अष्टांग योग क्या हैं?
1. यम
1. यम
कायिक, वाचिक और मानसिक रूप से सयंम प्राप्त होने के लिए निम्नलिखित 5 नियमो का पालन करना।
कायिक, वाचिक और मानसिक रूप से सयंम प्राप्त होने के लिए निम्नलिखित 5 नियमो का पालन करना।
2. नियम
2. नियम
हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए और जीवन सुव्यवस्तिथ करने के लिए न नियमो का पालन
करना चाहिए।
हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए और जीवन सुव्यवस्तिथ करने के लिए न नियमो का पालन
करना चाहिए।
३. आसन
३. आसन
स्थिर और आरामदायक बैठने की स्तिथि को आसन कहा जाता हैं। योग में अनेक उपयोगी आसनों का वर्णन किया गया हैं।
स्थिर और आरामदायक बैठने की स्तिथि को आसन कहा जाता हैं। योग में अनेक उपयोगी आसनों का वर्णन किया गया हैं।
४. प्राणायाम
४. प्राणायाम
एक विशेष लय में
श्वास लेने की क्रिया को प्राणायाम कहा जाता हैं।
एक विशेष लय में
श्वास लेने की क्रिया को प्राणायाम कहा जाता हैं।
५. प्रत्याहार
५. प्रत्याहार
हमारे इन्द्रियों को एकाग्र कर उनका विषयो से ध्यान हटाने को प्रत्याहार कहा जाता हैं। इससे मन को काबू में किया जा सकता हैं।
हमारे इन्द्रियों को एकाग्र कर उनका विषयो से ध्यान हटाने को प्रत्याहार कहा जाता हैं। इससे मन को काबू में किया जा सकता हैं।
६. धारणा
६. धारणा
अपने चित्त को एक विशेष स्थान पर केन्द्रित करने को धारणा कहा जाता हैं। इससे हमारी एकाग्रशक्ति में वृद्धि होती हैं।
अपने चित्त को एक विशेष स्थान पर केन्द्रित करने को धारणा कहा जाता हैं। इससे हमारी एकाग्रशक्ति में वृद्धि होती हैं।
७. ध्यान
७. ध्यान
केवल एक वास्तु पर ध्यान केन्द्रित कर अन्य सभी बाह्य वास्तु का ज्ञान तथा उनकी स्मृति न होने की स्तिथि को ध्यान कहा जाता हैं।
केवल एक वास्तु पर ध्यान केन्द्रित कर अन्य सभी बाह्य वास्तु का ज्ञान तथा उनकी स्मृति न होने की स्तिथि को ध्यान कहा जाता हैं।
८. समाधि
८. समाधि
चित्त ध्येय वस्तु के चिंतन में पूरी तरह लीन हो जाने की स्तिथि को समाधि कहा जाता हैं। इसे आत्मा से परमात्मा का मिलन या मोक्ष की स्तिथि भी कहा जाता हैं।
चित्त ध्येय वस्तु के चिंतन में पूरी तरह लीन हो जाने की स्तिथि को समाधि कहा जाता हैं। इसे आत्मा से परमात्मा का मिलन या मोक्ष की स्तिथि भी कहा जाता हैं।
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