहता है. जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
65 से 95 टीडीएस होने पर पानी मीठा तो हो जाता है लेकिन उसमें से कई जरूरी मिनरल्स (Minerals) भी निकल चुके होते हैं।
पिने के लिए आपने 200 से 300 TDS के बिच का पानी इस्तेमाल करना चाहिए।