शलभासन योग : विधि और लाभ

शलभासन योग करते समय शरीर का आकार शलभ (Locust) किट की तरह होने के कारण इसे शलभासन या Locust pose कहा जाता हैं। कमर और पीठ के स्नायु मजबूत करने के लिए यह एक श्रेष्ठ आसन हैं।
  1. शलभासन योग विधि Shalabhasan in Hindi 
  2. शलभासन के लाभ Shalabhasana benefits in Hindi 
  3. शलभासन योग में क्या सावधानी बरतना चाहिए ? 

Sciatica के रोगी के लिए यह फायदेमंद योगासन हैं। इस आसान का नियमित अभ्यास करने से पेट पर जमी हुई अतिरिक्त चर्बी कम होती है और मोटी कमर भी कम होती हैं।

शलभासन योग की विधि और लाभ संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

Shalabhasana Yoga benefits in Hindi
शलभासन योग विधि और लाभ

शलभासन योग की विधि और लाभ 

शलभासन योग विधि Shalabhasan in Hindi

  • सर्वप्रथम एक स्वच्छ और समतल जगह पर चटाई या दरी बिछा दे। 
  • अब पेट के बल लेटे तथा अपने दोनों हाथो को जांघो (Thighs) को निचे रखे। 
  • ठोड़ी को जमिनपर टीकाकार रखे। 
  • अब दोनों पैरो को बिना मोड़े हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाये। 
  • अपने क्षमतानुसार कुछ क्षण तक इसी स्तिथि में रहे। 
  • धीरे- धीरे पैरो को निचे लाए और पुर्वस्तिथि में आए। 
  • जमींन पर लेटते समय श्वास लेना है और पैरो को ऊपर उठाते समय श्वास को रोककर रखना हैं। पैरो को निचे लाते समय श्वास छोड़ना हैं। 

शलभासन योग में क्या सावधानी बरतना चाहिए ?

शलभासन योग करते समय निचे दिए हुए एहतियात बरतने चाहिए :

  1. अपने क्षमता से अधिक समय तक यह आसन नहीं करना चाहिए। 
  2. इस आसन का समय धीरे-धीरे अभ्यास के साथ बढ़ाना चाहिए। 
  3. पेप्टिक अल्सर, हर्निया, आंत की बीमारी और ह्रदय रोग के रोगियों ने यह आसन नहीं करना चाहिए। 
  4. मेरुदंड की समस्या होने पर डॉक्टर की राय लेकर ही यह आसन करे। 
  5. गर्भिणी महिला या जिनका कुछ समय पहले कोई पेट का ऑपरेशन हुआ हैं उन्होंने यह आसन नही करना चाहिए। 

शलभासन के लाभ Shalabhasana benefits in Hindi

शलभासन करने से निचे दिए हुए लाभ होते हैं :

  1. रीढ़ की हड्डी और कटी प्रदेश मजबूत होता हैं। 
  2. साइटिका (गृध्रसी) से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए विशेष लाभकारी हैं। 
  3. कमर और पैरो को मजबूती मिलती हैं। 
  4. गर्दन और कंधो के स्नायु को मजबूती प्राप्त होती हैं। 
  5. पेट और कमर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में सहायक हैं। वजन कम होने में मदद होती हैं। 
  6. पाचन (Digestion) में सुधार होता हैं। 

शलभासन का अभ्यास करते समय हम शुरुआत में दोनों पैरो की जगह एक पैर उठाकर भी आसन कर सकते हैं। क्रम से एक पैर बदल कर शलभासन करने की क्रिया को ‘ अर्ध शलभासन ‘ कहा जाता हैं। किसी भी योग को करते समय कोई कठिनाई होने पर योग विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए।  

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