मिरगी (Epilepsy) : मिथक और सच्चाई

मिरगी जिसे अंग्रेजी में ‘Epilepsy‘ और मराठी में ‘अपस्मार‘ और सामान्य भाषा मे ‘फिट कि बिमारी‘ भी
कहते
है, एक सामान्य बीमारी है। भारत में मिरगी के लाखों मरीज हैं। मिरगी के मरीज ऐसे तो सामान्य तौर पर नार्मल होते है पर मिरगी का अटैक आने पर उन्हें फिट का दौरा आ सकता हैं।


मिरगी एक ऐसी बीमारी है जिस के बारे में समाज कई भ्रान्तिया फैली हुई
है।
 इस लेख द्वारा मेरी
कोशिश ही कि जनसामान्य अपने दिमाग से इन भ्रान्तियो को दूर करे

मिरगी से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई की जानकारी निचे दी गयी हैं : 


10-myths-about-Epilepsy-in-Hindi

मिरगी से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई Epilepsy information in Hindi

मिथक १ – मिरगी एक अनुवांशिक बीमारी है !
सच्चाई – मिरगी के अधिकांश मामले अनुवांशिक नहीं होते है,हालांकि कुछ प्रकार की मीरगी अनुवांशिक होती है। इनमे से अधिकांश तरह की मिरगी पर दवाइयों की मदद से नियंत्रण पाया जा सकता है। 
मिथक २ – मिरगी एक अभिशाप / प्रेतबाधा या मानसिक बीमारी है !
सच्चाई – मिरगी का शाप,प्रेतबाधा या पिछले पापों की सजा जैसी अन्य बातो से कोई वास्ता नहीं है। मिरगी कोई मानसिक बीमारी नहीं है,न ही यह कम बुद्धि का लक्षण है। 
मिथक ३ – मिरगी एक संक्रामक बीमारी है ! 
सच्चाई – मिरगी यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है। यह खांसी,हवा,पानी,खाना,मच्छर के काटने से या छूने से नहीं फैलती है। 
मिथक ४ –मिरगी के मरीज सामान्य व्यक्ति नहीं होते है !
सच्चाई – दो दौरों के बिच मिरगी के मरीज और सामान्य व्यक्ति में कोई फर्क नहीं होता है। दमा,उच्च रक्तचाप और मदुमेह की तरह मिरगी भी केवल एक बीमारी है।

मिथक ५मिरगी के मरीज कोई काम या नौकरी नहीं कर सकते !
सच्चाई – मिरगी के मरीज सामान्य व्यक्तियों की तरह काम कर सकते है परन्तु कुछ खास बातो का ध्यान रखना आवश्यक है,जैसे की –
  • ऐसी जगह काम न करे जहा पर अचानक मिरगी का दौरा पड़ने के चलते गंभीर चोट पहुच सकती हो। जैसे की -चढ़ाई करना,गाड़ी चलाना,हवाईजहाज उड़ाना,उचाई पर काम करना,भारी औजारों के साथ काम करना,अकेले तैरना,केमिकल के साथ काम करना इत्यादी 
  • कंप्यूटर पर काम करते वक्त स्क्रीन बेहतर हो ताकि आप ग्लेयर और रिफ्लेक्शन से बचे,जो दौरो को उकसा सकते है।  


मिथक ६ मिरगी के मरीज गर्भधारना नहीं कर सकते !
सच्चाई – मिरगी के मरीज गर्भाधारना कर सकते है और सामान्य स्वस्थ शिशु को जन्म भी दे सकते है। मिरगी की कुछ दवा पेट में पल रहे गर्भ को नुकसान पंहुचा सकती है इसलिए गर्भावस्था योजना बनाने के पहले पति-पत्नी दवा संबंधी डॉक्टर से परामर्श जरुर ले।

मिथक ७  – मिरगी के मरीज ड्राइविंग नहीं कर सकते !
सच्चाई – आप ड्राइविंग के लिए फिट है या नहीं इस विषय में डॉक्टर से पूछ ले। इसलिए अपने डॉक्टर से नियमित चेक अप कराते रहे और स्वस्थ्य में कोई परिवर्तन होने पर बताए ताकि आपका ड्राइविंग लाइसेंस वैध रहे।
यह सुरक्षा सावधानी बरते क्योंकि ड्राइविंग आपके और अन्य लोगो के लिए एक समान है :

  • शराब पीकर गाड़ी न चलाए 
  • थके होने पर ड्राइविंग न करे 
  • लम्बी दुरी की ड्राइविंग न करे 
  • रात में ड्राइविंग न करे 
  • ड्राइविंग के दौरान किसी को हमेशा साथ रखे   
यदि आप ड्राइव करना नहीं चाहते ,अपनी मिरगी की दवा लेना भूल गए है या आप को लगे की दौरा पड़ सकता है तो किसी और को ड्राइविंग करने को कहे। 
मिथक ८ मिरगी होने पर हमेशा दवा लेनी होंगी !
सच्चाई – मिरगी के कुछ मरीजो के लिए यह संभव है की दवाइया लेना बंद करना पड़े। हालांकि इसका फैसला आपका डॉक्टर ही कर सकते है। दवाए रोकने के बारे आपके और आपके डॉक्टर द्वारा निर्णय लेने से पहले कई प्रश्नों पर ध्यान देना होंगा। इसमें यह भी शामिल है की कितनी जल्दी आपके दौरे नियंत्रित हुए , कितने समय तक आप दौरों से मुक्त रहे और क्या आपको ऐसी अन्य बीमारी है जो आपकी समस्या को प्रभावित करे।   
मिथक ९  मिरगी के दौरे आने पर तुरंत डॉक्टर या एम्बुलेंस को बुलाना चाहिए ! 
सच्चाई – अधिकांश मिरगी के दौरे जीवन के लिए घातक  नहीं होते है और ५ मिनिट से कम समय तक दौरे रहने पर डॉक्टर या एम्बुलेंस को बुलाने की जरुरत नहीं है। दौरे ५ मिनिट से ज्यादा समय तक रहने पर , तुरंत बार-बार दौरे आने पर या मिरगी का मरीज गर्भवती , बीमार या चोटिल है तो तुरंत डॉक्टर या एम्बुलेंस को बुलाना चाहिए। 
मिथक १० मिरगी के दौरे आने पर मरीज को पकड़ कर रखना चाहिए !
सच्चाई – पीड़ित व्यक्ति को दौरे के दमे पकड़ कर रखने की चेष्टा न करे। पकड़ कर रखने पर उसे हानी पहुच सकती है। पीड़ित व्यक्ति को चोट पहुचा सकने वाले सामान आस-पास से हटा दे,ताकि पीड़ित के गिर जाने पर कोई चोट न लगे। पीड़ित व्यक्ति को एक (दाई या बाई) ओर घुमाए ताकि उसके मुंह में कोई द्रव हो तो वह सुरक्षित तरीके से बाहर निकल जाए। 
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