प्रेगनेंसी में माँ और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए माँ ने अपने आहार पर विशेष ध्यान देना जरुरी होता हैं।
प्रेगनेंसी में हर महीने में माँ को अलग अलग आहार की जरुरत होती हैं।
पहला महीना इस समय शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का विकास होता है। ऐसी चीजें खाएं, जो फोलेट से भरपूर हों। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे शलजम, साग, पालक, शतावरी, स्प्राउट्स और ब्रोकोली।
दूसरा महीना शिशु की हड्डियां सख्त होने लगती हैं, इसके लिए ऐसे खांद्य पदार्थ चाहिए जो कैल्शियम से भरपूर हों। दूध, पनीर व दही खाएं। रागी व तिल भी अच्छे विकल्प हैं।
तीसरा महीना शिशु की हड्डियां लगातार सख्त हो रही हैं, उसके दांत बनने लगे हैं। कैल्शियम और फोलेट से भरपूर भोजन खाएं।
चौथा महीना आयरन व फोलिक एसिड वाली डाइट लें। पत्तेदार सब्जियां जैसे चौलाई, मेथी, पालक, पुदीने व सहजन। विटामिन सी युक्त जैसे आंवला, संतरा, नींबू व अंकुरित अनाज व दालें खाएं।
पांचवां महीना शिशु की त्वचा व मांसपेशियां बन रही होती है। ऊर्जा व प्रोटीन से वाली चीजें खाएं। मोटा अनाज, चावल, मक्का, दालें, शकरकंद, केला व गुड़, दूध, स्किम्ड मिल्क पाउडर और पनीर, मेवे और तिलहन ।
छठा महीना शिशु की आंखें विकसित हो रही होती हैं। विटामिन ए वाली चीजें खाएं। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे सहजन। पीले और नारंगी फल, टमाटर, खरबूजा, गाजर, शकरकंद और कहू।
सातवां महीना शिशु का ब्रेन व विजन तेजी से विकसित हो रहा होता है। इसमें अच्छे वसा की जरूरत है। नट्स, तिलहन, कुकिंग में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल डालें।
आठवां व नवां महीना शिशु का वजन बढता है। ब्रेन व फेफड़ों का विकास होता है। ऊर्जा वाली चीजें खाएं। अनाज में गेहूं, चावल, ज्वार, रागी और बाजरा, दालों में हरा चना, बंगाल चना और सोयाबीन। दूध और डेयरी उत्पाद, कुकिंग ऑयल में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली और नारियल का तेल का सेवन करें।